थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने देश के प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा को बर्खास्त कर दिया-(09-MAY-2013) C.A

| Friday, May 9, 2014
थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा और उनकी कैबिनेट के नौ मंत्रियों को उनके पद से 7 मई 2014 को बर्खास्त कर दिया, जिससे थाईलैंड में राजनीतिक संकट पैदा हो गया. थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने उन्हें अपने परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का दोषी पाया.

इस घटनाक्रम के तुरंत बाद कैबिनेट ने उपप्रधानमंत्री और वाणिज्य मंत्री नीवत्तुमएंग बूनसांगपाइसन को थाईलैंड का कार्यवाहक प्रधानमंत्री नियुक्त किया.
 
थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने फीयू थाई पार्टी की नेता यिंगलक शिनावात्रा को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करने संबंधी निर्णय सर्वसम्मति से लिया. निर्णय के अनुसार थाविल प्लेंश्री को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव के पद से स्थानांतरण की मंजूरी में प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा की रही.
 
थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने यह फैसला विपक्षी सीनेटर पाइबुल नीतितवान द्वारा दायर याचिका पर सुनाया. याचिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के महासचिव का गैरकानूनी तरीके से तबादला करने के लिए यिंगलुक के खिलाफ सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था.

मुख्य विपक्षी डेमोक्रेट पार्टी ने देश में जारी राजनीतिक संकट को हल करने के लिए जुलाई 2014 में प्रस्तावित चुनावों का समर्थन करने से इन्कार कर दिया. दो फरवरी 2013 को संपन्न हुए आम चुनाव का डेमोक्रेट पार्टी ने बहिष्कार किया था. बाद में इन चुनावों को अवैध घोषित कर दिया गया.

यिंगलक शिनावात्रा ने 5 अगस्त 2011 को थाईलैंड में प्रधानमंत्री पद का कार्यभार ग्रहण किया था. वह थाईलैंड की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री हैं. पद ग्रहण करते समय वह 44 वर्ष की थीं. वह थाईलैंड की प्रथम महिला प्रधानमंत्री हैं. वह भारत के 63वें गणतंत्र दिवस (2012)  के अवसर पर आयोजित समारोहों की मुख्य अतिथि रहीं.

विदित हो कि बौद्ध धर्म बहुसंख्यक थाईलैंड महीनों से राजनीतिक हिंसा से जूझ रहा है जिसमें कई लोग मारे गए हैं और सैकड़ों घायल हुए हैं जिनमें सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी भी शामिल हैं. सरकार विरोधी प्रदर्शनकारी बैंकाक के कई हिस्सों में नवम्बर 2013 के बाद से यिंगलक को हटाने की मांग कर रहे हैं. सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने यिंगलक पर अपने भगोड़े भाई थाकसिन के हाथों की कठपुतली के तौर पर शासन चलाने का आरोप लगाया. देश में शिनवात्रा परिवार सबसे धनी और प्रभावशाली परिवारों में शामिल है.


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