दिनेश कुमार सर्राफ तेल और प्राकृतिक गैस निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त-(28-FEB-2014) C.A

| Friday, February 28, 2014
दिनेश कुमार सर्राफ को तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) का अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) नियुक्त किया गया. दिनेश सर्राफ 28 फरवरी 2014 को सेवानिवृत्त होने वाले सुधीर वासुदेव का स्थान लिया.

लोक उपक्रम चयन बोर्ड (पीएसईबी) ने ओएनजीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में दिनेश के. सर्राफ के नाम की सिफारिश 26 फरवरी 2014 को की. 

दिनेश कुमार सर्राफ ओएनजीसी के सीएमडी नियुक्त होने के पूर्व ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) के प्रमुख थे. उन्होंने कंपनी का प्रभार ग्रहण करने के बाद 11 बिलियन डॉलर के 4 सौदे हासिल कर ओवीएल को सफलतापूर्वक एक आक्रामक समुद्रपारीय फर्म के रूप में तब्दील किया है.
  
दिनेश सर्राफ पूर्व में ओएनजीसी के निदेशक (वित्त) के रूप में कार्य कर चुके हैं.



भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र मध्य प्रदेश में प्रारम्भ किया गया-(28-FEB-2014) C.A

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भारत की सबसे बड़ी, 130 मेगावाट की वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 26 फरवरी 2014 को मध्य प्रदेश के नीमच के भगवानपुर में शुरू की गई.  
वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 305 हेक्टेयर भूमि पर 1100 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित की गई थी. यह 8.05 रुपये प्रति किलोवाट की दर से बिजली की सप्लाई करेगी.

यह परियोजना भारत की सौर क्षमता को 7 प्रतिशत तक बढ़ाएगी.
 
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 
केंद्र सरकार ने 2010 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) की शुरुआत की थी. भारत के पास 2208 मेगावाट ग्रिड-कनेक्टेड सौर ऊर्जा क्षमता है. जेएनएनएसएम का उद्देश्य भारत को 2022 तक 20000 मेगावाट (या 20 गीगावाट) की सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता तक पहुंचाना है.  

भारत में सौर ऊर्जा की उत्पादन-लागत हाल के वर्षों में आधे से भी ज्यादा घटी है. वह तीन वर्ष पहले के 17 रुपये प्रति किलोवाट-घंटे से घटकर 7.50 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा रह गई है. पर यह लागत कोयले (2.50 रुपये रुपये प्रति किलोवाट-घंटा), न्यूक्लियर (3 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा) या प्राकृतिक गैस (5.5 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा) की तुलना में अभी भी ज्यादा है.

वेलस्पन ऊर्जा लिमिटेड 
वेलस्पन ऊर्जा लिमिटेड (वेल) भारत में सोलर फोटोवोल्टेइक परियोजनाओं की सबसे बड़ी विकासकर्ता है. वेलस्पन ग्रुप की ऊर्जा शाखा एक स्वतंत्र ऊर्जा-उत्पादक है, जिसकी देशभर में ग्रिड कनेक्टेड 750 मेगावाट सौर ऊर्जा और 1 गीगावाट पवन ऊर्जा संयंत्र निर्मित करने की योजना है.

विदित हो कि भारत अमेरिका के सहयोग से सैटेलाइट इमेजरी के आधार पर पूरे देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपनी संभावना का आकलन कर रहा है.


केंद्र सरकार और एडीबी ने छत्तीसगढ़ में रोड-कनेक्टिविटी सुधारने के समझौते पर हस्ताक्षर किए-(28-FEB-2014) C.A

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केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्य गलियारों के साथ संपर्क मार्ग सुधारने के लिए 300 मिलियन यूएस डॉलर के कर्ज के लिए एक समझौते पर 26 फरवरी 2014 को हस्ताक्षर किए.

इस परियोजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ रोड मास्टर प्लान के अनुरूप राज्य की 900 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कें सुधारना है, जिसमें khandमार्गों का उन्नयन और पुलियों तथा पुलों का मजबूतीकरण शामिल है.
       
परियोजना में कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में रोड एजेंसी की क्षमता निर्मित करने और राज्य में एक सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली लागू करने के घटक भी हैं, जिनसे बेहतर सड़क-रखरखाव की योजना बनाने में मदद मिलेगी. 
 
ऋण का वित्तपोषण एडीबी के साधारण पूँजी-स्रोतों से की जाएगी. उसकी मूलधन-चुकौती की अवधि 20 वर्ष है और वार्षिक ब्याज एडीबी की लिबोर-आधारित ऋण-सुविधा के अनुसार तय किया गया है.

छत्तीसगढ़ सरकार परियोजना की 428 मिलियन डॉलर की अनुमानित कुल लागत पूरी करने के लिए लगभग 128 मिलियन यूएस डॉलर का प्रतिरूप वित्त (काउंटरपार्ट फायनेंस) उपलब्ध कराएगी.


इब्राहीम महलाब ने मिस्र के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली-(28-FEB-2014) C.A

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ब्राहीम महलाब ने मिस्र के प्रधानमंत्री के रूप में 25 फरवरी 2014 को शपथ ली. इब्राहीम महलाब ने हाजेम अल-बेबलावी का स्थान लिया. इब्राहीम महलाब हुस्नी मुबारक की राजनीतिक पार्टी के पूर्व सदस्य हैं. वह पिछले प्रशासन में आवास मंत्री थे.

इब्राहीम महलाब तानाशाह मुबारक को अपदस्थ करने वाले 2011 के विद्रोह के बाद मिस्र की छठी सरकार के मुखिया बनें.

इब्राहीम महलाब अरब कॉन्ट्रैक्टर्स के पूर्व सीईओ हैं. अरब कॉन्ट्रैक्टर्स इस क्षेत्र की सबसे बड़ी निर्माण-फर्मों में से एक है.


वर्ष 2014 का प्रोटीन साइंस यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड मदन बाबू ने जीता-(28-FEB-2014) C.A

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भारत में जन्मे वैज्ञानिक मदन बाबू ने वर्ष 2014 का प्रोटीन साइंस यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड (Protein Science Young Investigator Award, प्रोटीन विज्ञान युवा अन्वेषक पुरस्कार) कैंब्रिज, यूके में 20 फरवरी 2014 को जीता. यह पुरस्कार प्रोटीन सोसायटी द्वारा प्रोटीन्स के अध्ययन में किए गए महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए दिया जाता है.

मदन बाबू को प्रोटीन साइंस यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड जैविक प्रणालियों में विनियमन, विशेषकर आंतरिक रूप से विकृत प्रोटीन्स और जीन रेग्यूलेशन के क्षेत्रों में, सिद्धांतों को समझने में उनके योगदान के लिए दिया गया. इस पुरस्कार के साथ वह यह पुरस्कार पाने वाले लेबोरेटरी ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के पहले वैज्ञानिक बन गए.

पुरस्कार पाने के समय मदन बाबू एमआरसी लेबोरेटरी ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, कैंब्रिज, यूके में रेग्यूलेटरी जीनोमिक्स और सिस्टम्स बायोलॉजी ग्रुप के अध्यक्ष हैं. 

प्रोटीन साइंस यंग इन्वेस्टिगेटर अवार्ड 
यह पुरस्कार किसी वैज्ञानिक द्वारा अपने स्वतंत्र कैरिअर के प्रारंभिक चरणों में प्रोटीन्स के अध्ययन में महत्त्वपूर्ण योगदान को मान्यता प्रदान करता है. पुरस्कार का नाम प्रोटीन सोसायटी के शैक्षिक जर्नल 'प्रोटीन साइंस' के नाम पर रखा गया है.


एंजेला मार्केल इजरायली राष्ट्रपति उत्कृष्टता पदक से सम्मानित-(28-FEB-2014) C.A

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जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल को इजरायल के राष्ट्रपति शिमोन पेरेस ने येरुशलम में इजरायल का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, इजरायली राष्ट्रपति उत्कृष्टता पदक 25 फरवरी 2014 को प्रदान किया. उन्हें यह सम्मान इजरायल की सुरक्षा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के साथ-साथ शिक्षा के माध्यम से यहूदी-विरोधी और नस्लवाद-विरोधी भावना से लड़ने के लिए दिया गया.

एंजेला मार्केल को उत्कृष्टता पदक इजरायली राष्ट्रपति शिमोन पेरेस ने प्रदान किया. पुरस्कार समारोह के दौरान मार्केल अपने मंत्रिमंडल के 16 सदस्यों के साथ इजरायल की 24 घंटे की यात्रा पर थीं.
 
राष्ट्रपति द्वारा इजरायली राष्ट्रपति पदक प्रति वर्ष देश को असाधारण योगदान देने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है.

यहूदी विरोधी भावना क्या है
यहूदी विरोधी भावना (एंटी-सेमिटिज्म) एक धार्मिक या नस्लीय समूह के रूप में यहूदियों के प्रति एक विद्वेषपूर्ण विश्वास या व्यवहार है.  यह शब्द 1879 में जर्मन आंदोलनकारी विल्हेम मार ने उस समय मध्य यूरोप में चल रहे यहूदी विरोधी अभियानों को नाम देने के लिए गढ़ा था. एंटी-सेमेटिज्म का दृष्टिकोण  रखने वाला एंटी-सेमाइट कहलाता है.


उपराष्ट्रपति ने मौलाना हसरत मोहानी का स्मारक डाक टिकट जारी किया-(27-FEB-2014) C.A

| Thursday, February 27, 2014
भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मौलाना हसरत मोहानी के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट नई दिल्ली में 25 फरवरी 2014 को जारी किया. मोहानी एक स्वतंत्रता-सेनानी और उत्कृष्ट कवि थे.

अली बंधुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली), मौलाना आजाद और हाकिम अजमल खान के साथ हसरत मोहानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा 1919 में गठित खिलाफत समिति के अंग थे.

मौलाना हसरत मोहानी से सम्बंधित मुख्य तथ्य  
मौलाना हसरत मोहानी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की 1921 में अहमदाबाद में आयोजित बैठक में पूर्ण स्वराज्य का मुद्दा उठाने वाले पहले व्यक्ति थे. 
वह ब्रिटिश शासकों से स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए गुरिल्ला युद्ध का प्रस्ताव करने वाले पहले भारतीय भी थे.
उन्हें मोहानी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि उनका जन्म 1878 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के गाँव मोहान में हुआ था.
उन्होंने उर्दू-ए-मोअल्ला नामक एक साहित्यिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ किया था. 
उन्हें ब्रिटिश सरकार ने 1908 में ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ मिस्र में एक लेख लिखने के कारण दो वर्ष के कठोर कारावास की सजा दी थी.
रेशमी रूमाल तहरीक (देवबंदी नेताओं द्वारा 1913 से 1920 के बीच आयोजित रेशमी चिट्ठी आंदोलन) में भाग लेने के कारण उन्हें 1916 में पुन: गिरफ्तार किया गया. 
• 13 मई 1951 को लखनऊ में उनका निधन हुआ.

भारत के अतिरिक्त पाकिस्तान में भी मौलाना हसरत मोहानी के नाम पर एक डाक टिकट मौजूद है. पाकिस्तान ने उनके नाम पर 23 जनवरी 1989 को 3 रुपये की एक डाक टिकट जारी की थी.



सिक्किम लोकायुक्त विधेयक 2014 विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित-(27-FEB-2014) C.A

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सिक्किम राज्य की विधानसभा ने 26 फरवरी 2014 को सिक्किम लोकायुक्त विधेयक-2014 सर्वसम्मति से पारित किया. इस विधेयक का उद्देश्य राज्य में पारदर्शी और भ्रष्टाचारमुक्त शासन उपलब्ध कराना है. यह लोगों को मुख्यमंत्री से लेकर पंचायत तक और मुख्य सचिव से लेकर चपरासी तक किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति के खिलाफ याचिका दायर करने की शक्ति प्रदान करता है.

सिक्किम लोकायुक्त विधेयक-2014 मुख्यमंत्री पवन चामलिंग द्वारा प्रस्तुत किया गया, जो राज्य के विधि विभाग के प्रभारी भी हैं. राज्यपाल श्रीनिवास पटेल की स्वीकृति मिलने पर यह बिल कानून बन जाएगा.

यह विधेयक केंद्रीय लोकपाल बिल पर आधारित है. इस विधेयक से सिक्किम के लोगों को फायदा होने की उम्मीद है, जो उन्हें शासन और कतिपय सार्वजनिक पदाधिकारियों के भ्रष्टाचार तथा अनियमितताओं से लड़ने का मौका उपलब्ध कराएगा.


नाबार्ड ने छोटे किसानों की मदद के लिए संयुक्त देयता समूह का गठन किया-(27-FEB-2014) C.A

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राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड, National Bank for Agriculture and Rural Development) ने संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) के गठन की घोषणा 24 फरवरी 2014 को की. जेएलजी का उद्देश्य बंटाईदारों, मौखिक पट्टेदारों और खेतिहर मजदूरों जैसे छोटे किसानों को संस्थागत ऋण मुहैया कराना है.
 
जेएलजी योजना पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों के लिए बेहद फायदेमंद है जहां औसत जोत कम हो रहे हैं और छोटे किसानों की संख्या बढ़ रही है.

स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की ही तर्ज पर नाबार्ड बैंकों को पुनर्वित्त सुविधा प्रदान करेगा ताकि वे आमतौर पर पैसों की तंगी से जूझ रहे छोटे और सीमांत किसानों को ऋण और वित्तीय सहायता प्रदान कर सकें.
 
नाबार्ड के पास पहले से ही 41 लाख एसएचजी हैं जो क्रेडिट लिंक के जरिए जुड़े हैं.
 
संयुक्त देयता समूह से सम्बंधित मुख्य तथ्य 
संयुक्त देयता समूह (जेएलजी) 4 से 10 लोगों और अधिकतम 20 लोगों का एक अनौपचारिक समूह है, जिसमें ये सभी लोग अकेले या आपसी गारंटी पर समूह के नाम पर बैंक से ऋण ले सकते हैं. जेएलजी सदस्य बैंक को एक संयुक्त उपक्रम की पेशकश करेगा जिसके लिए बैंक उन्हें ऋण देगा.
 
जेएलजी के सदस्यों के फसल के उत्पादन जैसी ही आर्थिक गतिविधियों में संलग्न होने की संभावना है. जेएलजी का प्रबंधन बहुत साधारण रखा जाएगा जिसमें बहुत कम या किसी भी प्रकार की कोई वित्तीय प्रशासन समूह के भीतर नहीं होगा.
 
बटाइदार किसानों और छोटे किसानों जो अपनी जमीन पर बिना किसी उचित हक के खेती कर रहे हों/ वैसे ग्रामीण उद्यमी जो गैरकृषि गतिविधियों में शामिल हैं, जीएलजी का गठन कर सकते हैं.



भारतीय खेल प्राधिकरण ने 14 उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समितियां बनाईं-(27-FEB-2014) C.A

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भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने 14 विभिन्न उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समितियों का गठन 14 फरवरी 2014 को किया. समितियों का कार्य देश के लिए संभावित पदक विजेता खिलाड़ियों की पहचान कर उन्हें विशेष प्रशिक्षण मुहैया कराना ताकि 2014 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों में ये खिलाड़ी देश के लिए पदक जीत सकें.

यह समितियां 14 खेलों के लिए बनाई गईं हैं. इसमें शूटिंग, भारोत्तोलन, मुक्केबाजी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स, जूडो, बैडमिंटन और वुशु भी शामिल हैं.
 
हर समिति में 4 से 6 सदस्य होंगे जिसमें संबंधित महासंघ के अधिकारी, साई द्वारा नियुक्त कोच और खेल विशेषज्ञ होंगे. समिति फरवरी 2014 से काम करना शुरु करेगी.
 
समिति के मुख्य कार्य  
प्रशिक्षण कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए संबंधित खेल के प्रमुख संभावित खिलाड़ियों की पहचान करना. 
इन प्रमुख संभावित खिलाड़ियों में से संभावित पद विजेताओं की पहचान करना. 
चुने गए एथलीटों के विशेष प्रशिक्षण की जरूरत की पहचान करना.
 
इन समितियों को राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों तक ही करना है. इन समितियों की सिफारिशों के आधार पर साई खिलाड़ियों को इन खेलों के खत्म होने तक सहयोग के साथ ही भविष्य में होने वाली प्रतियोगिता के लिए भी तैयार करेगी.


एमटीडीसी और मीहेयर ने समुद्री विमान सेवा शुरु किया-(27-FEB-2014) C.A

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मारीटाइम एनर्जी हेली सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड (मीहेयर) ने महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एमटीडीसी) के साथ मिलकर समुद्री विमान सेवा की शुरुआत 24 फरवरी 2014 को की. भारत में यह अपनी तरह की पहली सेवा है जो मुंबई के जुहू एयरपोर्ट को राज्य के पर्यटन स्थलों से जोड़ेगी.

अपने पहले चरण में, मीहेयर की योजना एम्वे वैली लेक, मूला दम, पवन दम (लोनावला), वरसगांव डैंम (लवासा) और धूम डैम को जूहू एयरपोर्ट से जोड़ने की है. ये सभी जगहें मुंबई से 30 मिनट की उड़ान दूरी पर स्थित हैं. 

अपने दूसरे चरण में, मीहेयर की योजना महाराष्ट्र के पांच और जगहों को जोड़ने की है. अप्रैल 2014 में मीहेयर ने नौ सीटों वाली सेसना (Cessna) 208 एंफीबियन एयरक्राफ्ट के साथ पहले से मौजूद चार सीटों वाली सेसना (Cessna) 206 एंफीबियन एयरक्राफ्ट हासिल कर लेगा. 

समुद्री विमान सेवा का किराया नरीमन प्वांइट से 750 रुपये जबकि दूसरी जगहों से 4000 रुपयों से लेकर 4500 रुपयों के बीच होगा. वर्ष 2011 में मीहेयर ने भारत में समुद्री विमान सेवा की शुरुआत की थी. यह सेवा फिलहाल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में काम कर रहा है. 

केरल में पहली समुद्री विमानसेवा का शुभारंभ किया गया था लेकिन साल 2013 में इसे स्थानीय मछुआरों के  विरोध के कारण बंद कर देना पड़ा.


केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुशासन केंद्र का उद्घाटन किया-(27-FEB-2014) C.A

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केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंसएनसीजीजी) का 24 फरवरी 2014 को उद्घाटन किया. एनसीजीएस देश में सुशासन सुधारों के लिए मार्गदर्शन और कार्यान्वयन का शीर्ष थिंकटैंक है.

नेशनल सेंटर फॉर गुड गवर्नेंस (एनसीजीज) की स्थापना राष्ट्रीय प्रशासनिक अनुसंधान संस्थान (एनआईएआर) मसूरी ने की. एनसीजीजी का प्रमुख कार्य सुशासन में अनुसंधानोन्मुख कार्रवाई पर होगा. यह केंद्र सरकार में सुशासन, गवर्नेंस पहलों, प्रबंधन परिवर्तन और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देने के लिए सूचनाओं के राष्ट्रीय भंडार के तौर पर काम करेगा. 

एनसीजीजी प्रशासन संबंधी महत्वपूर्ण मुद्दों के हल, नीतियों और कार्यक्रम कार्यान्वयन के विश्लेषण, कार्ययोजना विकसित करने, प्रशासनिक सुधार कार्यक्रमों का समर्थन और विभिन्न क्षेत्रों, मंत्रालयों एवं विभागों के बीच तालमेल विकसित करने के लिए काम करेगा. 

एनसीजीजी की प्रतिक्रिया केंद्र और राज्य सरकार की संस्थाओं, केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों एवं राज्य प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों के लिए शोध पत्रों, प्रशासनिक सुधार, नीति विश्लेषण और महत्वपूर्ण निर्देशों वाले विकल्पों , मार्गदर्शन और प्रशासन में क्षमता निर्माण और प्रबंधन के मुद्दों पर होगी.

शासकीय निकाय और एनसीजीजी की संरचना 
एनसीजीजी के लिए मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता शासकीय निकाय का गठन किया गया. इस सोसायटी के तहत आने वाले मामलों को शासी निकाय के समग्र अधीक्षण, निर्देशन के तहत प्रबंधित किया जाएगा. इसमें 12 सदस्यों वाली एक प्रबंधन समीति और अध्यक्ष के रूप में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के सचिव भी होंगे. इसकी संरचना तीन स्तर वाली होगी. पहले स्तर पर आंतरिक संकाय और सदस्य, दूसरे पर बाहर के घरेलू विशेषज्ञ और तीसरे स्तर पर अंतरराष्ट्रीय सलाहकार होंगे.


युगांडा के राष्ट्रपति ने एंटी–गे बिल पर हस्ताक्षर किया-(27-FEB-2014) C.A

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युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने एंटीगे बिल पर 24 फरवरी 2014 को हस्ताक्षर किया. इसमें समलैंगिक गतिविधियों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है.

एंटीगे बिल के मुख्य प्रावधान  
युगांडा में समलैंगिकता पहले से ही अवैध है. इस नए बिल में पहली बार समलैंगिकता के दोषी को 14 साल की कैद और दूसरी बार इसका दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. 
यह कानून युगांडा के भीतर या बाहर के किसी भी सरकारी संस्था या गैर सरकारी संगठन द्वारा समलैंगिक रिश्तों को बढ़ावा और मान्यता देने की प्रक्रिया को अवैध बनाता है. पहली बार इस कानून के जरिए समलैंगिक महिलाओं को भी इसके दायरे में लाया गया है.
 
इस कानून में समलैंगिकों के खिलाफ शिकायत न करने को अपराध माना गया है.
 
इस कानून के लागू होने के बाद समलैंगिकों को गुप्त जीवन जीने को मजबूर होना पड़ेगा.

विश्लेषण
अमेरिकी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री जॉन एफ कैरी ने इस कानून को नैतिक रूप से गलत बताते हुए कहा है कि ऐसा कर युगांडा सभी से एक कदम और पीछे चला जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका युगांडा के इस कदम से बहुत निराश है और चाहता है कि युगांडा की सरकार इस कानून को वापस ले.
 
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांस एंड इंटरसेक्स एसोसिएशन या आईएलजीए ने लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर या इंटरसेक्स लोगों (एलजीबीटीआई) के खिलाफ आपराधिक कानूनों वाले 78 (वास्तविक संख्या 83 है) देशों की सूची बनाई गई है.

जनवरी 2014 में नाइजीरिया के राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन ने एक कानून पर दस्तखत किए थे जिसके मुताबिक समलैंगिकता पर रोक लगाया जाना और एक ही लिंग के संघ में प्रवेश करने के जुर्म में 14 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान था. इसमें गे क्लब या संगठन चलाने वालों को 10 वर्ष की सजा का भी प्रावधान है. 

भारत में, समलैंगिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत की जाने वाली कार्रवाई पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को 11 दिसंबर 2013 को निरस्त कर दिया था. इसलिए भारत समलैंगिकता विरोधी कानून वाले देशों की मुख्य सूची में फिर से शामिल हो चुका है.



उर्वरीकरण वैश्विक चारागाह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक-(27-FEB-2014) C.A

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खेती और उद्योगों में उर्वरकों के इस्तेमाल से वैश्विक चारागाह पारिस्थितिकी तंत्र (ग्लोबल ग्रासलैंड इकोसिस्टम) पर बुरा प्रभाव पड़ता है. यह जानकारी फरवरी 2014 के तीसरे सप्ताह में न्यूट्रिएंट नेटवर्क (नटनेट) नाम से प्रकाशित एक शोध दी गई.

लैंसेस्टर विश्वविद्यालय और मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम के अध्ययन अनुसार प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पौधों के कम समकालिक विकास के कारण अधिक स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है. 

अध्ययन का निष्कर्ष तब निकाला गया जब यह टीम इस सिद्धांत पर काम कर रही थी कि जब किसान उर्वरकों का झिड़काव करते हैं तब वर्षा के पानी के साथ वायुमंडलीय नाइट्रोजन वापस मिट्टी में जाकर ग्रासलैंड पर क्या प्रभाव डालता है. टीम ने पाया कि इसकी वजह से प्राकृतिक पारिस्थितिकी प्रणाली में अस्थिरता आती है. 

टीम ने उर्वरकों का प्रभाव पांच महाद्वीपों के 41 अलगअलग साइटों पर आकलन किया. प्रयोगात्मक नेटवर्क ने चीन के अल्पाइन क्षेत्रों के साथ तनजानिया के सेरेनगेटी इलाके की पारिस्थितिकी प्रणाली को शामिल किया. 

इतने बड़े पैमाने पर प्राकृतिक स्थलों को शामिल कर किया गया यह पहला अंतरराष्ट्रीय प्रयोग था.



फुकुशिमा पावर प्लांट से 100 टन रेडियोधर्मी पानी का रिसाव हुआ-(27-FEB-2014) C.A

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जापान के फुकुशिमा दाइची परमाणु बिजली संयंत्र से 100 मिट्रिक टन रेडियोधर्मी पानी रिसाव हो गया. 100 मिट्रिक टन के इस अनुमानित अत्यधिक दूषित पानी के रिसाव का पता टोकयो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टीईपीसीओ) ने 20 फरवरी 2014 को की.

रिसाव हुआ पानी अत्यधिक रेडियोधर्मी है और इसमें 230 मिलियन बैक्क्यूरेल्स (becquerels) प्रति लीटर रेडियोधर्मी आइसोटोप्स पाया गया है. बैक्क्यूरेल्स रेडियोधर्मिता मापने की इकाई है. डब्ल्यूएचओ दिशानिर्देशों के मुताबिक पेयजय में 10 बैक्क्यूरेल्स प्रति लीटर से ज्यादा रेडियोधर्मी तत्व पाए जाने पर उसे इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. यह स्तर सरकार द्वारा समुद्र में पानी जारी होने की सीमा से करीब 7.6 मिलियन गुना अधिक है. 

टीईपीसीओ के मुताबिक रिसाव संभवतः उन पाइपों के वाल्व में खराबी की वजह से हुई है जिसके जरिए परिशोधित पानी भंडारण टैंक में जाता है. 

हालांकि यह दूषित जल प्रशांत महासागर तक नहीं पहुंच सकता क्योंकि टैंक समुद्र से कई सौ मीटर की दूरी पर है और टैंक के करीब कोई स्पिल्वे भी नहीं है. वर्ष 2011 में आए भूकंप और सुनामी से फुकुशिमा परमाणु संयंत्र को भारी नुकसान पहुंचा था और तब से अब तक इस संयंत्र में रिसाव और बिजली की समस्या कई बार पैदा हो चुकी है.

इस घटना के बाद, टीईपीसीओ ने भारी मात्रा में दूषित पानी का भंडारण किया है. टीईपीसीओं के मुताबिक, सीजियम– 137 के करीब 20 ट्रिलियन बैक्क्यूरेल्स, स्ट्रोनटियम– 90 के 10 ट्रिलियन बैक्क्यूरेल्स, और ट्राइटियम के 40 ट्रिलियन बैक्क्यूरेल्स मई 2011 से अगस्त 2013 के बीच भूजल के माध्यम से समुद्र में चला गया था.


केंद्र सरकार ने 1024 करोड़ के एफडीआइ प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की-(27-FEB-2014) C.A

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केंद्र सरकार ने एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और वेल्सपन रीन्यूएबल्स एनर्जी सहित 1,024 करोड़ रुपये के आठ एफडीआइ प्रस्तावों को  23 फरवरी 2014 को मंजूरी प्रदान की.
यह प्रस्ताव आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए)  ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की सिफारिशों के आधार पर मंजूर किये। जिसके अध्यक्ष आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम है.

एलएंडटी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को अपनी सिंगापुर स्थित इकाई सीसीपी इन्वेस्टमेंट को प्रतिभूतियां जारी करने की अनुमति मिली. इससे 1,000 करोड़ रुपये का एफडीआइ हासिल होगा. वेल्सपन रीन्यूएबल एनर्जी को अपनी 13.3 फीसद हिस्सेदारी एशियन डेवलपमेंट बैंक को 310 करोड़ रुपये में जारी करने की अनुमति दी गई. इसके अलावा कंपनी को ड्यूश इन्वेस्टिशन्स को 220 करोड़ रुपये के परिवर्तनीय डिबेंचर जारी करने की इजाजत दी गई. कॉर्डलाइफ साइंसेज इंडिया को विदेशी हिस्सेदारी 100 फीसद तक बढ़ाने और परिवर्तनीय तरजीही शेयर जारी करने की इजाजत दी गई. यस रेग्यूलेटरी हेल्थकेयर सर्विस, राजू बाउसानो एक्सट्रूशन, यूरेकैट इंडिया कैटलिस्ट सर्विसेज और जेडएफ इंडिया की निवेश योजनाओं को भी हरी झंडी मिली.


ईमेल माइल्स– ईमेल्स को ट्रैक करने की नई प्रणाली-(26-FEB-2014) C.A

| Wednesday, February 26, 2014
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) तकनीक का प्रयोग कर एक नई प्रणाली ईमेल माइल्स विकसित की गई.  इस प्रणाली से आपके इनबॉक्स में आने वाले ईमेल ने कितने मीलों की दूरी तय की है इसका पता चल सकेगा. ईमेल माइल्स विकसित करने की जानकारी 18 फरवरी 2014 को दी गई. इस प्रणाली को जोनाह ब्रूक्करकोहेन ने विकसित किया.

जीपीएस तकनीक और इंटरनेट ट्रैकिंग के उपयोग से यह पता चलता है कि संदेश कहां से भेजा गया और इसे कहां प्राप्त किया गया. इसके बाद यह प्रणाली कुल दूरी की गणना कर इसे स्क्रीन पर बने मैप के साथ दिखा देती है. 

ब्रूक्करकोहेन के अनुसार यह प्रणाली समय और दूरी की गणना इंटरनेट और एक समन्वय मैपिंग प्रणाली का इस्तेमाल कर, करती है. मीलों की गणना के बाद यह उन्हें जोड़ कर उपयोगकर्ता को मैप पर देशों और महाद्वीपों के साथ ईमेल ने कितने मीलों का सफर तय किया है, इसे भी बताता है.



अमेरिका के 3000 नागरिकों ने कर-कानूनों को लेकर देश की नागरिकता छोड़ी-(26-FEB-2014) C.A

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अमेरिका के 3000 नागरिकों ने वर्ष 2013 में अमेरिका के अंतर्वेधी कर-कानूनों और जटिल कर-फाइलिंग संबंधी कार्रवाई के कारण देश की नागरिकता छोड़ दी. यह वर्ष 2013 में नागरिकता छोड़ने वाले अमेरिकियों की संख्या पिछले पाँच वर्षों के औसत की तीन गुनी है.
  
वर्ष 2008 में कुल 231 अमेरिकियों ने अपनी नागरिकता छोड़ी थी. 2009 में यह संख्या बढ़कर 742 हो गई और 2010 में इसने 1534 का आँकड़ा छू लिया. 2011 में यह संख्या और बढ़कर 1781 हो गई, जबकि 2012 में घटकर 933 रह गई. 

अन्य देशों के विपरीत अमेरिका ने अपने नागरिकों की समस्त आय पर कर लगाना जारी रखा है, चाहे वह कहीं भी कमाई गई हो या वे कहीं भी रह रहे हों. विशेषज्ञों के अनुसार, दो देशों में कर दाखिल करने का मतलब अकसर कागजी कार्रवाई के पहाड़ से जूझना होता है.
  
इसमें कुछ भगदड़ नई प्रकटीकरण-अपेक्षाओं से बचने की आशा रखने वाले अमेरिकियों की भी हो सकती है. कांग्रेस द्वारा 2010 में अनुमोदित नई प्रकटीकरण-अपेक्षाओं का उद्देश्य सरकार को अदत्त करों से प्रतिवर्ष होने वाले अरबों-खरबों डॉलर के नुकसान की कुछ पूर्ति करना है.
 
2010 में नागरिकता-त्याग की पहली लहर 50000 अमेरिकी डॉलर जितने कम मूल्य की विदेशी परिसंपत्तियों की भी सूचना देने की अपेक्षा रखने वाले क़ानून के एक हिस्से के साथ आई. यह एक अन्य प्रावधान के अतिरिक्त था, जो अमेरिकियों को 10000 डॉलर से अधिक की विदेशी धारिताओं का प्रकटीकरण करने के लिए बाध्य करता है.

2012 में नागरिकता-त्याग में कमी आई थी. किंतु क़ानून के दूसरे हिस्से के लागू होने की वजह से नागरिकता-त्याग की घटनाएँ बढ़ने की आशा है. नया प्रावधान वित्तीय संस्थाओं से अमेरिकियों के समस्त विदेशी खाते सूचित करने की अपेक्षा करता है.
 
इस कानून ने कुछ बैंकों को इसका पालन करने के बजाय अमेरिकी ग्राहकों को निकाल बाहर करने के लिए तत्पर किया है. कानून के अनुसार, बैंकों द्वारा अमेरिका में धारित खातों की सूचना देने में गलती करने पर उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है, चाहे वे बेसिक चेकिंग और बचत खाते ही क्यों न हों.



के रहमान खान ने राजस्थान में अल्पसंख्यक साइबर गांव का उद्घाटन किया-(26-FEB-2014) C.A

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भारत के पहले अल्पसंख्यक साइबर गांव राजस्थान का उद्धघाटन अलवर जिले के चन्दौली में 19 फ़रवरी 2014 को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रहमान खान द्वारा किया गया.
चन्दौली को पायलट परियोजना के लिए पहले गांव के रूप में चयनित किया गया है क्योंकि यहा पर 80 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक आबादी का रहती है और मेवात क्षेत्र अल्पसंख्यकों की शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी पिछड़ा हुआ है. पायलट परियोजना की सफलता के बाद परियोजना को अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा.
साइबर गांव के बारे में
•    साइबर गांव परियोजना 15-59 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों को कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करेगा.
•    आगे भी , परियोजना के तहत अल्पसंख्यक की पर्याप्त आबादी वाले गांवों में स्थापित किया जाएगा.
•    इस परियोजना के तहत विशेषज्ञ चन्दौली के लोगों के लिए कम्यूटर कौशल का प्रशिक्षण प्रदान करेगें.
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री अपनी घोषणा में कहा कि सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के लिए केंद्रीय विद्यालयों की तर्ज पर विशेष स्कूलों को खोलने पर विचार कर रही है. सरकार ने अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में 200 नए कॉलेजों के खोलने की योजना बनाई है जिसमें लक्ष्मणगढ़, तिजारा, किशनगढबस और रामगढ़ शामिल हैं.


एनटीपीसी ने बिहार के कजरा थर्मल प्रोजेक्ट के विकास हेतु समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए-(26-FEB-2014) C.A

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एनटीपीसी ने बिहार के लखीसराय जिले में कजरा में 1320 मेगावाट (2X660 मेगावाट) की ताप-विद्युत परियोजना विकसित करने के लिए बिहार राज्य विद्युत निर्माण कंपनी लिमिटेड (बीएसपीजीसीएल) और लखीसराय बिजली कंपनी प्राइवेट लिमिटेड (एलबीसीपीएल) के साथ एक समझौता-ज्ञापन (एमओयू) पर 22 फरवरी 2014 को हस्ताक्षर किए.

इस परियोजना को विकसित करने पर 9200 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं. परियोजना में 660-660 मेगावाट की दो यूनिटें होंगीं.
   
समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनटीपीसी के सीएमडी तथा बिहार के ऊर्जा मंत्री अरूप रॉय चौधरी की उपस्थिति में किए गए.
   
समझौते के अनुसार परियोजना एक संयुक्त उपक्रम के माध्यम से विकसित की जानी है. परियोजना में 74 प्रतिशत हिस्सा एनटीपीसी के पास और शेष बीएसपीजीसीएल के पास रहेगा.



भारत और बहरीन ने प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए-(26-FEB-2014) C.A

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भारत और बहरीन ने 19 फ़रवरी 2014 को नई दिल्ली में तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इन समझौतों पर बहरीन के राजा हमद बिन ईसा अल खलीफा की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किये गये.
दोनों पक्षों ने व्यापार और वाणिज्य के प्रमुख क्षेत्रों में अपने सहयोग का विस्तार करने के निर्णय के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए. समझौतों पर हस्ताक्षर भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राजा हमद बिन ईसा अल खलीफा की उपस्थिति में किए गए.
बहरीन के राजा की राजकीय यात्रा के दौरान भारत बहरीन के हस्ताक्षर किए गए समझौता ज्ञापन/ करार की सूची-
समझौते का नाम
भारत से हस्ताक्षरकर्ता
बहरीन से हस्ताक्षरकर्ता
टिप्पणियाँ
बहरीन के राज्य सरकार और भारत गणराज्य की सरकार के बीच युवा और खेल के क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन
सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
राजकुमार शेख नासिर बिन हमद अल खलीफा, बहरीन के राज्य के युवा और खेल की सुप्रीम काउंसिल के अध्यक्ष
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य  विशेष रूप से विभिन्न विषयों में युवा और खेल टीमों के आदान प्रदान से संस्थागत आदान प्रदान के माध्यम से खेल और युवा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने और मजबूत बनाने ध्यान दिया गया है।
भारत और बहरीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक "उच्च संयुक्त आयोग 'की स्थापना पर समझौता ज्ञापन
सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
खालिद बिन अहमद बिन मोहम्मद अल खलीफा, बहरीन के विदेश मामलों के मंत्री

यह नया समझौता ज्ञापन  विदेश मंत्रियों की अध्यक्षता में किया जाना है,  जो उच्च संयुक्त आयोग द्वारा तकनीकी और आर्थिक सहयोग (1981 में स्थापित) के मौजूदा संयुक्त समिति का स्थान ले लेगा और दोनों देशों के बीच सभी द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक बहुपक्षीय ढांचे के रूप में काम करेगा .
विदेश मंत्रालय के विदेश सेवा संस्थान और  बहरीन के राजनयिक संस्थान, राज्य के विदेश मामलों के मंत्रालय के बीच  समझौता ज्ञापन
सलमान खुर्शीद, विदेश मंत्री, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार
खालिद बिन अहमद बिन मोहम्मद अल खलीफा, बहरीन के विदेश मामलों के मंत्री

समझौता ज्ञापन का उद्देश्य एफएसआई और संरचना तथा प्रशिक्षण कार्यक्रमों की सामग्री, प्रशिक्षुओं, छात्रों, संकाय सदस्यों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के आदान प्रदान पर सूचना के आदान प्रदान सहित राजनयिक संस्थान, बहरीन के विदेश मामलों के मंत्रालय के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है


मिस्र में हाजेम अल-बेबलावी के नेतृत्व वाली सेना-समर्थित सरकार का इस्तीफा-(26-FEB-2014) C.A

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हाजेम अल-बेबलावी ने मिस्र के प्रधानमंत्री पद से 24 फरवरी 2014 को इस्तीफा दे दिया. सरकार का इस्तीफा मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद सामने आया, जिसमें फील्ड मार्शल अब्दुल फतह अल-सीसी ने भी भाग लिया. अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया.
मिस्र की सेना-समर्थित अंतरिम सरकार द्वारा इस्तीफे का फैसला सत्तारूढ़ होने के महज आठ महीने बाद आया और उसने सेना-प्रमुख और देश के रक्षामंत्री जनरल अब्दुल फतह अल-सीसी के राष्ट्रपति बनने का रास्ता साफ कर दिया. सरकार ने इस्तीफा सार्वजनिक क्षेत्र के कामगारों की हड़ताल सहित हड़तालों की एक श्रृंखला के बाद दिया, जिससे देश में कुकिंग गैस की भारी किल्लत हो गई थी.   

विदित हो कि मिस्र की सरकार ने जनवरी 2014 में एक संविधान को मंजूरी दी थी, जिसमें कहा गया है कि मध्य-अप्रैल 2014 में चुनाव होना चाहिए. 

पृष्ठभूमि 
इस्लामवादी राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी द्वारा पदत्याग करने के बाद अल-बेबलावी के नेतृत्व में सेना-समर्थित सरकार ने 16 जुलाई 2014 को शपथ ग्रहण की थी. सुरक्षा बलों द्वारा मुर्सी के इस्लामवादी आंदोलन मुस्लिम ब्रदरहुड पर कड़ी कार्रवाई से एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे और कई बंदी बना लिए गए थे.


श्रीलंका सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त की प्रारूप रिपोर्ट नामंजूर-(26-FEB-2014) C.A

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श्रीलंका सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै की प्रारूप रिपोर्ट 24 फरवरी 2014 को नामंजूर कर दी. प्रारूप रिपोर्ट में श्रीलंका सरकार द्वारा कथित रूप से किए गए मानवाधिकार-उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जाँच करवाए जाने की माँग की गई थी. यह उच्चायुक्त की सिफारिशों और निष्कर्षों की स्पष्ट अस्वीकृति है.

श्रीलंका सरकार की विज्ञप्ति उच्चायुक्त द्वारा प्रस्तुत और 26 मार्च 2014 को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 25वें सत्र में पेश की जाने वाली प्रारूप रिपोर्ट के जवाब में आई.
श्रीलंका सरकार के वक्तव्य में कहा गया है कि रिपोर्ट पक्षपातपूर्ण है और संप्रभु देश के आंतरिक मामलों में अवांछित हस्तक्षेप है. उसमें यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय जाँच-तंत्र की सिफारिश पूर्वकल्पित, प्रतिकूल एजेंडा प्रतीत होती है और राजनीति से प्रेरित है.  

इससे पूर्व, श्रीलंका ने दावा किया था कि देश ने अपनी स्वयं की समाधान-प्रक्रिया में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) को समय-समय पर बताया जाता रहा है. साथ ही, अमेरिका ने घोषणा की थी कि वह इस मामले में श्रीलंका के विरुद्ध एक संकल्प प्रवर्तित करेगा और उच्चायुक्त की रिपोर्ट उस संकल्प का आधार बनेगी.


भारत ने दक्षेस में व्यापक संस्थागत और संरचनात्मक सुधारों की अपील की-(26-FEB-2014) C.A

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भारत ने क्षेत्रीय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में व्यापक संस्थागत और संरचनात्मक सुधारों की अपील 20 फ़रवरी 2014 को की.

केन्द्रीय विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने मालदीव में बंदोस द्वीप रिज़ॉर्ट में विदेश मंत्रियों की 35वीं बैठक में सार्क और पर्यवेक्षक देशों के बीच संबंधों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की जरूरत पर बल दिया.

निम्नलिखित नौ देशों को पर्यवेक्षक के रूप में सार्क में शामिल किया गया. 
ऑस्ट्रेलिया, चीन, यूरोपीय संघ, ईरान, जापान, दक्षिण कोरिया, मॉरीशस, म्यांमार, अमेरिका

सार्क बैठक के अवसर पर सलमान खुर्शीद ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री, सरताज अजीज से भी मुलाकात की.
 
18वीं सार्क शिखर बैठक नवम्बर 2014 में काठमांडू में आयोजित किया जाना है. 

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) 
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। इसकी स्थापना 8 दिसंबर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी. इसका मुख्यालय नेपाल के काठमांडू में है.  अप्रैल 2007 में संघ के 14वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवां सदस्य बन गया. पहली बार शिखर सम्मेलन 8 दिसंबर 1985 को ढाका में आयोजित किया गया.
 
सार्क के सदस्य देश
बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, अफगानिस्तान