भारत का चालू खाते का घाटा (सीएडी) वित्तवर्ष 2013-14
के चौथी तिमाही में तेजी से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद के 1.7
प्रतिशत पर आ गया, जबकि 2012-13 को समाप्त वित्तवर्ष में वह 4.7 प्रतिशत था, जो कि चालू खाता घाटा 87.8 अरब डॉलर से घटकर 32.4
अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक ने यह आंकड़े 26 मई 2014 को जारी किए. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार
निर्यात की भरपाई और आयात में कमी से चालू खाते के घाटे में यह कमी आई है.
चालू खाते के घाटे में सुधार के साथ भुगतान संतुलन की स्थिति भी चौथी तिमाही में बेहतर रही.
वित्तवर्ष 2013-14 की चौथी तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 7.1 अरब डॉलर बढ़ा जबकि वित्तवर्ष 2012-13 की समान तिमाही में यह 2.7 अरब डॉलर बढ़ा था. अक्टूबर-दिसंबर 2013 की तिमाही में मुद्रा भंडार में 19.1 अरब डॉलर का इजाफा हुआ था.
मार्च 2014 में समाप्त 12 महीने की अवधि में चालू खाते का घाटा भारतीय रिजर्व बैंक के सहज स्तर 2.5 प्रतिशत के दायरे में आ गया. वित्त वर्ष 2014 के लिए चालू खाते का घाटा (सीएडी) 1.7 प्रतिशत रहा जबकि अप्रैल 2012-मार्च 2013 में यह 4.7 प्रतिशत रहा था.
विदेशी मुद्रा भंडार में 15.5 अरब डॉलर की वृद्धि से वित्त वर्ष 2013-14 के लिए भुगतान संतुलन भी सकारात्मक दायरे में आ गया जबकि वित्त वर्ष 2012-13 में यह 3.8 अरब डॉलर बढ़ा था.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने तीसरी बार सीएडी और भुगतान संतुलन के आंकड़े समय से पहले जारी किए.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार चौथी तिमाही में सीएडी में कमी मुख्य रूप से व्यापार घाटे में नरमी के चलते देखने को मिली है क्योंकि निर्यात के मुकाबले आयात में तेज गिरावट आई. वित्तवर्ष 2013-14 की चौथी तिमाही में निर्यात 1.3 प्रतिशत घटकर 83.7 अरब डॉलर रहा जबकि आयात में 12.3 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 114.3 अरब डॉलर रह गया. आयात में गिरावट मुख्य रूप से सोने के आयात में आई भारी गिरावट के चलते देखने को मिली, जो मात्र 5.3 अरब डॉलर रहा.
चालू खाते का घाटा: देश से विदेशी मुद्रा के जाने और आने का अंतर
व्यापार घाटा: आयात-निर्यात का अंतर
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