छह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के मध्य विश्व की सबसे बड़ी सौर परियोजना की स्थापना हेतु समझौता-(31-JAN-2014) C.A

| Friday, January 31, 2014
सार्वजनिक क्षेत्र के छह उपक्रमों (पीएएसयू) ने 29 जनवरी 2014 को राजस्थान में विश्व की सबसे बड़ी 400 मेगावाट अल्ट्रा-सौर परियोजना स्थापित करने के लिए एक समझौता-ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. यह परियोजना सांभर, राजस्थान में 19000 एकड़ में फैला सबसे बड़ा एकल स्थल सौर संयंत्र होगा. परियोजना 7 से 8 वर्ष में दो चरणों में विकसित की जाएगी.
इस संयुक्त उद्यम कंपनी को निम्न इक्विटी-सहभागिता के अनुसार परियोजना को विकसित किया जाना है, जिसमे हिस्सेदारी का प्रतिशत निम्नलिखित है:-
पीएसयू का नाम
सहभागिता का प्रतिशत
बीएचईएल (भेल)
26
एसइसीआई (भारतीय सौर ऊर्जा निगम)
23
एसएसएल (सांभर साल्ट लिमिटेड)
16
पीजीसीआईएल (पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लि.)
16
एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम)
16
आरईआईएल (राजस्थान इलेक्ट्रोनिक्स एंड इंस्ट्रूमेंट्स लि.)
3


परियोजना के पहले चरण में 1000 मेगावाट तीन वर्षों में पहले चालू कर दिया जाएगा, जबकि शेष 3000 मेगावाट अगले उत्तरवर्ती चरणों में कवर किया जाएगा. पहले चरण में 7500 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी. भारी उद्योग विभाग इस निवेश के लिए एक विशेष प्रयोजन माध्यम (एसपीवी अर्थात स्पेशल पर्पज व्हीकल) स्थापित करेगा.
सौर परियोजना से संबंधित तथ्य
उपकरण की आपूर्ति भेल द्वारा की जाएगी.
विद्युत निष्क्रमण बुनियादी संरचना पीजीसीआईएल द्वारा स्थापित की जाएगी.
बिजली की बिक्री एसइसीआई द्वारा की जाएगी.
परिचालन और रखरखाव आरईआईएल करेगी.
परियोजना-प्रबंधन एसजेवीएनएल द्वारा किया जाएगा.
यह सोलर फोटो-वोल्टेइक पावर संयंत्र क्रिस्टलिन सिलिकॉन टेक्नोलॉजी पर आधारित पीवी मॉड्यूल्स का इस्तेमाल करेगा.
संयंत्र का जीवन 25 वर्ष होने का अनुमान लगाया गया है और उसके द्वारा 6400 मिलियन यूनिट ऊर्जा प्रति वर्ष सप्लाई किए जाने की आशा है.


ट्यूनीशिया में मेहदी जोम्मा के नेतृत्व में इंडिपेंडेंट्स की नई सरकार ने शपथ ली-(31-JAN-2014) C.A

|
ट्यूनीशिया में प्रधानमंत्री मेहदी जोम्मा के नेतृत्व वाली नई टेक्नोक्रेटिक सरकार ने 29 जनवरी 2014 को शपथ ली. इस प्रकार नई टेक्नोक्रेटिक सरकार ने देश का राजनीतिक विक्षोभ मिटाने के लिए एक समझौते के अंतर्गत इस्लामिक-नीत प्रशासन का स्थान लिया. सरकार नए चुनाव करवाने की तैयारी भी करेगी.
सत्ता का पिछला हस्तांतरण देश के 193 कानून-निर्माताओं में से 149 ने अनुमोदित किया था. यह हस्तांतरण एक संसदीय सत्र के बाद राष्ट्रपति के महल में हुआ.   

देश के नए मंत्रियों ने अपने पदों की शपथ ट्यूनीशिया के राष्ट्रपति मोंसेफ मर्जूकी से ग्रहण की. प्रमुख इस्लामिस्ट पार्टी एन्नाहदा द्वारा 2013 में गठित सरकार की सत्ता अभ्यर्पित करने के लिए तैयार हो जाने के बाद यह संभव हो पाया. इस समझौते ने लंबे समय से विलंबित नए संविधान के अंगीकरण को भी आगे कर दिया, जिसे 27 जनवरी 2014 को अपनाया गया. अरब स्प्रिंग क्रांति के तीन वर्ष बाद अंतत: राष्ट्रीय असेंबली ने नया संविधान अंगीकृत कर लिया. संसद और राष्ट्रपति के चुनाव 2014 के अंत तक होंगे.    

इसके अतिरिक्त, ट्यूनीशिया की नई सरकार के गठन का समर्थन करने वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 29 जनवरी 2014 को 500 मिलियन डॉलर की सहायता जारी की. देश की राजनीतिक अस्थिरता के कारण जून 2013 में स्वीकृत 1.76 बिलियन डॉलर के ऋण की राशि रोक ली गई थी. फंड्स में दो वर्षों में 1.76 बिलियन डॉलर और 506.7 बिलियन डॉलर का वितरण शामिल था. जारी की गई राशि 2003 में हुई ऋण की डील का दूसरा भाग था.


पेंग्विन के बच्चे जलवायु परिवर्तन के कारण मरे: अनुसंधान रिपोर्ट-(31-JAN-2014) C.A

|
वाशिंगटन विश्वविद्यालय की अनुसंधान-रिपोर्ट कहती है कि विश्व की मेगलैनिक पेंग्विनों की सबसे बड़ी कॉलोनी (अर्जेंटीना में शुष्क पुंटा टोंबो प्रायद्वीप) में पेंग्विन-शिशुओं की मौत का एक कारण जलवायु-परिवर्तन है. रिपोर्ट को जनवरी 2014 के चौथे सप्ताह में जारी किया गया.
अनुसंधानकर्ताओं को पेंग्विन-शिशुओं से संबंधित अध्ययन में 27 वर्ष लगे और उन्होंने पाया कि पेंग्विन के बच्चे भोजन की कमी के साथ-साथ मूसलाधार वर्षा-तूफानों और अत्यधिक गर्मी के कारण मर रहे थे. आयु में 25 दिन से छोटे सभी पेंग्विन-शिशु इतने कोमल होते हैं कि तूफान की चपेट में आकर मर सकते हैं और दूसरी तरफ 1983 से 2010 के बीच तूफानों की संख्या बढ़ी है.
पेंग्विन माता-पिता इतने बड़े होते हैं कि वे अपने शिशुओं को बचाने के लिए उनके ऊपर बैठ नहीं सकते और बच्चे अभी इतने छोटे होते हैं कि उनके जलरोधी (वाटरप्रूफ) पंख नहीं उगे होते. मूसलाधार बारिश से घिरे रोमिल पेंग्विन-शिशु अपने माता-पिताओं का ध्यान आकर्षित किए बिना जूझकर मर सकते हैं. अत्यधिक गर्मी के दौरान वाटरप्रूफिंग के बिना पेंग्विन-शिशु वयस्कों की तरह ठंडे जल में दुबकी नहीं लगा पाते.  
लगभग 2,00,000 पेंग्विन-जोड़े अर्जेंटीना में शुष्क पुंटा टोंबो प्रायद्वीप पर अपने घोंसले बनाते हैं, जो कि मेगलैनिक पेंग्विनों का विश्व में सबसे बड़ा प्रजनन-क्षेत्र है. वे अपने बच्चों को जन्म देने के लिए सितंबर से फरवरी के दौरान इस प्रायद्वीप में रहते हैं.   
मेगलैनिक पेंग्विनों के बारे में
मेगलैनिक पेंग्विन मध्यम आकार के पेंग्विन होते हैं, जिनकी ऊँचाई लगभग 15 इंच और वजन लगभग 10 पौंड होता है. इस प्रजाति के नर बोलने पर गधों के रेंकने की-सी आवाज करते हैं. पेंग्विनों की 17 प्रजातियों में से मेगलैनिक नस्ल सहित 10 प्रजातियाँ इस क्षेत्र में, जहाँ बर्फ नहीं होती, अपेक्षाकृत सूखा होता है और तापमान शीतोष्ण हो सकता है, पाई जाती हैं.


जिम्बाब्बे में परिचालित किए जाने वाले मुद्रा-समूह में भारतीय रुपया शामिल-(31-JAN-2014) C.A

|
रिज़र्व बैंक ऑफ़ जिम्बाब्बे ने भारतीय रुपये के साथ ही चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया की मुद्रा को देश में परिचालित किए जाने वाले मुद्रा-समूह में शामिल किया. रिज़र्व बैंक ऑफ़ जिम्बाब्बे (आरबीजेड) ने इसकी घोषणा 29 जनवरी 2014 को की. इसके साथ ही भारतीय रुपया जिम्बाब्बे में वैध मुद्रा बन गई.
जिम्बाब्बे के नागरिक अब चीनी युआन, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, भारतीय रुपये और जापानी येन में खाता खोल सकते हैं.
 
इसके पहले तक जिम्बाब्बे अमेरिकी डॉलर और दक्षिण अफ्रीकी रैंड को वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार करता था, जिन्होंने विश्व-रिकॉर्ड मुद्रास्फीति के कारण भँवर में फँसे इस देश को अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में सहायता की.

अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं में चार एशियाई मुद्राएँ शामिल किए जाने से देश में परिचालित मुद्राओं की संख्या नौ हो गई है.  यथा-बोत्स्वाना पुला, ब्रिटिश स्टर्लिंग पौंड, यूरो, दक्षिण अफ्रीकी रैंड और अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त केंद्रीय बैंक ने ऑस्ट्रेलियाई डॉलर (एयूडी), चीनी युआन (सीवाईएन), भारतीय रुपये (आईएनआर) और जापानी येन.

जिम्बाब्बे ने वर्ष 2009 में जानू पीएफ के शासन-काल में विश्व-रिकॉर्ड मुद्रास्फीति-स्तरों द्वारा देश को आर्थिक विध्वंस में धकेल दिए जाने के बाद अपनी स्वयं की मुद्रा का परित्याग कर दिया था. वर्ष 2009 में गठबंधन-सरकार ने बहु-मुद्रा प्रणाली लागू की, जो जिम्बाब्बे में स्थिरता लेकर आई.


सुपर 30 के संस्थापक आनंद कुमार को रामानुजन गणित पुरस्कार 2014 से सम्मानित किया गया-(31-JAN-2014) C.A

|

सुपर 30 कक्षाओं के संस्थापक एवं गणितज्ञ आनंद कुमार को वर्ष 2014 के रामानुजन गणित पुरस्कार से सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन्हें गुजरात के राजकोट में आयोजित आठवीं राष्ट्रीय गणित कन्वेंशन में 27 जनवरी 2014 को दिया गया.
यह संस्था वंचितों परिवारों में से  चयनित 30 छात्रों को आईआईटी जेईई प्रवेश परीक्षा में नि: शुल्क आवासीय एवं कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराती है.

पुरस्कार के रूप में 20000 रुपए की नकद राशि परमाणु वैज्ञानिक पीताम्बर पटेल एवं जेजे रावल द्वारा आनंद कुमार को प्रदान किया गया.
रामानुजन गणित पुरस्कार से संबंधित तथ्य

रामानुजन गणित पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार है. यह पुरस्कार उस व्यक्ति को दिया जाता है, जिसके कम से कम तीन पत्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हो और वह व्यक्ति गणित के शिक्षण में शामिल हो.
प्रथम रामानुजन पुरस्कार से वर्ष 2005 में ब्राजील के मार्सेलो वियाना को सम्मानित किया गया.
वर्ष 2006 में इस पुरस्कार से भारत की सुजाता रामादोरई को सम्मानित किया गया था.

आनंद कुमार से संबंधित तथ्य
आनंद बिहार की सुपर 30 नामक संस्था के संस्थापक है.
वर्ष 2010 में आनंद कुमार को बिहार सरकार द्वारा सर्वोच्च शिक्षा पुरस्कार मौलाना अब्दुल कलाम आजाद पुरस्कार सम्मानित किया गया.
स्नातक की पढ़ाई के दौरान ब्रिटेन के गणितीय स्पेक्ट्रम एवं गणितीय राजपत्र में संख्या सिद्धांत पर आनंद कुमार का पत्र प्रकाशित किया गया.
आनंद कुमार को तीन बार अमेरिका गणितीय एसोसिएशन एवं अमेरिकन गणितीय सोसायटी गणितीय ने संयुक्त रूप से आमंत्रित किया.

सुपर 30 संस्था से संबंधित तथ्य
सुपर 30 संस्था को आनंद कुमार ने गणित के रामानुजन स्कूल के नाम से वर्ष 2002 में बिहार के पटना में स्थापित किया.
यह संस्था वंचितों परिवारों में से  चयनित 30 छात्रों को आईआईटी जेईई प्रवेश परीक्षा में नि: शुल्क आवासीय एवं कोचिंग सुविधा उपलब्ध कराती है. सुपर 30 संस्था ने सामाजिक जागृति के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल की है.
सुपर 30 संस्था को टाइम पत्रिका ने वर्ष 2010 में एशिया की सर्वश्रेष्ठ सूची में शामिल किया था.
सुपर 30 संस्था को न्यूजवीक पत्रिका द्वारा दुनिया में चार सबसे अभिनव स्कूलों की सूची में शामिल किया गया.



सर्वोच्च न्यायालय ने दया याचिकायों से संबधित 12 दिशा निर्देश जारी किये-(31-JAN-2014) C.A

|
सर्वोच्च न्यायालय ने मौत की सजा पाये कैदियों के दया याचिकायों से संबधित दिशा निर्देश 22 जनवरी 2014 को जारी किये.
ये दिशा निर्देश सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी. सथाशिवम की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने जारी किये. सर्वोच्च न्यायालय ने कैदियों के एकान्त कारावास को असंवैधानिक कहा है. वर्तमान में राज्य एवं केंद्रीय जेल प्रशासन की नियम पुस्तिका के बीच कोई समरूपता नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय ने दया याचिकायों से संबंध नयें दिशा निर्देश 

राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका देते हुए प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.
सभी आवश्यक दस्तावेजों एवं अभिलेखों को गृह मंत्रालय (एमएचए) भेजा जाना चाहिए.
गृह मंत्रालय को सभी विवरण प्राप्त होने के बाद उचित एवं तर्कसंगत अवधि के भीतर राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें भेज देनी चाहिए.
यदि  राष्ट्रपति के कार्यालय से कोई जवाब नहीं है, तो गृह मंत्रालय को समय -समय पर अनुस्मारक भेजने चाहिए.
राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा कैदियों के दया याचिका को अस्वीकार किये जाने पर उनके परिवार को लिखित में सूचित किया जाना चाहिए.
मौत की सजा पाये कैदी राष्ट्रपति एवं राज्यपाल द्वारा दया याचिका की अस्वीकृति की एक प्रति प्राप्त करने के हक़दार है.
दया याचिका की अस्वीकृति का संचार प्राप्त होने एवं फांसी की तारीख के बीच 14 दिनों का अंतराल होना चाहिए. इस प्रकार से कैदी को फांसी के लिए मानसिक रूप से खुद को तैयार करने की अनुमति होगी. 
फांसी की निर्धारित तिथि के पर्याप्त सूचना के बिना न्यायिक उपचार का लाभ उठाने से कैदियों को रोका जायेगा.
एक ऐसी प्रक्रिया जिसमे कैदियों एवं उनके परिवार के बीच मानवता और न्याय हेतु अंतिम बैठक का प्रावधान होना चाहिए.
मौत की सजा पाये कैदियों की उचित चिकित्सा देखभाल के साथ नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य मूल्यांकन किया जाना चाहिए.  
जेल अधीक्षक कैदी के फांसी का वारंट जारी होने के बाद सरकारी डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों द्वारा मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कैदी की शारीरिक एवं मानसिक हालत को जांच कर संतुष्ट होने के बाद ही उसे फांसी दी जाएगी.
यह आवश्यक है, कि प्रासंगिक दस्तावेजों की प्रतियां दया याचिका बनाने में सहायता करने के लिए जेल अधिकारियों द्वारा एक सप्ताह के भीतर कैदी को प्रस्तुत किया जाना चाहिए.
सर्वोच्च न्यायालय ने फांसी के बाद कैदी का पोस्टमार्टम अनिवार्य कर दिया.
 दया याचिकायों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान 
भारत के संविधान के अनुसार, अनुच्छेद -72 में प्रावधान है- किसी भी अपराध के दोषी व्यक्ति को माफ़ी देने की शक्ति भारत के राष्ट्रपति के पास है.
राष्ट्रपति को गृह मंत्री एवं मंत्रिपरिषद द्वारा सलाह दी जाती है. राष्ट्रपति को अपने निर्णय देने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है क्योंकि वह न्यायिक समीक्षा के अधीन है.


निर्वाचन आयोग ने मानकीकृत वोटिंग कम्पार्टमेंट बनाने का आदेश दिया-(31-JAN-2014) C.A

|
भारत के निर्वाचन आयोग ने 29 जनवरी 2014 को राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) को मतदान केंद्रों पर अपारदर्शी कार्डबोर्ड या फ्लेक्स बोर्ड से बने वोटिंग कम्पार्टमेंट बनाने का निर्देश दिया. यह निर्देश चुनाव केंद्रों पर कम्पार्टमेंट बनाने के लिए इस्तेमाल में लाए जाने वाले घटिया और पारदर्शी कपड़ों के कारण दिया गया है. आयोग ने वोटिंग कम्पार्टमेंट बनाने के लिए पारदर्शी सामग्री के उपयोग को वर्जित बताया है. अपने आदेश में आयोग ने डीईओ/ सीईओ को निर्देश दिया है कि वे अपनी समीक्षा 5 फरवरी 2014 तक पूरी कर लें.
अपने आदेश में आयोग ने कहा है कि आगामी आम चुनावों में गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है. आदेश के मुताबिक कम्पार्टमेंट तीन तरफ से घिरा होना चाहिए और उसका हर एक साइड 23''*23'' का होना चाहिए. इसमें मुख्य चुनाव अधिकारियों को जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ व्यवस्था की समीक्षा का आदेश भी दिया गया है.
आयोग ने पाया है कि वोटिंग कम्पार्टमेंट बनाने में अब तक मानक प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है. इसके साथ ही चुनाव केंद्रों पर विशेष गोपनीयता प्रदान करने के लिए बनाए जाने वाले कम्पार्टमेंट का रखरखाव भी सही से नहीं किया जाता है.
पृष्ठभूमि
इससे पहले बी आयोग ने वोटिंग कम्पार्टमेंट बनाने संबंधी सामग्रियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे. अपनी जांच में आयोग ने पाया कि कई चुनाव केंद्रों पर बनाए गए कम्पार्टमेंट उचित तरीके से नहीं बनाए गए थे और कई जगह तो उनकी ऊंचाई पर्याप्त नहीं थी. कई जगहों पर खराब गुणवत्ता वाले पारदर्शी कपड़ों से बनाए गए कम्पार्टमेंट भी पाए गए थे.


ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के विजेताओं को मिली टैक्स में छूट-(31-JAN-2014) C.A

|
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 28 जनवरी 2014 को ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) और एशियाई खेलों के पदक विजेता खिलाड़ियों और सरकार द्वारा पुरस्कृत खिलाड़ियों के लिए आयकर में छूट संबंधी एक आदेश जारी किया. आदेश अधिसूचना जारी करने की तारीख से प्रभावी हो गया है. अब तक वैसे पदक विजेता खिलाड़ियों, जिन्हें सरकार द्वारा पुरस्कार के तौर पर धन राशि या उपहार मिलते थे, उन पर आयकर देना पड़ता था. जबकि दूसरे क्षेत्र के कामयाब लोगों जैसे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और रमन मैगसेसे पुरस्कार विजेताओं (खिलाड़ियों के अलावा) को आयकर में छूट मिला करती थी. राज्य या केंद्र सरकार द्वारा दिए गए पुरस्कार पर खिलाड़ियों को आयकर में छूट देने के लिए सीबीडीटी ने आयकर अधिनियम 1961 (1961 का 43) की धारा (17ए) के तहत प्रावधान किए हैं. सीबीडीटी की अधिसूचना के मुताबिक अब तक वैसे पदक विजेता खिलाड़ी जिन्हें सरकार से बतौर पुरस्कार धनराशि मिलती थी वे आयकर के दायरे में होते थे. 

यूएनडब्ल्यूटीओ ने चिल्का लैगून को उड़न-गंतव्य नामित किया-(30-JAN-2014) C.A

| Thursday, January 30, 2014
संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) ने ओडिशा-स्थित चिल्का लैगून को डेस्टिनेशन फ्लाईवेज अर्थात उड़न-गंतव्य (वह भौगोलिक मार्ग, जिससे आम तौर पर पक्षी देशांतरण करते हैं) के रूप में 21 जनवरी 2014 को नामित किया. चिल्का लैगून को उड़न-गंतव्य (डेस्टिनेशन फ्लाईवेज) नामित करने का कारण प्रवासी पक्षियों के लिए वहनीय और लोचदार गंतव्य होना है.
चिल्का यूएनडब्ल्यूटीओ द्वारा चुना गया एशिया का अकेला स्थल है और उसे ऐसे आठ स्थलों की सूची में रखा गया है. यूएनडब्ल्यूटीओ की उड़न-गंतव्य पहल का उद्देश्य वहनीय पर्यटन को बढ़ावा देना है.

यह चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) को नवोन्मेषी पर्यटन और आजीविका के उत्पादों के सृजन द्वारा प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए रणनीतियां विकसित करने में मदद करेगी. चिल्का विकास प्राधिकरण (सीडीए) के मुख्य कार्यपालक अजीत कुमार पटनायक हैं.

चिल्का झील की सिफारिश छह अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने की थी. ये एजेंसियाँ थीं जैविक विविधता सम्मेलन का सचिवालय, प्रवासी प्रजातियों का सम्मेलन, रामसर सम्मेलन सचिवालय, विश्व विरासत और यूनेस्को के मनुष्य और जीवमंडल कार्यक्रम.

इससे पूर्व जनवरी 2014 में यूएनडब्ल्यूटीओ ने वर्जीनिया ट्रापा (यूएनडब्ल्यूटीओ के एक सदस्य) की अध्यक्षता में चिल्का के लिए एक मिशन शुरू किया था.

इस मौसम में 1100 मीटर लंबे इस लैगून में लगभग 7.19 लाख प्रवासी पक्षी देखे गए हैं, जो पिछले वर्षों की तुलना में कम हैं. पिछली सर्दी में इस झील में 180 प्रजातियों के लगभग 8.77 लाख पक्षी आए थे, जबकि 2012 में 167 प्रजातियों के 8.83 पक्षियों का इस ब्लू लैगून में आगमन हुआ था.

चिल्का झील 
चिल्का झील भारत में ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित है. यह पूर्वी तट के साथ फैली नदीमुख स्वरूप की खारे पानी की एशिया की सबसे बड़ी झील है.

यह भारतीय उपमहाद्वीप में कहीं भी पाया जाने वाला प्रवासी जलपक्षियों का सबसे बड़ा शीतकालीन आवास-स्थल है. यह देश के जैवविविधता के हॉटस्पॉट्स में से एक है. जोखिमग्रस्त प्राणियों की आईयूसीएन लाल सूची में शामिल कुछ दुर्लभ, असुरक्षित और संकटग्रस्त प्रजातियाँ अपने जीवन-चक्र के कम से कम एक हिस्से में इस लैगून में रहती हैं.
संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) 
यूएनडब्ल्यूटीओ संयुक्त राष्ट्र की एक विशेषज्ञता प्राप्त एजेंसी है, जो वहनीय और सार्वभौमिक रूप से अभिगम्य पर्यटन के संवर्धन के लिए उत्तरदायी है. इसकी स्थापना 27 सितंबर 1970 को की गई थी और वर्ष 1979 से इसके स्थापना-दिवस को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाया जाता है.

वर्ष 1975 में पहले डब्ल्यूटीओ महासचिव की नियुक्ति की गई थी और महासभा ने स्पेन की राजधानी मैड्रिड में डब्ल्यूटीओ मुख्यालय की स्थापना की थी.

यूएनडब्ल्यूटीओ के 156 देश सदस्य, 6 सहयोगी सदस्य और 400 संबद्ध सदस्य हैं, जो निजी क्षेत्र, शैक्षिक संस्थानों, पर्यटन-संघों और स्थानीय पर्यटन-प्राधिकरणों का प्रतिनिधित्व करते हैं.


यूनेस्को ने सर्वशिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट 2013-14 जारी की-(30-JAN-2014) C.A

|
यूनेस्को ने 11वीं सर्वशिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट-2013-14 (11th Education for All Global Monitoring Report 2013 – 14) 28  जनवरी 2014 को जारी की. इस रिपोर्ट का विषय रखा गया- शिक्षण और ज्ञानार्जन : सबके लिए गुणवत्ता की प्राप्ति.
सर्वशिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट-2013-14 में चेतावनी दी गई है कि शिक्षा में किए गए विकास के बावजूद वर्ष 2000 में डाकार, सेनेगल में तय किए गए लक्ष्यों में से एक भी वैश्विक रूप से 2015 तक हासिल नहीं हो पाएगा.
  
सर्वशिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट 2013-14 इस तथ्य को स्पष्ट रूप से रेखांकित करती है कि हाशिये पर डाल दिए गए ज्यादातर वर्गों को दशकों से शिक्षा के अवसरों से वंचित रखा जा रहा है. रिपोर्ट में नई चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपूर्ण कार्य पूरे करने हेतु एक मजबूत वैश्विक 2015-उत्तरवर्ती शिक्षा ढाँचा प्रस्तुत किए जाने की वकालत की गई है.
 
रिपोर्ट के अनुसार उत्तरवर्ती-2015 (post-2015) शिक्षा-लक्ष्य तभी हासिल किए जा सकेंगे, जब उनके साथ स्पष्ट और मापनीय लक्ष्य तय किए जाएँगे और उन लक्ष्यों के साथ यह जाँचने के संकेतक होंगे कि कोई लक्ष्य पीछे नहीं छूट रहा, और साथ ही जब सरकारों तथा सहायता देने वालों के लिए विशिष्ट शिक्षा-वित्तपोषण के लक्ष्य निर्धारित किए जाएँगे.
 
सर्वशिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट 2013-14 के मुख्य तथ्य 
लक्ष्य 1
प्राथमिक-पूर्व शिक्षा : सुधारों के बावजूद बहुत सारे बच्चे प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते. वर्ष 2012 में 5 वर्ष से कम आयु के 25% बच्चों का विकास अवरुद्ध हो गया था. वर्ष 2011 में लगभग आधे युवा बच्चे प्राथमिक-पूर्व शिक्षा प्राप्त कर पाए थे, और उप-सहारा अफ्रीकी देशों में तो यह अंश केवल 18% था.
   
लक्ष्य
सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा : सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा एक व्यापक मार्जिन से चूके जाने की संभावना है. स्कूल से बाहर रहे बच्चों की संख्या 2011 में 57 मिलियन थी, जिनमें से आधे संघर्ष-प्रभावित देशों में रह रहे थे. उप-सहारा अफ्रीका में ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 23% गरीब लड़कियाँ ही दशक के अंत तक प्राथमिक शिक्षा पूरी कर रही थीं. यदि इस क्षेत्र में यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो 2021 में सबसे अमीर बच्चे सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर लेंगे, किंतु सबसे गरीब लड़कियाँ 2086 तक ऐसा नहीं कर पाएँगी.
   
लक्ष्य 3  
निम्नतर माध्यमिक शिक्षा : अनेक किशोरों में निम्नतर माध्यमिक शिक्षा के जरिये प्राप्त होने वाले बुनियादी कौशलों का अभाव है. 2004 से संख्या में कुछ सुधार के साथ 2011 में 69 मिलियन किशोर स्कूलों से बाहर थे. अल्प आय वाले देशों में केवल 37% किशोरों ने निम्नतर माध्यमिक शिक्षा पूरी की और सबसे गरीब किशोरों में यह दर 14% जितनी कम है. हाल की प्रवृत्ति के अनुसार, उप-सहारा अफ्रीका के परिवारों द्वारा 2111 तक ही निम्नतर माध्यमिक शिक्षा पूरी कर पाने की आशा है.
   
लक्ष्य 4
वयस्क साक्षरता : वयस्क साक्षरता में शायद ही कोई सुधार हुआ हो. 2000 से केवल 1% की गिरावट के साथ 2011 में 774 मिलियन अशिक्षित वयस्क थे. 2015 में यह संख्या थोड़ी ही घटकर 743 मिलियन होने का अनुमान है. अशिक्षित वयस्कों में से लगभग दो-तिहाई महिलाएँ हैं. विकासशील देशों में सबसे गरीब युवतियों के 2072 तक सार्वभौमिक साक्षरता प्राप्त करने की संभावना नहीं है.
 
लक्ष्य 5
प्राथमिक शिक्षा लैंगिक असमानता : लैंगिक असमानता अनेक देशों में विद्यमान है. लैंगिक समानता हालाँकि 2005 तक हासिल कर ली जानी थी, किंतु 2011 में केवल 60% देशों ने ही प्राथमिक स्तर पर और 38% देशों ने माध्यमिक स्तर पर यह लक्ष्य हासिल किया गया.
   
लक्ष्य
निम्नतर माध्यमिक शिक्षा लैंगिक समानता : शिक्षा की ख़राब गुणवत्ता का मतलब है कि लाखों बच्चे आधारभूत बातें नहीं सीख रहे हैं. लगभग 250 लाख बच्चे आधारभूत कौशल नहीं सीख रहे, हालाँकि उनमें से आधों ने कम से कम चार साल स्कूल में बिताए हैं. इस असफलता की वार्षिक लागत लगभग 129 बिलियन डॉलर है. निम्नतर माध्यमिक शिक्षा में लैंगिक समानता में सुधार की कुंजी शिक्षकों में निवेश करना है. लगभग एक-तिहाई देशों में 75% से कम प्राथमिक स्कूल शिक्षक राष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार प्रशिक्षित हैं. एक-तिहाई देशों में वर्तमान शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की चुनौती, नए शिक्षकों को भर्ती और प्रशिक्षित करने की एक बड़ी समस्या है.

वैश्विक निगरानी रिपोर्ट और भारत 
रिपोर्ट के अनुसार भारत में दो मुद्दे हैं, पहुँच और गुणवत्ता. भारत ने शिक्षा के अधिकार (अधिनियम) के तहत जहाँ पहुँच वाले भाग की लगभग पूर्ति कर दी है,वहीं अब सरकार का अगला लक्ष्य अब गुणवत्ता सुधारने पर केंद्रित करना है.
 
भारत के संदर्भ में रिपोर्ट की मुख्य तथ्य 
भारत में शिक्षा पर कुल सरकारी व्यय का 10.5% खर्च होता है, जो सकल राष्ट्रीय उत्पाद (जीएनपी) का 3.3% है.  
शिक्षा पर व्यय 6% के लक्ष्य से कम था. वस्तुत: शिक्षा पर खर्च में 1999-2011 की अवधि के दौरान गिरावट आई है. गिरावट बजट-निर्धारित व्यय के प्रतिशत और जीएनपी के प्रतिशत, व्यय दोनों दृष्टियों से देखी गई. 1999 में शिक्षा पर खर्च कुल बजट-निर्धारित व्यय का 13% और जीएनपी का 4.4% था.
भारत में अशिक्षित वयस्कों की सबसे बड़ी जनसंख्या, 287 मिलियन, है जो विश्वभर में ऐसे लोगों की कुल जनसंख्या का 37% है.
भारत में गरीबतर परिवारों के 90% बच्चे, स्कूल में चार वर्ष पूरे कर लेने के बावजूद, अशिक्षित रहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र के निकाय यूनेस्को ने भारत सहित देशों को शिक्षा-क्षेत्र को अधिक निधियाँ उपलब्ध कराने के लिए अपनी कर-व्यवस्था सुधारने को कहा है.
भारत में धनी महिलाएँ पहले ही सार्वभौमिक साक्षरता हासिल कर चुकी हैं, किंतु निर्धनतम महिलाएँ 2080 के आसपास तक ही ऐसा कर पाएँगी.
भारत में शिक्षा पर व्यय अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग है. केरल में शिक्षा पर व्यय प्रति छात्र 685 डॉलर प्रति वर्ष और हिमाचल प्रदेश में 542 डॉलर प्रति वर्ष था, जबकि पश्चिम बंगाल में यह 127 डॉलर और बिहार में 100 प्रति वर्ष था.
 विश्लेषण 
यह 11वीं ईएफए वैश्विक निगरानी रिपोर्ट 2000 में स्वीकृत वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में देशों द्वारा की जा रही प्रगति पर एक सामयिक जानकारी उपलब्ध कराती है. यह 2015 के बाद शिक्षा को वैश्विक विकास एजेंडे के केंद्र में रखे जाने का एक सशक्त मामला भी बनाती है. वर्ष 2008 में ईएफए वैश्विक निगरानी रिपोर्ट में पूछा गया था – 'क्या हम इसे करेंगे?' अब जबकि 2015 से पहले दो ही वर्ष बचे हैं, यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि हम नहीं करेंगे.

इस आलोक में रिपोर्ट सरकारों से असुविधाओं का सामना कर रहे समस्त लोगों को ज्ञानार्जन उपलब्ध कराने के अपने प्रयास दोगुने करने की माँग करती है असुविधाएँ चाहे गरीबी के कारण हों या लिंग, रहने के स्थान या अन्य कारकों के कारण. इसके अतिरिक्त, सरकारों को 2015 तक सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा का लक्ष्य हासिल करने के लिए 1.6 मिलियन अतिरिक्त शिक्षकों की भर्ती करने के लिए भी प्रयास अवश्य बढ़ाने चाहिए. परिणामत: रिपोर्ट में अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा के साथ समस्त बच्चों तक पहुँचने के लिए श्रेष्ठतम शिक्षक उपलब्ध कराने हेतु चार रणनीतियाँ चिह्नित की गई हैं.  
शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों की विविधता प्रतिबिंबित करने के लिए सही शिक्षक चुने जाने अनिवार्य हैं.
शिक्षकों को प्रारंभिक कक्षाओं से शुरू करके, सबसे कमजोर विद्यार्थियों को सहायता प्रदान के लिए अनिवार्यत: प्रशिक्षित किया जाना चाहिए.
देश के सबसे चुनौतीपूर्ण भागों में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक विनियोजित कर विद्याध्ययन में असमानता पर काबू पाएँ.
सरकारों को शिक्षकों को इस पेशे में बने रहने के लिए प्रेरित करने हेतु उचित प्रकार के प्रोत्साहन अवश्य उपलब्ध कराने चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, चाहे उनकी परिस्थितियाँ कैसी भी क्यों न हों.

किंतु शिक्षक अकेले यह जिम्मेदारी नहीं उठा सकते. रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि शिक्षक शिक्षण और विद्यार्जन सुधारने के लिए भली-भांति तैयार किए गए पाठ्यक्रमों और मूल्यांकन की रणनीतियों के साथ उचित परिप्रेक्ष्य में ही चमक सकते हैं.

इन नीतिगत परिवर्तनों की एक लागत है. यही कारण है कि हमें वित्तपोषण में बदलाव करने की आवश्यकता है. आधारभूत शिक्षा इस समय 26 बिलियन डॉलर प्रति वर्ष की कम निधियाँ पा रही है, जबकि सहायता में गिरावट जारी है. इस स्थिति में सरकारें शिक्षा में निवेश घटाना मंजूर नहीं कर सकतीं न ही दानकर्ताओं को अपने निधिकरण के वायदों से पीछे हटना चाहिए. यह रिपोर्ट अत्यावश्यक जरूरतों की पूर्ति के लिए पैसे जुटाने के नए रास्ते तलाशने की माँग करती है.

वैश्विक निगरानी रिपोर्ट के बारे में 
सर्वशिक्षा वैश्विक निगरानी रिपोर्ट सेनेगल की राजधानी डाकार में वर्ष 2000 में स्थापित की गई थी. रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य 2015 तक सर्वशिक्षा लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्धता सूचित करना, प्रभावित करना और कायम रखना है.

अप्रैल 2000 में आयोजित यूनेस्को सम्मलेन में 164 देशों के 1100 सहभागियों ने डाकार कार्रवाई रूपरेखा, 'सर्वशिक्षा : अपनी सामूहिक प्रतिबद्धताओं की पूर्ति' को अपनाया था. इन सहभागियों ने व्यापक दायरे वाले छह शिक्षा-लक्ष्य 2015 तक पूरे करने पर सहमति जताई थी.


वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक में भारत को मिला 155वां स्थान-(30-JAN-2014) C.A

|
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक-2014 (Environmental Performance Index 2014, ईपीआई) 25 जनवरी 2014 को जारी किया गया. वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक के अनुसार भारत को पर्यावरण संबंधी चुनौतियों के समाधान के अपने प्रयासों में सूचकांक-स्कोर 31.23 पॉइंट्स के साथ 178 देशों में से 155वां स्थान प्राप्त हुआ.     
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक में चीन को 118वां, पाकिस्तान को 148वां और नेपाल को 139वां स्थान प्राप्त हुआ. भारत अपने इन सभी पड़ोसी देशों से इस सूचकांक में पीछे है.   
ब्रिक्स देशों में से दक्षिण अफ्रीका को 72वां स्थान प्राप्त हुआ, जबकि रूस 73वें, ब्राजील 77वें और चीन 118वें स्थान पर रहा.  

वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक में देशों के स्थान-निर्धारण पर्यावरण से होने वाले नुकसान से मानव-स्वास्थ्य की रक्षा और पारिस्थितिक तंत्र (ईको-सिस्टम) की सुरक्षा के क्षेत्रों में सम्बंधित देशों द्वारा उच्च प्राथमिकताप्राप्त पर्यावरणीय मुद्दों के संबंध में उनके निष्पादन के आधार पर किया जाता है. 

ईपीआई की अन्य विशेषताएँ 

ईपीआई 2014 की सर्वसमावेशक संरचना उपलब्ध करने वाले दो उद्देश्य हैं पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिक तंत्र का स्थायित्व.   
सूचकांक में शामिल 178 देश 99 प्रतिशत वैश्विक जनसंख्या, 98 प्रतिशत विश्व के कुल भूमि-क्षेत्र और 97 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं. 
सर्वोच्च ईपीआई वाला देश स्विट्जरलैंड है, जिसके बाद लग्जमबर्ग, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और चेक रिपब्लिक आते हैं.  
ईपीआई के सबसे निचले निष्पादक देश हैं-सोमालिया, माली, हैती, लेसोथो और अफगानिस्तान. ये सभी न्यून निष्पादक देश जन-आंदोलन, आर्थिक विकास के भरी दबावों और राजनीतिक अशांति से ग्रस्त हैं.   
हवा की गुणवत्ता, जैव-विविधता और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा की दृष्टि से पर्यावरणीय सुरक्षा-उपायों में पर्याप्त निवेश किए बिना होने वाला शहरीकरण उभरती अर्थव्यवस्थाओं के खराब प्रदर्शन का मुख्य कारण है.
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक (ईपीआई)
 
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक (ईपीआई) येल और कोलंबिया यूनिवर्सिटीज द्वारा विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सहयोग से और साथ ही सैमुअल फैमिली फाउंडेशन तथा माइककॉल माइकबेन फाउंडेशन की सहायता से तैयार किया जाता है.
    
पर्यावरण निष्पादन सूचकांक (ईपीआई) राष्ट्र-स्तरीय पर्यावरण-डाटा को प्रतिबिंबित करने वाले 20 संकेतकों की गणना और समूहन द्वारा संरचित किया जाता है. इन संकेतकों को नौ मुद्दों की श्रेणी में संयुक्त किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक मुद्दा दो सर्वसमावेशक उद्देश्यों में फिट होता है.
     
नौ संकेतकों की सूची 

I – पर्यावरणीय स्वास्थ्य
i) स्वास्थ्यगत प्रभाव 
a)  बाल-मृत्युदर 

ii) हवा की गुणवत्ता 
a) घर की हवा की गुणवत्ता 
b) वायु-प्रदूषण पीएम 2.5 एक्सपोजर
 
iii) जल और स्वच्छता 
a) स्वच्छता तक पहुँच 
b) पेय जल तक पहुँच 

II- पारिस्थितिक तंत्र का स्थायित्व
iv) जल-संसाधन 
a) अपशिष्ट जल उपचार
 
v) कृषि 
a) कृषि-सब्सिडियाँ  
b) कीटनाशक-विनियमन
 
vi) वन 
a) वन-सुरक्षा में बदलाव 

vii) मत्स्य-क्षेत्र  
a) तटीय मत्स्य-ग्रहण दबाव 
b) मत्स्य स्टाक 

viii) जैवविविधता और प्राकृतिक आवास 
a)    स्थलीय संरक्षित क्षेत्र 
b)    महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक आवास संरक्षण 
c)    समुद्री संरक्षित क्षेत्र 

ix) जलवायु और ऊर्जा 
a) जलवायु + ऊर्जा


ट्री फाउंडेशन को नागापट्टिनम में बड़ी तादात में मृत कछुए मिले-(30-JAN-2014) C.A

|
समुद्री कछुओं के संरक्षण में लगी गैर सरकारी संगठन ट्री फाउंडेशन के द्वारा 28 जनवरी 2014 को दिये गये वक्तव्य के अनुसार, दिसंबर 2013 से जनवरी 2014 मध्य 100 से अधिक ओलिव रेडली प्रजाति के कछुए मिल चुके हैं. फाउंडेशन के मुताबिक इसी अवधि में पुडुचेरी के तट पर 21 मृत कछुओं को पाया गया था.
मत्स्य विभाग ने गांव के मछुआरों को निर्देश दिया है कि अगर उनकी जाल में कोई कछुआ फंस जाए तो वे अपना जाल काट कर उसे आजाद कर दें. यह कदम मछुआरों की जाल में फंस कर कछुओं की होने वाली मौत के मद्देनजर उठाया गया है. यह पहली बार है जब वन विभाग ने भी कछुओं से संबंधित आंकड़े जुटाना शुरु किया है, जिसका इस्तेमाल वे कछुओं को पकड़े जाने वाले स्थल के विशलेषण में करेंगें. पुडुचेरी में कछुओं के पकड़े जाने और उनके शवों के अध्ययन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इस संगठन ने पिछले सत्र में सौ से ज्यादा मृत कछुए थारंगमबाड़ी के मछली पकड़ने वाले चिन्नामेडु गांव में पाए थे.
नागापट्टनम समुद्र तट के बारे में 
ऑलिव रेडली प्रजाति के कछुओं को नागापट्टनम के 154 किलोमीटर लंबे समुद्री तट पर अपने अनुकूल वातावरण मिलता है और इसी वजह से वह दिसंबर से मार्च के महीने में हर साल यहां आते हैं.
ऑलिव रेडिली कछुए
ऑलिव रेडिली कछुए बहुत हद तक केम्प रेडली जैसे होते हैं लेकिन उनका शरीर गहरा और खोल थोड़ा उपर की ओर उठा हुआ होता है. इनके खोल का रंग धूसर होता है और इसका सिर एवं खोल केम्प कछुओं के मुकाबले छोटा होता है. इनका वजन करीब 45 किलोग्राम और आकार 70 सेंटीमीटर होता है. इसी कारण ये केम्प रेडिल के जैसे सबसे छोटे समुद्री कछुए होते हैं. ये कछुए आम तौर पर एंटिल्स के माध्यम से दक्षिण अमेरिका के उत्तरीय तट, पश्चिम अफ्रीका, हिंद महासागर, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणपूर्ण एशिया में पाए जाते हैं. रिपोर्टों के मुताबिक इन कछुओं की संख्या में पाकिस्तान, म्यांमार, मलयेशिया और थाइलैंड और संभवतः भारत के पूर्वी तट, ओडीशा के दक्षिण और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, गिरावट हुई है. 
समुद्री कछुए
समुद्री कछुए सरिसृप होते हैं और हवा में सांस लेते हैं इसलिए उन्हें हर 40 से 45 मिनट में एक बार बाहर आने की जरूरत पड़ती है. ये पृथ्वी के सबसे प्राचीन जीवों में से एक हैं. फिलहाल विश्व में इस प्रकार के कछुओं की सिर्फ सात प्रजातियां पाई जाती हैं और ये डायनासोर के समय भी मौजूद थे. दूसरे कछुओं के विपरीत समुद्री कछुए अपने पैरों और सिर को अपनी खोल में समेट नहीं सकते. प्रजातियों के आधार पर इनका रंग पीला, हरापना लिए और काला हो सकता है. इनकी जनसंख्या के बारे में बताना मुश्किल है क्योंकि न तो नर और न ही मादा कछुए अंडे से बच्चे निकलने के बाद समुद्र तट पर वापस नहीं लौटते. ये आमतौर पर पूरे विश्व में सभी गर्म और समशीतोष्ण जल में पाए जाते हैं.
ट्री फाउंडेशन
ट्री फाउंडेशन एक गैर सरकारी संगठन (गैर लाभकारी संगठन) है जो हमारे ग्रह के वनस्पति संसाधनों और उनपर निर्भर पारिस्थितिकी प्रणालियों पर अनुसंधान, शिक्षा और उनके संरक्षण को बढ़ावा देता है. फिलहाल यह फाउंडेशन मछली पकड़ने वाले गांवों से जुड़ा है ताकि जब भी उन्हें मृत कछुए मिले वे गांव वालों को इसकी सूचना दे सकें. इस संगठन ने 28 दिसंबर से 27 जनवरी के बीच थारंगमबाड़ी के 3 तटों पर 154 मृत कछुए और 1 मृत डॉल्फिन पाई है.


केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने डिजिटल ग्रीन के साथ समझौता किया-(30-JAN-2014) C.A

|
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने 28 जनवरी 2014 को डिजिटल ग्रीन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. यह समझौता राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत ग्रामीण समुदायों के बीच प्रासंगिक आजीविका प्रथाओं के आदान प्रदान के लिए किया गया है.
डिजिटल ग्रीन के बारे में 
डिजिटल ग्रीन एक अंतर्राष्ट्रीय, बिना मुनाफे वाला विकास संगठन है और इसे बिल एवं मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, फोर्ड फाउंडेशन और भारत सरकार का सहयोग प्राप्त है.
यह एक नया आईसीटीआधारित दृष्टिकोण है जो कम लागत और सहकर्मियों से सीखने की प्रभावी प्रक्रिया पर ध्यान देता है जिसका उद्देश्य गरीब परिवारों को उत्पादकता बढ़ाने और स्थायी आय के जरिए सशक्त बनाना है. 
यह अपने सहयोगियों के साथ मिलकर स्थानीय विडियो और मध्यस्थ प्रसार के जरिए ग्रामीण समुदायों के बीच प्रासंगिक आजीविका प्रथाओं का प्रभावी रूप से आदानप्रदान करता है. 
इसका उद्देश्य रणनीतिक दिशानिर्देशन, प्रबंधन और विकास का समन्वय, सफल कार्यान्वयन और डिजिटल ग्रीन के आजीविका से संबंधित गतिविधियों की निगरानी करना है. 
यह सार्वजनिक, निजी और नागरिक समाज संगठनों के मौजूदा विस्तार प्रणाली पर बनाता है और उसे अधिक प्रभावी और कुशल बना कर मजबूती प्रदान करता है. 
यह हितधारकों की कार्यशालाओं और प्रशिक्षण गतिविधियों के बीच समन्वय का काम करता है.
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के बारे में
•    आजीविका या राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का शुभारंभ जून 2011 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने किया था.
•    एनआरएलएम भारत में महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा कार्यक्रम है. 
•    एनआरएलएम का उद्देश्य ग्रामीण गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूह (एचएसजी) और संघीय संस्थानों के जरिए कवर करना और उनकी आजीविका में सहयोग करना है. 
•    एनआरएलएम गरीबों के जन्मजात क्षमताओं को उभारने में विश्वास रखता है और आर्थिक विकास में भागीदार बनाने के लिए उन्हें  सूचना, ज्ञान, कौशल, उपकरणों, वित्त और सामूहीकरण जैसी क्षमताएं प्रदान करना है.


ईरान ने यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों पर रोक लगाई-(30-JAN-2014) C.A

|
विश्व शक्तियों (पी 5+1) के साथ एक अंतरिम समझौते के अनुसार ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के लिए 20 जनवरी 2014 को समझौते पर हस्ताक्षर किये. ईरान ने यूरेनियम संवर्धन गतिविधियों को रोकने का कार्य शुरू कर दिया. विश्व शक्तियों से हुए समझौते के अनुसार ईरान को छह महीने के भीतर अपने प्रमुख परमाणु उपकरणों में कटौती करना है.
समझौते से संबंधित तथ्य
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर 24 नवंबर 2013 को जिनेवा में पी 5+1 यानि अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन के साथ जर्मनी एवं ईरान ने समझौते के सफल कार्यान्वयन पर बातचीत की.
इस समझौते के तहत ईरान अपने 5 प्रतिशत से अधिक शुद्धता वाले यूरेनियम संवर्धन को रोकेगा एवं लगभग 20 प्रतिशत शुद्धता वाले संवर्धित यूरेनियम को प्रभावहीन करेगा. 
ईरान निरीक्षकों को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों तक जाने देगा.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर अंकुश लगाने में सफल समझौता अमेरिका द्वारा यूरोप में मिसाइलरोधी ढाल (एंटीमिसाइल शिल्ड) बनाने की जरूरत को खत्म कर देगा. मिसाइलरोधी ढाल जो 2020 तक पूरा होना है, वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की ईरान के सन्दर्भ में आईएईए की रिपोर्ट के अनुसार
ईरान में यूरेनियम संवर्धन का कार्य रोक दिया गया है. यूरोपीय संघ एवं संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों में से कुछ प्रतिबंधों को निलंबित किया जायेगा. 
ईरान ने यूरेनियम के भंडारो को कम करना शुरू कर दिया है. इससे पूर्व ईरान में 20 प्रतिशत की विखंडनीय सांद्रता को समृद्ध बनाया गया था.
इस तथ्य की भी पुष्टि हो गयी है, कि ईरान ने रिएक्टर ईंधन बनाने एवं बम के निर्माण के उत्पादन के लिए ऑक्साइड के भंडार में से कुछ को परिवर्तित करना शुरू कर दिया है.    
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने पुष्टि कर दी है, कि ईरान में U-235 में 5 प्रतिशत से ऊपर यूरेनियम संवर्धन नहीं रह गया है.  दो पायलट ईंधन संवर्धन संयंत्र एवं चार ईंधन संवर्धन संयंत्र का पहले इस उद्देश्य के लिए प्रयोग किया गया है.

विदित हो की अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) ने समझौते के बाद ईरान का दौरा किया था और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.


जानवरों पर सौन्दर्य प्रसाधनों का परीक्षण भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित-(30-JAN-2014) C.A

|
केंद्र सरकार ने जानवरों पर कॉस्मेटिक कंपनियों के परीक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया. जानवरों पर सौंदर्य प्रसाधन परीक्षण पर रोक लगाने की अधिसूचना 27 जनवरी 2014 को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी की गयी. जानवरों पर सौंदर्य प्रसाधनों के परीक्षण पर रोक लगाने के नियम सार्वजनिक करने के 45 दिनों के भीतर प्रभावी हो जाएगा. इसके प्रभावी हो जाने के बाद ही भारत, सौंदर्य प्रसाधन और जानवरों पर अपनी सामग्री के परीक्षण पर प्रतिबंध लगाने वाला दक्षिण एशिया का पहला देश बन गया.
देश में जानवरों पर उस परीक्षण को प्रतिबंधित किया गया है  जिसमें कोई कॉस्मेटिक बेचे जाने की अनुमति दी जाएगी.
 
अधिसूचना को प्रभावी बनाने के लिए, औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1945 में संशोधन किया गया. संशोधन में प्रवाधान है कि किसी भी कॉस्मेटिक उत्पाद में पशु परीक्षण किया जाता है तो उसे औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम और पशु क्रूरता अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई का सामना करना होगा. 
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुद्दों को कुछ संगठनों और संसद सदस्यों द्वारा उठाए गया था जिसके बाद नियमों में संशोधन करने, और यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ लाइन में मानकों का पालन करने का फैसला किया गया. यूरोपीय संघ ने 2013 में जानवरों पर सौंदर्य प्रसाधनों का परीक्षण पूरी तरह से अवैध रूप से बनाया है, जिसे यूरोपीय संघ के कानून के अंतिम चरण में लागू किया. हालांकि, देश में पशु परीक्षण किया सौंदर्य प्रसाधन का आयात और बिक्री से कंपनियों को रोका नहीं जाएगा. 

कंपनियां अभी भी अन्य देशों में अपने पशु परीक्षण आउटसोर्स करने के लिए स्वतंत्र हैं. इसे रोकने के लिए, भारत को हाल में पशु परीक्षण किये गये कॉस्मेटिक उत्पादों और सामग्री पर दुनिया में कहीं भी आयात और बिक्री किये गये उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने चाहिए. 

इजरायल और यूरोपीय संघ ने उनके संबंधित न्यायालय में सौंदर्य प्रसाधन में पशु परीक्षण की पीड़ा को खत्म करने और बिक्री पर रोक लगाने दोनों को लागू किया है.


क्यूबा के क्रांतिकारी एवं चे ग्वेरा के सहयोगी “उलिसेस एस्ट्राडा” का निधन-(30-JAN-2014) C.A

|
क्यूबा के क्रांतिकारी उलिसेस एस्ट्राडा का 79 साल की आयु में 26 जनवरी 2014 को निधन हो गया. उलिसेस एस्ट्राडा ने 1960 के दशक के दौरान अर्नेस्टो चे ग्वेरा के सहयोगी के रूप में अफ्रीका में क्रांतियों को प्रेरित किया.
उलिसेस एस्ट्राडा से संबंधित तथ्य

उलिसेस एस्ट्राडा ने क्यूबा के अंतरिम मंत्रालय में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया एवं 1960 के दशक में लैटिन अमेरिका के गुरिल्ला आंदोलनों से संबंधित संवेदनशील मिशन का प्रदर्शन किया.
उलिसेस एस्ट्राडा क्यूबा की क्रांति के नेता चे ग्वेरा, (जिन्होंने 1960 के दशक में क्यूबा द्वीप छोड़ दिया एवं अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में क्रांतियों को प्रेरित किया) के निकट सहयोगी थे. वर्ष 1967 में बोलीविया में चे ग्वेरा की मृत्यु हो गयी.
उलिसेस एस्ट्राडा एवं चे ग्वेरा ने कांगो और गिनी बिसाऊ में राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष के लिए सहयोग किया. 
उलिसेस एस्ट्राडा को वर्ष 1975 में अमेरिका में कम्युनिस्ट पार्टी में नंबर दो की स्थिति में नामित किया गया. उन्होंने गुरिल्ला आंदोलन के साथ वामपंथियों से बेहतर सबंध बनाएं.
उलिसेस एस्ट्राडा ने क्यूबा के राजदूत के रूप में यमन, अल्जीरिया, एवं जमैका में अपनी सेवाएं दी है.


56 वें वार्षिक ग्रैमी पुरस्कार 2014 की घोषणा-(29-JAN-2014) C.A

| Wednesday, January 29, 2014
संयुक्त राज्य अमेरिका की रिकॉर्डिंग अकादमी ने 26 जनवरी 2014 को लॉस एंजिल्स के स्टेपल्स सेंटर में 56 वें वार्षिक ग्रेमी पुरस्कार 2014 की घोषणा की.  प्रत्येक वर्ष ग्रैमी पुरस्कार सिर्फ संगीत से जुड़े कलाकारों को ही प्रदान किये जाते हैं.
श्रेणी
एल्बम
कलाकार का नाम
वर्ष के एल्बम
रैंडम एक्सेस यादें
डाफट पंक
रिकॉर्ड ऑफ द ईयर
गेट लकी
डाफट पंक,  फर्रेल्ल विलियम्स एवं नील रोजर्स
नए कलाकार
रिक्त
मक्क्लेमोरे एवं रयान लुईस
वर्ष के गीत
रॉयल्स
लोर्ड
बच्चों की एल्बम

चाह में एक पैसा फेंको

जेनिफर गसोई
पॉप एकल प्रदर्शन
रॉयल्स
लोर्ड
ग्रैमी पुरस्कार से संबंधित तथ्य

ग्रेमी पुरस्कार को मूलतः ग्रामोफोन पुरस्कार भी कहा जाता है.
ग्रेमी पुरस्कार रिकॉर्डिंग उद्योग का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है. यह पुरस्कार रिकॉर्डिंग अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है.
रिकॉर्डिंग अकादमी को नेशनल एकेडमी एवं रिकॉर्डिंग आर्ट्स एंड साइंसके रूप में भी जाना जाता है.
इस अकादमी को संयुक्त राज्य अमेरिका में वर्ष 1957 में स्थापित किया गया था.
प्रथम ग्रैमी पुरस्कार समारोह 4 मई  1959 को लॉस एंजिल्स में आयोजित किया गया था.
वर्ष 2013 तक केवल  चार भारतीयों को ही ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
सितार वादक पंडित रवि शंकर वर्ष 1967 में ग्रेमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय संगीतकार थे. उन्हें इस पुरस्कार से वर्ष 1972 एवं वर्ष 2001 में भी सम्मानित किया गया.
तबला वादक जाकिर हुसैन को सर्वश्रेष्ठ विश्व संगीत श्रेणी में अपने एलबम ग्रह ड्रमके लिए वर्ष 1992 में ग्रेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
वीणा वादक विश्वमोहन भट्ट को वर्ष 1994 में गिटार गुरु री कोदर के साथ सयुंक्त रूप से ग्रेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
वर्ष 2010 में भारतीय संगीतकार ए आर रहमान को ग्रेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया.  
ग्रैमी पुरस्कार से कलाकारों, कलात्मक और तकनीकी उपलब्धि के लिए तकनीकी पेशेवरों को सम्मानित किया जाता है.