असम की बराक घाटी में 19 मई 2014
को भाषा शहीद दिवस के रुप में मनाया गया. असम के लोगों द्वारा ‘19
मई’ को उनकी भाषाई पहचान के तौर पर मनाया गया.
असम में भाषा शहीद दिवस का महत्व
भाषा शहीद दिवस असम के बंगाली बहुल क्षेत्र बराक घाटी में
19 मई 1961 को घटित हुई एक घटना
की याद में मनाया जाता है. इस घटना में एक महिला सहित ग्यारह युवा सिलचर रेलवे
स्टेशन पर पुलिस की गोलीबारी में मारे गए थे. वे लोग घाटी में बंगाली भाषी आबादी
पर असमिया भाषा को थोपने के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. इस घटना पर शोक प्रकट करने
के लिए ‘सम्मलित सांस्कृतिक मंच’ ने
सिलचर रेलवे स्टेशन, श्मशान भूमि और गांधी बाग में विभिन्न
कार्यक्रमों का आयोजन किया. क्षेत्र के लोगों सहित कुछ राजनीतिक नेताओं ने सिलचर
में भाषा शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की.
बंगाली भाषा आंदोलन (बराक
घाटी)
बंगाली भाषा आंदोलन असम के बराक घाटी में घटित एक आंदोलन
था जो राज्य में केवल असमिया भाषा को आधिकारिक बनाने के लिए असम सरकार के निर्णय
के खिलाफ विरोध में था. जबकि बराक घाटी में बंगाली
भाषी आबादी की बहुलता थी. मुख्य घटना 19 मई 1961 को घटित हुई थी जिसमें 11 लोगों को राज्य पुलिस
द्वारा मार दिया गया था. शहीदों की स्मृति में सिलचर में शहीदों की कब्र पर एक
स्मारक बनाया गया था जिसे शहीद मीनार के रूप में जाना जाता है.
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