हिमालय क्षेत्र की 800 औषधीय वनस्पति रेड बुक में शामिल-(25-MAY-2014) C.A

| Sunday, May 25, 2014
हिमालय क्षेत्र की 800 औषधीय वनस्पतियों को जलवायु परिवर्तन के खतरे के कारण, मई 2014 के चौथे सप्ताह में रेड बुक में शामिल किये जाने की घोषणा की गई. औषधीय वनस्पतियों की ये प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं.
भारत के उच्च हिमालयी और मध्य हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाले गन्द्रायण, कालाजीरा, जम्बू, ब्राह्मी, थुनेर, घृतकुमारी, गिलोय, निर्गुडी, इसवगोल, दुधी, चित्रक, बहेड़ा, भारंगी, कुटज, इन्द्रायण,पिपली, सत्यानाशी, पलास, कृष्णपर्णी, सालपर्णी, दशमूल, श्योनांक, अश्वगंधा, पुनर्नवा, अरण आदि जड़ी बूटियां अब दुर्लभ होती जा रही हैं. इसका कारण जलवायु परिवर्तन और वनों से जड़ी-बूटियों का अवैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा दोहन को माना जाता है.

विदित हो कि विश्व में औषधीय पौधों की लगभग 2500 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें 1158 प्रजातियां भारत में हैं. इन औषधीय पौधों का उल्लेख प्राचीन भारतीय आदि ग्रन्थ वेदोंमें भी किया गया है. इनमें से 81 औषधीय पौधों का वर्णन यजुर्वेद, 341 वनस्पतियों का उल्लेख अथर्ववेद, 341 का उल्लेख चरक संहिताऔर 395 औषधीय पादपों और प्रयोग का वर्णन सुश्रुत संहितामें है.

रेड बुक से संबंधित मुख्य तथ्य 
रेड डाटा बुक (Red Book) वर्ष 1970 में स्थापित इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेसन ऑफ नेचर एंड नेचुरल रिसोर्सेज’ (International Union for Conservation of Nature and Natural Resources) –IUCNNR का एक आंकड़ा संग्रह किताब है. इसमें विलुप्ती के खतरे मे पड़े जीव-जन्तूओं,पक्षियों, एवं वनस्पतियों का ब्योरा शामिल किया जाता है तथा उसके संरक्षण के प्रति वैश्विक जागरूकता फैलाया जाता है. वर्तमान में इसमें करीब 20000 वनस्पतियों की प्रजातियों की सूची दी गयी है, जो विलुप्त होने के कगार पर है.


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