केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21 मई 2015 को असम के नामरप में अमोनिया- यूरिया
कॉम्पलेक्स की स्थापना को अपनी मंजूरी दे दी. कॉम्पलेक्स की स्थापना एक संयुक्त
उपक्रम (जेवी) के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड से होगी.
प्रस्तावित संयुक्त उपक्रम में पीएसयू ब्रहमपुत्र वेली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन
लिमिटेड ( बीवीएफसीएल) असम सरकार और आइल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) की हिस्सेदारी 11
प्रतिशत, क्रमशः 11 प्रतिशत
और 26 प्रतिशत इक्विटी हॉल्डिंग और शेष 52 प्रतिशत प्राइवेट/पब्लिक सेक्टर की संस्थाओं का होगा, जो कि प्रतियोगिी निविदा प्रक्रिया के द्वारा सूचित किया जाएगा.
अमोनिया-यूरिया कॉम्पलेक्स के कार्य
अमोनिया-यूरिया कॉम्पलेक्स के कार्य
इसकी प्रतिवर्ष क्षमता 8.64 लाख मीट्रिक टन
होगी और इसके संचालन पर 4500 करोड़ रुपये का निवेश किया
जाएगा.
प्लांट में नवीनतम तकनीक वाली अंतर्राष्ट्रीय मानक युक्त उच्च ऊर्जा दक्षता यूनिट होगी और वर्तमान इकाइयों के लिए इतनी ही मात्रा में प्राकृतिक गैस उपलब्ध होगी, नई इकाई के साथ यूरिया का उत्पादन क्षेत्र दोगुने से भी अधिक हो जाएगा, यह 3.6 टन से बढ़कर 8.64 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो जाएगा.
इस इकाई से होने वाला यूरिया का समस्त उत्पादन नीम कोटेड होगा ताकि नीम के लाभ उत्तर पूर्व क्षेत्र के किसानों तक भी पहुंच पाएं.
प्लांट में नवीनतम तकनीक वाली अंतर्राष्ट्रीय मानक युक्त उच्च ऊर्जा दक्षता यूनिट होगी और वर्तमान इकाइयों के लिए इतनी ही मात्रा में प्राकृतिक गैस उपलब्ध होगी, नई इकाई के साथ यूरिया का उत्पादन क्षेत्र दोगुने से भी अधिक हो जाएगा, यह 3.6 टन से बढ़कर 8.64 लाख मीट्रिक टन प्रतिवर्ष हो जाएगा.
इस इकाई से होने वाला यूरिया का समस्त उत्पादन नीम कोटेड होगा ताकि नीम के लाभ उत्तर पूर्व क्षेत्र के किसानों तक भी पहुंच पाएं.
अमोनिया-यूरिया कॉम्पलेक्स का महत्व
यह उत्तर पूर्व क्षेत्रों बिहार, पश्चिम बंगाल
और झारखंड में बढ़ रही यूरिया की मांग को पूरा करेगा और पश्चिम से केंद्रीय
क्षेत्रों तक यूरिया के परिवहन में होने वाली परेशानी को दूर कर सरकार की भाड़ा
सब्सिडी में भी बचत करेगा. यह उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए विकास के नए द्वार
खोलेगा क्योंकि इसकी स्थापना के साथ क्षेत्र में रोजगार का अवसर बढ़ेगा और कृषि
उत्पादन में वृद्धि होगी. वर्तमान में भारत को प्रतिवर्ष 310 लाख मीट्रिक टन की मांग को पूरा करने के लिए 80 लाख
मीट्रिक टन यूरिया का आयात करना पड़ता है. इस नई इकाई के संचालन और पांच इकाइयों,
जिनके सबंध में हाल ही के महीनों में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अपनी
अनुमति दी है के पुनः शुरू होने से भारत यूरिया का निर्यात करने लगेगा. इससे सरकार
के 600 करोड़ रुपये की सालाना बचत होगी. पांच इकाइयां ओडिशा
के तालचेर, तेलंगाना के रामागुंडम, बिहारी
के बरौनी, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और झारखंड के सिंद्री में
फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआईएल) के अधीन संचालित हैं.