संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन पर प्रतिक्रिया हेतु सर्वोच्च न्यायालय का केंद्र सरकार को नोटिस-(22-AUG-2014) C.A

| Friday, August 22, 2014
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन पर प्रतिक्रिया देने के लिए एक नोटिस 19 अगस्त 2014 को जारी किया. अनुच्छेद 348 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय और सभी उच्च न्यायालयों में सभी कार्यवाही अंग्रेजी में किया जाएगा.
सरकार को यह नोटिस सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचएल दत्तू और न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने दिया.

यह नोटिस अधिवक्ता शिव सागर तिवारी की उस याचिका पर जारी किया गया है जिसमें न्यायालय को सरकार को संविधान में संशोधन कर उच्च न्यायपालिका की कार्यवाही को आधिकारिक भाषा हिन्दी में करने की मांग की गई थी. 

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि उच्च न्यायपालिका में आधिकारिक भाषा के तौर पर अंग्रेजी का प्रयोग ब्रिटिश शासन की विरासत है और इसे अब खत्म किया जाना चाहिए.

अपनी याचिका में अधिवक्ता शिव सागर तिवारी ने यह भी कहा है कि हालांकि अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में हिन्दी को आधिकारिक राष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिला हुआ है लेकिन दुर्भाग्यवश संविधान के भाग XVII के अध्याय III के अनुच्छेद 348 में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय की सभी कार्यवाहियों को अंग्रेजी में करने की बात कही गई है. 

इसके अलावा उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 349 के तहत तर्क दिया कि, संविधान के बनने के 15 वर्ष के बाद संसद सर्वोच्च न्यायालय में भाषा में बदलाव के लिए संशोधन करने के लिए बाध्य थी. हालांकि ऐसा अभी तक नहीं किया गया है और सर्वोच्च न्यायालय में अंग्रेजी का इस्तेमाल करने के लिए लोगों को मजबूर किया जा रहा है.


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