संपत्ति का खुलासा नहीं करने वाले उम्मीदवारों को अयोग्य ठहराया जा सकता हैः सर्वोच्च न्यायालय-(31-MAY-2014) C.A

| Saturday, May 31, 2014
सर्वोच्च न्यायालय 13 मई 2014 को ने कहा है कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार अगर अपने जीवनसाथी या आश्रित बच्चों के साथ अपनी संपत्ति और देनदारियों का ब्योरा नहीं देते तो उनकी उम्मीदवारी को अयोग्य करार दिया जा सकता है.

न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सीकरी और न्यायमूर्ति सुरिन्दर सिंह निज्जर की पीठ ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार कानून से बंध कर चुनाव लड़ रहे हैं और इसी वजह से उन्हें अपनी पृष्ठभूमि और शिक्षा के बारे में विवरण देना होगा. अगर कोई भी उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल करते समय संपत्ति और देनदारियों, शिक्षा और पृष्ठभूमि से सबंधित जानकारी भरने के खाने को खाली छोड़ता है तो निर्वाचन अधिकारी उसकी उम्मीदवारी को जांच के स्तर पर अस्वीकृत कर देगा. 

अदालत ने कहा कि संविधान की धारा 19(1)(ए) के तहत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानना नागरिकों का मौलिक अधिकार है. यही वजह है कि उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि, शैक्षणिक योग्यता और उनकी संपत्ति, जीवनसाथी और आश्रित बच्चों के बारे में सूचनाएं दें.
 
मामला
यह फैसला किसान शंकर काठौर द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए दिया गया. वे अक्टूबर 2004 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में ठाणे जिले के अंबरनाथ निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए थे. उनके चुनाव को विधानसभा क्षेत्र के एक मतदाता अर्जुन दत्तात्रेय सावंत ने चुनौती दी. वर्ष 2007 में उच्च न्यायालय बंबई ने बिजली बिल के बकाया के बारे में सूचना नहीं देने पर दलील करने की अनुमति दी.

सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि बिजली बिल के बकाया के बारे में जानकारी नहीं देना गंभीर चूक नहीं है लेकिन पत्नी के फ्लैट और वाहन एवं भागीदारी में उनकी हिस्सेदारी के बारे में जानकारी  छिपाना प्रमुख औऱ गंभीर चूक है.



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