रिजर्व बैंक ने 30 दिसंबर 2013
को अपनी छमाही वित्तीय स्थिरता (Half-yearly Financial
Stability Report) रिपोर्ट जारी की. रिजर्व बैंक के गवर्नर
रघुराम राजन ने कहा कि उदार मौद्रिक नीति की राह में महंगाई बाधक है, साथ ही ऊंची मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक की वृद्धि को प्रोत्साहन देने
वाली अनुकूल मौद्रिक नीति बनाने की क्षमताओं को सीमित करती है. इस रिपोर्ट का
मुख्य विषय “परिसंपत्ति की गुणवत्ता पर दबाव” है.
रिजर्व बैंक ने छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, बैंकिंग स्थिरता वाले संकेतक से यह साफ पता चलता है कि जून 2013 के बाद से ही बैंकिंग सेक्टर और ज्यादा जोखिम भरा नजर आ रहा है. आरबीआई का
कहना है कि इस संकेतक में सभी प्रमुख जोखिम आयामों से पडऩे वाले असर शामिल हैं.
रिजर्व बैंक द्वारा छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य
रिजर्व बैंक ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) में गहराए भुगतान संकट को ध्यान में रखकर एक अहम सुझाव दिया-
रिजर्व बैंक ने नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लि. (एनएसईएल) में गहराए भुगतान संकट को ध्यान में रखकर एक अहम सुझाव दिया-
• रिजर्व बैंक ने कहा कि
किसी भी एक शेयरधारक अथवा कुछ शेयरधारकों के किसी समूह को किसी भी एक्सचेंज के
कामकाज अथवा प्रबंधकीय नियंत्रण को अपने हाथों में रखने की इजाजत नहीं दी जानी
चाहिए. एनएसईएल में भुगतान संकट पिछले पांच महीनों से जारी है. एनएसईएल में 5,600
करोड़ रुपये का घोटाला होने की पुष्टि एक तरह से हो गई है.
• बैंकों के एसेट्स (कर्जों) की क्वालिटी पर बढ़ रहा दबाव अब भी चिंता का प्रमुख विषय है. रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा स्थिति अगर आगे भी बनी रही तो देश के बैंकिंग सिस्टम में सकल एनपीए सितंबर 2014 तक बढ़कर 4.6 प्रतिशत या 2,290 अरब रुपए हो जाएगा, जो सितंबर 2013 में 4.2 प्रतिशत या 1,670 अरब रुपए था.
• अमेरिका में मासिक बांड खरीद में प्रस्तावित कमी से पडऩे वाले असर का सामना करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तैयार है. रिजर्व बैंक ने चालू खाता घाटे के अब जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3 प्रतिशत से भी कम रहने का अनुमान व्यक्त किया है.
• चालू खाता घाटे में कमी और निर्यात में खासी बढ़ोतरी होने से देश का बाह्य सेक्टर अब सुधर गया है.
• रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अच्छे मानसून के कारण बेहतर वृद्धि का अनुमान लगाया है. अच्छी बारिश के कारण खरीफ फसल और बेहतर निर्यात की संभावना बढ़ी.
• बैंकों के एसेट्स (कर्जों) की क्वालिटी पर बढ़ रहा दबाव अब भी चिंता का प्रमुख विषय है. रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा स्थिति अगर आगे भी बनी रही तो देश के बैंकिंग सिस्टम में सकल एनपीए सितंबर 2014 तक बढ़कर 4.6 प्रतिशत या 2,290 अरब रुपए हो जाएगा, जो सितंबर 2013 में 4.2 प्रतिशत या 1,670 अरब रुपए था.
• अमेरिका में मासिक बांड खरीद में प्रस्तावित कमी से पडऩे वाले असर का सामना करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तैयार है. रिजर्व बैंक ने चालू खाता घाटे के अब जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 3 प्रतिशत से भी कम रहने का अनुमान व्यक्त किया है.
• चालू खाता घाटे में कमी और निर्यात में खासी बढ़ोतरी होने से देश का बाह्य सेक्टर अब सुधर गया है.
• रिपोर्ट में चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अच्छे मानसून के कारण बेहतर वृद्धि का अनुमान लगाया है. अच्छी बारिश के कारण खरीफ फसल और बेहतर निर्यात की संभावना बढ़ी.