प्रधानमंत्री ने कौशल विकास और उद्यमिता को एक नया मंत्रालय बनाया-(31-MAY-2014) C.A

| Saturday, May 31, 2014
सरबानंदा सोनोवाल (असम के लखीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से सांसद) को कौशल विकास और उद्यमिता (स्वतंत्र प्रभार) का राज्य मंत्री बनाया गया.
नए मंत्रालय का गठन का उद्देश्य वर्ष 2022 तक भारत में 500 मिलियन लोगों का कौशल विकास करके अपने लक्ष्य को सुनिश्चित करना है. एक ही समय में एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो बाधाओं को समाप्त करके व्यापार को आसान और उद्यमिता को प्रोत्साहित कर सके.
यह पहली बार है कि कौशल विकास के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया गया है. इससे पहले विभिन्न विभागों और एजेंसियों को देश में कौशल और उद्यमिता के विकास का काम सौंपा गया.
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) ने उद्यमिता के विकास में काम किया जबकि राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (NSDA) कौशल विकास में सक्रिय थी.
सैम पित्रोदा प्रधानमंत्री के सार्वजनिक सूचना बुनियादी सुविधाओं और नवाचारों के विषय के सलाहकार थे जो उद्यमिता विकास में शामिल था.
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के बारे में
राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन 2010 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया था. इस मिशन के अंतर्गत तीन संस्थाएं हैं.
राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद
यह देश में नीतियों की दिशा और कौशल विकास के प्रयासों के स्पेक्ट्रम की समीक्षा के लिए बनाया गया है. इसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है.
राष्ट्रीय कौशल विकास समन्वय बोर्ड
यह योजना आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता के अंतर्गत प्रधानमंत्री के परिषद के रणनीतियों की गणना के निर्णय को लागू करने के लिए होती है.
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी)
यह कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत एक गैर लाभकारी कंपनी है. इस निगम को राष्ट्रीय कौशल विकास कोष द्वारा वित्त पोषित किया जाता है.
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कौशल विकास नीति (NPSD) को मंजूरी दी थी और वर्ष 2022 तक 500 मिलियन व्यक्तियों के कौशल का लक्ष्य निर्धारित किया है.


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