चीन ने रूस के साथ 21 मई 2014 को प्राकृतिक गैस को खरीदने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते
की अवधि 30 वर्ष है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने
चीन की यात्रा के दौरान इस सौदे पर हस्ताक्षर किए.
रूस की गैसपोर्ट फर्म और चीन के राष्ट्रीय पेट्रोलियम निगम के बीच इस
समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. समझौते के अनुसार, रूस की
गैसपोर्ट फर्म चीन के राष्ट्रीय पेट्रोलियम कार्पोरेशन को सालाना 38 अरब घन मीटर गैस की आपूर्ति करेगा. इस अनुबंध की कुल कीमत 400 बिलियन अमेरिकी डालर है. इसके अलावा, रूसी
राष्ट्रपति पुतिन को यूक्रेन संकट पर भी चीन के राष्ट्रपति जी जिनपिंग से समर्थन
प्राप्त हुआ है. रूस और चीन ने यूक्रेन में सेनाओं को हटाने का तनाव और मौजूदा
समस्याओं को शांतिपूर्ण और राजनीतिक तरीके से हल निकालने के लिए एक बयान जारी
किया. दोनों देशों ने संकट को आंतरिक मामला बताया है.
विश्लेषण
यह अनुबंध रूस को बड़ी राहत लेकर आया है क्योंकि क्रीमिया
प्रायद्वीप के विलय के बाद से रुस पश्चिमी शक्तियों की आलोचना का सामना कर रहा है
जो मार्च 2014 में यूक्रेन संकट से पैदा हुई थी.
इसके अलावा, चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सिर्फ
इसी मुद्दे के कारण रूस का समर्थन करने में झिझक रहा था. गैस सौदे पर हस्ताक्षर
रूस के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है.
समझौते पर हस्ताक्षर होने का अर्थ है कि रूस अब अपनी
ज्यादा गैस बेचने के लिए यूरोपीय देशों पर निर्भर नहीं रहेगा जिससे रूस को यूक्रेन
संकट से अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों के प्रभाव पर
काबू पाने में मदद मिलेगी. यूक्रेन संकट पर रूस को चीनी समर्थन मिलने से पुतिन
द्वारा हाल में उठाए गए बातचीत के कदमों से समाधान निकल सकता है. इन कदमों में
यूक्रेन की सीमा पर जमा रूसी सेना को ठिकानों पर वापस लौटने के और यूक्रेन सरकार
बीच प्रारंभिक संपर्क और पूर्व में बड़े पैमाने पर रूसी भाषी क्षेत्रों के लिए
अधिक शक्ति के लिए बुला रहे उन के स्वागत योग्य आदेश भी शामिल है.
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