मिस्र के संघर्ष विराम प्रस्ताव के साथ क्या इसराइल और हमास की लड़ाई ख़त्म हो गई?-(31-AUG-2014) C.A

| Sunday, August 31, 2014
इसराइल और हमास ने 50 दिनों तक चले खूनी युद्ध के बाद मिस्र के संघर्ष विराम प्रस्ताव पर 26 अगस्त 2014 को सहमत हो गए. इस सहमति के साथ ही दोनों पक्षों ने युद्ध को बंद करा दिया. इस बार यह संघर्ष विराम असीमित समय के लिए हुआ है.

हमास फिलिस्तीन का एक चरमपंथी गुट है जो विश्व में एक आतंकवादी संगठन के रूप में जाना जाता है.
मिस्र द्वारा प्रस्तावित समझौते के तहत दोनों पक्ष आपसी संर्घष विराम पर अटल रहेंगें. इसराइल आगे विस्तार की संभावना के साथ गाजा के तट पर मछली पकड़ने की सीमा को तीन मील से छह मील करेगा. गाजा की सीमाओं पर फिलीस्तीनी प्राधिकरण का अधिकार होगा. पीए पुनर्निर्माण के प्रयासों में मदद करेगा. इसराइल गाजा में 300 मीटर के सुरक्षा बफर को 100 मीटर करेगा. इसराइल गाजा क्रॉसिंग को और अधिक खोलेगा और मिस्र राफा को खोलेगा.

हालांकि, इसके बाद भी अभी कुछ मुद्दे हल नहीं किए गए हैं. हमास की गाजा बंदरगाह और हवाई अड्डा एवं इस्राइल की गाजा के विसैन्यीकरण से जुड़ा मुद्दा संघर्ष विराम के एक महीने तक सफलतापूर्वक चलने के बाद हल किए जाने का प्रस्ताव है. 
 
यद्यपि मिस्र ने 15 जुलाई 2014 को ही संघर्ष विराम समझौते का प्रस्ताव दिया था लेकिन हमास ने इसे अस्वीकार कर दिया था.  इसके अस्वीकार कर देने के बाद इसराइल ने ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज’, जिसकी शुरुआत 8 जुलाई 2014 को थी, को  जारी रखा. इस ऑपरेशन ने 26 अगस्त 2014 को संघर्ष विराम होने तक 2100 फिलीस्तिनियों की जान ले ली और 1.7 मिलियन लोगों को विस्थापित कर दिया. इसमें इस्राइल के भी 5 नागरिकों के साथ 64 सैनिक मारे गए.

इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, इस्राइल के हमास के खिलाफ वर्ष 2008–09 के दौरान ऑपरेशन कास्ट लीडके मुकाबले इस बार के युद्ध में शारीरिक क्षति तीन गुना अधिक हुई है.

इस संघर्ष विराम के पहले अनेकों बार विश्व के कई देशों द्वारा युद्ध समाप्त करने की अपील की गई परन्तु दोनों पक्षों द्वारा या किसी एक पक्ष द्वारा अपील को अस्वीकार कर दी गई.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने भी गाजा में इस्राइल के आक्रामक रवैये की समस्या से संबंधित एक संकल्प, जिसका शीर्षक था येरूशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून हेतु सम्मान सुनिश्चित करनाप्रस्तुत किया. जिस पर 23 जुलाई 2014 को मतदान भी कराया गया. संकल्प के पक्ष में भारत  सहित 29 देशों ने मतदान किया जबकि यूरोपीय देशों सहित कुल 17 देश मतदान की प्रक्रिया के दौरान अनुपस्थित रहे. 47 सदस्यों वाले यूएनएचआरसी में इस संकल्प के खिलाफ मत करने वाला अमेरिका एक मात्र देश था.

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने इस हिंसा को युद्ध अपराध करार दिया है.

क्यों टकराते हैं इसराइल और हमास?
ग़ज़ा पट्टी मध्य पूर्व में मिस्र और इसराइल के बीच एक छोटा सा भू भाग है जिसका कुल क्षेत्रफल लगभग 360 वर्ग किलोमीटर है. अर्थात ये आकार में दिल्ली के एक चौथाई हिस्से के बराबर है और इसकी आबादी लगभग 18 लाख है.

इसराइल ने वर्ष 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के बाद ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया और लगभग चार दशक बाद वर्ष 2005 में वहां से अपने सैनिक हटाए. इसके बावजूद ग़ज़ा की सीमाओं, पानी और वायुक्षेत्र पर अब भी इसराइल का नियंत्रण है. वहीं ग़ज़ा की दक्षिणी सीमा को मिस्र नियंत्रित करता है.

ग़ज़ा में लोगों और सामान की आवाजाही पर इसराइल का कड़ा नियंत्रण है. इसे जहां हमास ग़ज़ा की नाकेबंदी बताता है, वहीं इसराइल अपनी सुरक्षा के लिए इसे अहम मानता है.

हमास के घोषणापत्र में यूं तो इसराइल के विनाश की बात कही गई है लेकिन हाल के वर्षों में उसने कहा है कि वो इसराइल के साथ लंबा संघर्ष विराम चाहता है.
इसराइल ने आठ जुलाई को 'ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज' की शुरुआत की थी. इसका मक़सद इसराइल में रॉकेट हमले रोकना था. बाद में उसने चरमपंथियों की सुरंगें नष्ट करने का काम भी इसमें जोड़ दिया.

सच्चाई यह है कि अगर संघर्ष विराम को आगे बढ़ाना है तो दोनों पक्षों को निश्चित रूप से कुछ न कुछ रियायत देनी होगी. दोनों पक्ष (जो कभी आमने-सामने नहीं मिलेंगे) अब भी एक दूसरे से नफ़रत करते हैं. इसमें सबसे अच्छी बात जो कही जा सकती है वो यह है कि लड़ाई से बेहतर है कि वो बातचीत करें. इसराइल और हमास के मध्य यह समझौता निःसंदेह स्वागत योग्य है और यह गाजा क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मददगार साबित होगी.


केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय नें व्यापक स्थायी पर्यटन मानदंड की शुरूआत की-(31-AUG-2014) C.A

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केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्रीपद नाईक ने 26 अगस्त 2014 को व्यापक स्थायी पर्यटन मानदंड (एसटीसीआई) की शुरूआत की. इसकी शुरुआत अकोमोडेशन, टूर ऑपरेटर्स एंड बीचेस, बैकवाटर्स, लेक्स एवं रिवर सेक्टर्स के उद्देश्य से की गई.
कार्बन को कम करने व पर्यटन उद्योग का संवहनीय सिद्धांतों के आधार पर निर्माण करने के उद्देश्य से इस योजना की शुरूआत की गई. इसकी शुरूआत करते समय नाईक ने पर्यटन उद्योग के सभी हितधारियों को एसटीसीआई अपनाने को कहा. इसके साथ ही उन्होंने रोजगार सृजन, राष्ट्रीय आय को बढ़ाने, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने एवं महिलाओं तथा पिछड़ों की स्थति में सुधार के द्वारा सामाजिक न्याय को बढावा देकर लंबी अवधि का व्यवसाय करने का सुझाव दिया.
पृष्ठभूमि
केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने पर्यटन एवं हॉस्पिटैलिटी के सभी 14 क्षेत्रों को शामिल कर एक स्टीयरिंग समिति बनाई थी जिसका उद्देश्य संवहनीय पर्यटन मानदंड को बनाना था. समिति ने समग्र एसटीसीआई बना कर अपना काम पूरा किया.

भारत के प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए किसी भी राज्य सरकार के पर्यटन व्यवसाय के लिए यह न्यूनतम आवश्यकता एवं मार्गदर्शक सिद्धांत हैं. इसका उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि पर्यटन व्यवसाय से पर्यावरण को खतरा ना हो और नुकसान कम से कम हो.



मॉडल कनसेशन समझौता (एमसीए)- सड़क परियोजनाओं के लिए एक वैधानिक अनु-(31-AUG-2014) C.A

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मॉडल कनसेशन समझौता (एमसीए) हाल ही में सुर्खियों में था जब 27 अगस्त 2014 को आर्थिक मामलों से संबंधित कैबिनैट समिति ने इसमें संशोधन का अधिकार सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को दे दिया.

मॉडल कनसेशन समझौता
•         एमसीए एक वैधानिक अनुबंध है जो भारत में पीपीपी परियोजनाओं का आधार है.
•         सड़क परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए इसमें नियम व शर्तें दी हुई हैं जब एन निजी फर्म ऑपरेट करता है.
•         पीपीपी परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए यह नीति व नियामक की व्याख्या करती है.
•         एमसीए पीपीपी परियोजनाओं से जुड़े सभी जटिल मुद्दे जैसे मिटिगेशन, जोखिम कम करना, जोखिम एवं फायदे का आवंटन, मुख्य पार्टी के बीच सामंजस्यता, खर्च एवं जिम्मेदारी का अनुमान, कारोबारी खर्च कम करना आदि को सुलझाने की दिशा में मददगार है.
•         जोखिम वहन कर सकने वाली पार्टी को जोखिम का बँटवारा.
•         एमसीए राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्यमार्गों, शहरी रेल ट्रांजिट व्यवस्था एवं बंहरगाहों जैसे क्षेत्रों के लिए उपलब्ध है.



दिल्ली सरकार ने दिल्ली में दुपहिया वाहन की महिला सवारियों को हेलमेट पहनना अनिवार्य किया-(31-AUG-2014) C.A

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दिल्ली सरकार ने 28 अगस्त 2014 को दिल्ली में दुपहिया वाहन के पीछे बैठने वाली महिला सवारियों को हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया.
इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. यह कानून सरकार द्वारा दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 115 में संशोधन के बाद प्रभाव में आया.
सरकार ने सिखों की धार्मिक भावना का ध्यान रखते हुए सिख महिलाओं को इससे छूट प्रदान की गई है. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) ने दिल्ली सरकार के निर्णय का स्वागत किया. 

संशोधन के पीछे कारण 
दिल्ली परिवहन विभाग के अनुसार वर्ष 2012 में 580 के आसपास दुपहिया वाहन सवारों ने दुर्घटना में अपनी जान गंवाई. सिर की चोटें उनकी मौत का मुख्य कारण थे. यह मौतें हेलमेट न लगाने का नतीजा थी. इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 में संशोधन प्रस्तावित किया गया था.

दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993
दिल्ली मोटर वाहन नियम, 1993 के नियम 115 का खंड (2) महिलाओं को हेलमेट पहनना वैकल्पिक बनाता है. महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस खंड को हटाया जाना आवश्यक था.
वर्ष 1998 में दिल्ली सरकार ने दुपहिया वाहन चलाने वाले और उस पर बैठने वाले के लिए हेलमेट पहनना जरूरी कर दिया था. इस नियम को लेकर सिख समुदाय के एतराज के बाद सरकार ने वर्ष 1999 में मोटर वाहन नियम, 1993 में बदलाव किया और महिलाओं के हेलमेट पहनने को विकल्प के तौर पर बना दिया.
पृष्ठभूमि
उपराज्यपाल नजीब जंग ने 2 मई 2014 को सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर आम जनता से सुझाव मांगने हेतु दिल्ली परिवहन विभाग को मंजूरी दी थी. सुझाव के दौरान यह नतीजा सामने आया कि हेलमेट पहनना सभी के लिए अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए.
इसके अलावा, कुछ मुस्लिमों ने दुपहिया वाहन पर बुर्का पहनने वाली मुस्लिम महिलाओं के लिए राजधानी में राहत की मांग की.


कैबिनेट समिति ने एमसीए में संशोधन का अधिकार सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को दिया-(31-AUG-2014) C.A

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आर्थिक मामलों से संबंधित कैबिनेट समिति ने 27 अगस्त 2014 को मॉडल कनसेशन समझौते में संशोधन का अधिकार सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को दे दिया.

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय अब निम्नलिखित निर्णय ले सकता है-
1. परियोजनाओं की डिलीवरी का मोड
2. परियोजनाओं की आर्थिक स्थिति एवं लाभप्रदता के आधार पर अवार्ड के तरीकों का चयन जैसे पीपीपी रूट बीओटी (टोल) अथवा बीओटी (एन्युटि) अथवा ईपीसी मॉडल
3. छोटे डेवलपरों को हिस्सा बेचने की अनुमति
4. प्रोजैक्ट की रिकवरी के लिए नौकरशाह के स्तर पर प्रीमियम पुर्निर्धारण का निर्णय
कैबिनैट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति एमसीए में संशोधन करने अथवा ना करने का निर्णय लेगी.
इस निर्णय के पीछे कारण
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को समय अनुबंध देने में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा था. परियोजना की डिलीवरी के मोड को जानने में अड़चनें आ रही था. इस निर्णय से परियोजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी आएगी और परियोजना को अधर में लटकने से बचाया जा सकेगा.
वर्ष 2013 में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को 9,500 किलोमीटर सड़क का निर्माण कराना था परंतु, केवल 1,116 किलोमीटर सड़कों के ही अनुबंध हो सके. वर्ष 2014 में लक्षित 4,030 किलोमीटर की सड़क के मुकाबले केवल 1,436 किलोमीटर की सड़कों के ही अनुबंध हो सके.
इससे पहले सड़क परियोजनाओं के दस्तावेजों में संशोधन का निर्णय एक अंतर-मंत्रालयी समूह करता था. परियोजना के बाधित होने की दशा में मामला केंद्रीय कैबिनैट समिति के समक्ष रखी जाती थी जिससे परियोजनाओं की डिलीवरी में देरी होती था.

मॉडल कनसेशन समझौता (एमसीए)
भारत में सरकारी-निजी साझेदारी(पीपीपी) परियोजनाओं का आधार एमसीए है. एमसीए एक वैधानिक अनुबंध है जिसमें सड़क परियोजनाओं के क्रियान्वयन से संबंधित नियम एवं शर्तों का उल्लेख है. पीपीपी परियोजना के क्रियान्वयन के लिए इसमें नीतियाँ एवं नियामक हैं.
एमसीए राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्यमार्गों, शहरी रेल ट्रांजिट व्यवस्था एवं बंहरगाहों जैसे क्षेत्रों के लिए उपलब्ध है.


आईएसआईएस के विरूद्ध इराकी कुर्द को सशस्त्र करने में अमेरिका के साथ सात देश आए-(31-AUG-2014) C.A

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उत्तरी इराक में पेशमार्गा कुर्दिश बलों को हथियार से लैस करने की अमेरिकी कवायद को 26 अगस्त 2014 को उस समय बल मिला जब सात अन्य देशों नें इसमें अमेरिका को समर्थन देना शुरू कर दिया. ये सात देश अल्बानिया, कनाडा, क्रोएशिया, डैनमार्क, इटली, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम हैं. इसकी घोषणा अमेरिका के सुरक्षा सचिव चक हेगल ने की.

यह घोषणा हेगल द्वारा अमेरिका के नेतृत्व में बनाई गई कमीशन के गठन के दो हफ्ते बाद हुई है. इस कमीशन का उद्देश्य कुर्दिश बलों को हथियार पूर्ति के प्रयासों में तेजी लाना था. 
यह मामला तब आगे बढा जब आईएसआईएस समूह द्वारा अगस्त 2014 में कुर्दिश बलों को हरा कर सैनिक अड्डों एवं जून 2014 में औजारों एवं हथियारों पर कब्जा जमा लिया गया.
इसके अलावा अमेरिका को इस अभियान में ऑस्ट्रेलिया, बर्लिन, कतर, सऊदी अरब, तुर्की एवं यूएई से भी सहयोग मिलने की संभावना है. अमेरिका के हवाई अभियान को ब्रिटेन एवं ऑस्ट्रेलिया का सहयोग मिला है. तुर्की अपने सैन्य अड्डों के इस्तेमाल की इजाजत दे सकता हैं वहीं इस अभियान को सऊदी अरब, कतर, यूएई से वित्तीय मदद मिलने की संभावना है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा सीरिया के हवाई क्षेत्रों से गुजर रही फ्लाइट के सर्विलांस की 26 अगस्त 2014 को दी गई अनुमति के बाद से इस दिशा में गति आई है.


रचैप तैय्यप एर्दोआन ने तुर्की के 12वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली-(31-AUG-2014) C.A

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रचैप तैय्यप एर्दोआन ने 28 अगस्त 2014 को तुर्की के 12 वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. रचैप ने अंकारा में तुर्की की संसद में आयोजित एक समारोह में शपथ ग्रहण की.
शपथ ग्रहण समारोह में पूर्वी यूरोप, अफ्रीका, मध्य एशिया और मध्य पूर्व के एक दर्जन से अधिक देशों से राज्य के प्रमुखों ने भाग लिया. अगस्त 2014 में जनता  के वोट के आधार पर पहली बार राष्ट्रपति चुनाव आयोजित किया गया जिसमें रचैप तैय्यप एर्दोआन ने मतदान का 51.79 प्रतिशत के साथ चुनाव जीता.
रचैप तैय्यप एर्दोआन के विरोधी और इस्लामी सहयोग संगठन के पूर्व प्रमुख एकमेलेदीन इसानोग्लु ने 38.44 प्रतिशत मत प्राप्त किये और कुर्दिश राजनीतिज्ञ सेलाहट्टीन डेमिर्तास 9.76 प्रतिशत मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे. वह जस्टिस एंड डेवलेपमेंट पार्टी (एके) से संबंध रखते हैं ओर वर्ष 2003 के से तुर्की के प्रधान मंत्री के रूप में सेवारत थे.
तुर्की के राष्ट्रपति के बारे में
तुर्की के राष्ट्रपति का पद 29 अक्टूबर 1923 को तुर्की गणराज्य की घोषणा के साथ स्थापित किया गया था. तुर्की का राष्ट्रपति तुर्की गणराज्य का प्रमुख होता है. 
तुर्की के राष्ट्रपति तुर्की गणराज्य और तुर्की राष्ट्र की एकता का प्रतिनिधित्व करता है, वह तुर्की के संविधान के कार्यान्वयन, और राज्य के अंगों का सामंजस्यपूर्ण कामकाज सुनिश्चित करता है.
राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति को डी 'होंट  विधि के अनुसार बंद सूची आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एक प्रणाली द्वारा निर्वाचित किया जाता है. सीटों के वितरण में भाग लेने के लिए, एक पार्टी को राष्ट्रीय स्तर के साथ ही एक जटिल फार्मूले के आधार पर जिले में वोट के प्रतिशत में डाली वोट के कम से कम 10% प्राप्त करना होगा. वर्ष 2007 में एक संशोधन के अनुसार, भविष्य के राष्ट्रपति एक सार्वजनिक मतदान के माध्यम से नागरिकों द्वारा निर्वाचित होते थे. राष्ट्रपति पांच साल के कार्यकाल के लिए निर्वाचित किया जाएगा. राष्ट्रपति दूसरे कार्यकाल के लिए योग्य होंगे.
तुर्की के बारे में 
तुर्की वर्ष 1923 में ओटोमन साम्राज्य से स्वतंत्र हुआ था. मुस्तफा कमाल अतातुर्क को तुर्की का आधुनिक संस्थापक माना जाता है. उन्होंने गणतंत्र देश के रूप में तुर्की की स्थापना की थी.


आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को मंत्री पद पर नियुक्ति न करने की सर्वोच्च न्यायालय की सलाह-(31-AUG-2014) C.A

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सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने उस जनहित याचिका को 27 अगस्त 2014 को ख़ारिज कर दिया जिसमें केंद्र और राज्य सराकारों को आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को मंत्री पद पर नियुक्ति न करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. यह जनहित याचिका मनोज नरूला ने वर्ष 2004 में दायर की थी.
संविधान पीठ के अन्य सदस्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति  दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे रहे. संविधान पीठ ने यह फैसला 123 पृष्ठों में दिया.
 
संविधान पीठ ने अपने फैसले में उन मंत्रियों को अयोग्य करार देने से इंकार कर दिया जिन पर आपराधिक और भ्रष्टाचार के आरोप तय किए जा चुके हैं. संविधान पीठ ने प्रधानमंत्री को सलाह दी है कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले दागी लोगों को मंत्री का पद नहीं दिया जाए. पीठ ने कहा कि हम दागी सांसदों, विधायकों को मंत्री पद के लिए अयोग्य नहीं ठहरा रहे हैं. यह प्रधानमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है कि वह दागी जनप्रतिनिधियों को मंत्रिमंडल में जगह देने के लिए कितने संवेदनशील हैं. संवैधानिक पुनर्जागरण और लोकतंत्र की जड़ें मजबूत करने के लिए दागियों से दूरी बनाए रखना जरूरी है.

संविधान पीठ ने ऐसे लोगों के नामों की सिफारिश राष्ट्रपति और राज्यपाल के पास न भेजने का फैसला प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के विवेक पर छोड़ दिया. संविधान पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक मशबिरा मात्र है. वह संविधान के अनुच्छेद-75(1) (प्रधानमंत्री एवं मंत्रि परिषद की नियुक्ति) में अयोग्यता नहीं जोड़ सकती लेकिन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को ऐसे लोगों को मंत्री बनाने पर विचार नहीं करना चाहिए, जिनकी पृष्ठभूमि आपराधिक रही है और जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार समेत गंभीर मामलों में आरोप तय किए गए हैं.

संविधान पीठ ने कहा कि संविधान, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों पर गहरा विशवास रखता है और उनसे आशा की जाती है कि वे संवैधानिक जिम्मेदारी और नैतिकता के साथ काम करेंगे. प्रधानमंत्री को संवैधानिक न्यास का विश्वास पात्र समझा जाता है और उन्हें राष्ट्रीय हितमें काम करना चाहिए. साथ ही स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद-75(1) की व्याख्या करते समय नई अयोग्यता नहीं जोड़ी जा सकती. जब कानून में गंभीर अपराधों या भ्रष्टाचार में अभियोग तय होने पर किसी को चुनाव लड़ने के अयोग्य नहीं माना गया है तो अनुच्छेद-75(1) (केंद्रीय मंत्रिमंडल का चयन) या 164(1) (राज्य मंत्रिमंडल का चयन) में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के अधिकारों की व्याख्या करते हुए उसे अयोग्यता के तौर पर शामिल नहीं किया जा सकता.
संविधान पीठ ने कहा कि उन सांसदों या विधायकों की बात नहीं कर रहे हैं जिनके विरुद्ध अपराध साबित होने पर उनकी सदस्यता निरस्त करने का सर्वोच्च न्यायालय ने ही वर्ष 2013 में फैसला सुनाया था. दो वर्ष से कम सजा पाए व्यक्ति जनप्रतिनधित्व कानून के तहत वर्तमान में भी सांसद निर्वाचित हो सकते हैं और मंत्री पद भी हासिल कर सकते हैं. लेकिन बात उन लोगों की है जिनके विरुद्ध संगीन और गंभीर आरोपों को लेकर अदालत अभियोग तय कर चुकी है. इनमें भ्रष्टाचार के मुकदमे भी शामिल हैं. आरोप तय होने पर क्या उन्हें मंत्री का पद दिया जाना चाहिए. संविधान पीठ ने कहा कि नैतिक और संवैधानिक मूल्य इस तरह के लोगों को मंत्रिमंडल से दूर रखने की ओर इशारा करते हैं.
संविधान पीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह ध्यान में रखना चाहिए कि अवांछित तत्व या लोग, जो अपराधों की खास श्रेणी के आरोपों का सामना कर रहें हैं, वे संवैधानिक नैतिकता या सुशासन के सिद्धांतों को बाधित कर सकते हैं या उन्हें रोक सकते हैं और इस तरह संवैधानिक विश्वास घटा सकते हैं. संविधान यही कहता है और प्रधानमंत्री से यही संवैधानिक उम्मीद है. बाकी सब प्रधानमंत्री की समझदारी पर छोड़ा जाता है. हम न तो इससे कुछ ज्यादा कहा रहें हैं न ही कम.
    
पीठ ने आम सहमति से इस मामले पर फैसला दिया. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा और न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे की ओर से न्यायाधीश न्यायमूर्ति  दीपक मिश्रा ने 123 पृष्ठों का फैसला सुनाया. न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने मुख्य निर्णय से सहमति व्यक्त की परन्तु अपने विचार अलग से व्यक्त किए.

न्यायाधीश न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ ने कहा कि इस तरह यह मेरा दृढ मत है कि खुद भी भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा एवं सच्चा विश्वास रखने की और अपने कर्तव्यों का पालन वफादारी और ईमानदारी के साथ करने की शपथ लेने वाले प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्रियों को सलाह है कि वे अपने मंत्रिपरिषद में ऐसे लोगों को शामिल करने से बचें, जिनके खिलाफ आपराधिक अदालत में अनैतिकता और खासतौर पर जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तीसरे अध्याय में दिए अपराधों के तहत आरोप तय किए गए हैं.

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तीसरे अध्याय संसद और राज्य विधानसभाओं की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराने से जुड़ा है.

विदित हो कि याचिकाकर्ता मनोज नरूला ने सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल कर मंत्रिमंडल से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मंत्रियों को हटाने की मांग की थी, जिसे वर्ष 2004 में सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था, लेकिन याचिकाकर्ता की तरफ से पुनर्विचार याचिका दायर करने पर न्यायालय ने मामले को संवैधानिक बेंच को भेज दिया था.


मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्र का 86 वर्ष की आयु में निधन-(31-AUG-2014) C.A

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मशहूर इतिहासकार बिपिन चंद्र का 86 वर्ष की आयु में 30 अगस्त 2014 को गुड़गांव में निधन हो गया. वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष रहे थे.
बिपिन चंद्र 86 वर्ष के थे और काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. उनके परिवार में उनकी पत्नी का निधन चार साल पहले हो गया था, उनका केवल एक बेटा है जो विदेश में रहता है.
बिपिन चंद्र के बारे में
•    बिपिन चंद्र का जन्म वर्ष 1928 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में हुआ था.
•    चंद्र ने अमेरिका के प्रख्यात स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. 
•    चंद्र ने 'आधुनिक भारत का इतिहास', 'भारत का स्वतंत्रता संघर्ष' जैसी कई बेहतरीन पुस्तकें लिखी हैं.
•    चंद्र ने इतिहास पर करीब 20 पुस्तकें लिखी है, जिनमें आधुनिक भारत का इतिहास, आधुनिक भारत और आर्थिक राष्ट्रवाद, सांप्रदायिकता और भारतीय वामपंथ पर उनकी किताबें चर्चित थीं.
•    इसके अलावा वह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी थे. उन्होंने जय प्रकाश नारायण और आपातकाल पर भी किताबें लिखी थी.
•    उनकी शुरुआती अहम किताबों में 'द राइज़ एंड ग्रोथ ऑफ इकॉनॉमिक नेशनलिज़्म' भी शामिल है. 'इंडिया आफ़्टर इंडिपेंडेंस' और 'इंडियाज स्ट्रगल फॉर इंडिपेंडेंस' नामक उनकी किताबें भी ख़ासी चर्चित रही हैं.
•    चंद्र आधुनिक भारत के आर्थिक और राजनीतिक इतिहास के विशेषज्ञ माने जाते थे. उनकी विशेषज्ञता राष्ट्रीय आंदोलन पर भी थी.
•    उन्हें महात्मा गांधी के दर्शन के मामले में भी देश के सबसे बड़े जानकारों में एक माना जाता था.
•    प्रोफेसर चंद्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में अध्यक्ष रह चुके थे और उनकी गिनती देश के चोटी के इतिहासकारों में होती थी.
•    बिपिन चंद्र संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष भी बनाये गये थे और वर्ष 2012 तक इस पद पर रहे.


केंद्र सरकार ने 17 हजार करोड़ रूपये के रक्षा सौदे को मंजूरी प्रदान की-(31-AUG-2014) C.A

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केंद्र सरकार ने 17 हजार करोड़ रूपये के रक्षा खरीद प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की. रक्षा मंत्री अरूण जेटली की अगुआई वाली शीर्ष रक्षा खरीदारी परिषदने इस प्रस्ताव को 29 अगस्त 2014 को मंजूरी दी. इस रक्षा सौदे का मुख्य उद्देश्य सेना, नौसेना और वायु सेना को नये एवं उन्नत हथियारों एवं युद्ध सामग्री से लैस करना है.
जिन रक्षा प्रस्तावों को मंजूरी दी गई उनमें 118 अर्जुन, मार्क-2 टैंकों की खरीदारी, वायु सेना के लिए शिनूक और अपाचे हेलीकाप्टरों, नौसेना के लिए 16 मल्टीरोल हेलीकाप्टरों, पनडुब्बी मारक युद्ध प्रणालियों, पनडुब्बियों की आयु सीमा बढ़ाने के कार्यक्रम और सेना के लिए अत्याधुनिक संचार उपकरणों की खरीदारी भी शामिल है. इसके साथ ही साथ देश के रक्षा उद्योग को मजबूती देने वाले एक महत्वपूर्ण निर्णय में रक्षा खरीदारी परिषदने करीब 3000 करोड़ रूपये की लागत से खरीदे जाने वाले 197 हेलीकाप्टरों के सौदे का प्रस्ताव खारिज कर दिया और इन हेलीकाप्टरों को बाहरी टेक्रोलाजी की मदद से भारत में ही बनाने का निर्णय लिया गया. परिषद के इस निर्णय से देश के रक्षा उद्योग में 40 हजार करोड़ रूपये के नए अवसर पैदा होने की संभावना है.
रक्षा सौदे के मंजूरी के तहत, नौसेना के लिए 17 अरब 70 करोड़ रूपये की लागत से एंटी सबमरीन वारफेयर सिस्टम हासिल करने के प्रस्ताव को रक्षा खरीदारी परिषद् की हरी झंडी मिल गई, जिसके तहत भारतीय नौसेना एकीकृत पनडुब्बी रोधी युद्धक प्रणाली से लैस होगी. ये प्रणालियां नौसेना के 11 जंगी पोतों पर लगाई जाएंगी. जिनमें प्रोजेक्ट 17 अल्फा के सात और प्रोजेक्ट 15 बी के चार पोत शामिल हैं.  नौसेना के पनडुब्बी बेडे में नई जान फूंकने के लिए परिषद् ने 48अरब रूपये की लागत से छह पनडुब्बियों को उन्नत बनाने का प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की. इसके साथ ही साथ नौसेना के लिए 16 मल्टीरोल हेलीकाप्टरों के खरीद प्रस्ताव को भी मंजूरी मिली. ये हेलीकाप्टर  800 करोड रूपये की लागत से खरीदे जाएंगे.
वायु सेना के लिए करीब ढाई अरब अमेरिकी डालर मूल्य की 15 हैवी लिफ्ट शिनूकहेलीकाप्टरों और 22 अपाचे अटैक हेलीकाप्टरों की खरीदारी को मंजूरी दी गई. सेना के लिए 6600 करोड़ रूपये की लागत से अर्जुन मार्क-2 टैंकों की खरीदारी और 820 करोड़ रूपये की लागत से अर्जुन टैंकों पर लगाए जाने वाली 40 सेल्फ प्रोपेल्ड तोपों के विकास के प्रस्ताव को भी स्वीकार किया गया. सेना की तीन, चार और 14 कोर के लिए 900 करोड़ रूपये की लागत से संचार उपकरणों की खरीदारी के प्रस्ताव को भी परिषद ने मंजूर किया.


राष्ट्रीय खेल दिवस 29 अगस्त को पूरे देश में मनाया गया-(30-AUG-2014) C.A

| Saturday, August 30, 2014
राष्ट्रीय खेल दिवस: 29 अगस्त
राष्ट्रीय खेल दिवस पूरे देश में 29 अगस्त को मनाया गया. राष्ट्रीय खेल दिवस हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद की जयंती के रुप में मनाया जाता है. इस दिन को नई दिल्ली के ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में विभिन्न भारतीय हॉकी टीमों के बीच दोस्ताना मैच का आयोजन किया जाता है. नेशनल स्टेडियम को ध्यानचंद के आदर और सम्मान में बनाया गया था.
मेजर ध्यानचंद - हॉकी के जादूगर
मेजर ध्यानचंद भारत के सबसे बड़े हॉकी खिलाड़ी थे. उन्होंने वर्ष 1926 से वर्ष 1948 के बीच 1000  से अधिक गोल किए थे. उन्होंने भारत को वर्ष 1928 का एम्सटर्डम ओलंपिक, वर्ष 1932 का लॉस एंजिल्स ओलंपिक और वर्ष 1936 का बर्लिन ओलंपिक जिताने में मदद की.
इसी दिन खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए खिलाडियों को राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं. वह के हॉकी के पैरामीटर बन चुके थे जिसके द्वारा अन्य खिलाड़ियों की क्षमता को मापा जाता हैं. यह आश्चर्य की बात है कि हॉकी के जादूगर ध्यानचंद केवल 16 साल की उम्र में सेना में शामिल हो गये थे.




केंद्र सरकार ने आरटीआइ प्रक्रिया सरल बनाने हेतु राज्यों को अनुदान देने की घोषणा की-(30-AUG-2014) C.A

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केंद्र सरकार ने सूचना का अधिकार (आरटीआइ) प्रक्रिया सरल बनाने हेतु 28 अगस्त 2014 को राज्यों सरकारों को अनुदान देने की घोषणा की. यह घोषणा केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) विभाग द्वारा की गई. इसके तहत ऐसी व्यवस्था की जानी है, जिससे कहीं से भी कोई व्यक्ति आनलाइन आरटीआइ याचिका दायर कर सके. इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को अनुदान देगा ताकि वे अपने सूबों में ऑनलाइन सुविधाओं का विकास कर सकें. इस हेल्पलाइन के जरिये लोगों को आरटीआइ कानून के बारे में स्थानीय भाषा में जानकारी दी जाएगी.
देश भर में 5 अक्टूबर 2014 से 12 अक्टूबर 2014 के बीच आरटीआइ सप्ताह मनाने के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी) विभाग ने तीन लाख रुपये का बजट आवंटित किया. इसके अलावा सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कानून के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए चार लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया. इसके साथ ही साथ राज्य स्तर पर हेल्पलाइन सेवा शुरू करने के लिए प्रदेश सरकारों को पहले वर्ष चार-चार लाख रुपये दिए जाएंगे. इसके साथ ही आरटीआइ की कार्यप्रणाली पर शोध करने के लिए राज्यों को पांच लाख रुपये एवं आरटीआइ कानून पर सेमिनार और वर्कशाप आयोजित करने के लिए एक-एक लाख रुपये अतिरिक्त दिए जाने की घोषणा की गई.


दिल्ली के 13 वर्षीय छात्र यशवर्धन शुक्ला द्वारा लिखित ‘गॉड ऑफ अंटार्कटिका’ उपन्यास प्रकाशित-(30-AUG-2014) C.A

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दिल्ली के 13 वर्षीय छात्र यशवर्धन शुक्ला द्वारा लिखित गॉड ऑफ अंटार्कटिकाउपन्यास प्रकाशित किया गया. यह उपन्यास देवताओं और राक्षसों की काल्पनिक कहानी है. इस उपन्यास को रीडर्स पेराडाइजने प्रकाशित किया. 

यशवर्धन ने कहा कि अमीश त्रिपाठी की शिवाज ट्रायलॉजीऔर जेके रौलिंग की हैरी पॉटर श्रृंखला ने मुझे प्रभावित किया. उन्होंने यह भी कहा रिक रोर्डन उनके पसंदीदा लेखक हैं.
यह कहानी स्कूल में पढ़ने वालए एक बच्चे डेविड की है जो एक दैत्य के हमले में अपने परिवार को खो कर अंटार्कटिका पहुंच जाता है. उनकी पुस्तक गॉड ऑफ अंटार्कटिकादेवताओं और राक्षसों के साथ डेविड की मुठभेड़ के पौराणिक कल्पना के बारे में है.
पटकथा को स्वीकार करने से पहले लगभग एक दर्जन प्रकाशकों ने खारिज किया था. प्रकाशकों ने सुझाव दिया था कि नाम और लोकेशन लंदन-अंटार्कटिका के बजाय भारत के होने चाहिए. लेकिन रीडर्स पेराडाइजप्रकाशक ने युवा लेखक को प्रोत्साहित करने के लिए बिना किसी बदलाव के पटकथा को स्वीकार किया.




प्रधानमंत्री जन-धन योजना वित्तीय छुआछूत मिटाने की एक पहल-(30-AUG-2014) C.A

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्तमान सरकार की पहली फ्लैगशिप योजना प्रधानमंत्री जन धन योजनाका दिल्ली के विज्ञान भवन में 28 अगस्त 2014 को आरंभ की. इस योजना का लक्ष्य निर्धनों को आर्थिक छुआछूतसे मुक्ति दिलाना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस योजना की घोषणा 15 अगस्त 2014 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दिल्ली के लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में की थी.
प्रधानमंत्री जन धन योजनाको एक साथ देश के 600 जिलों में लांच किया गया. इस योजना के प्रचालन के पहले ही दिन देशभर में डेढ़ करोड़ लोगों के खाते खोले गए. खाता धारकों को 5000 रूपए का ओवरड्राफ़्ट की सुविधा, एटीएम कार्ड और एक लाख रूपए का दुर्घटना बीमा मिलेगा. 26 जनवरी तक खाता खुलवाने पर 30000 का जीवन बीमा लाभ भी मिलेगा.
इस योजना का लक्ष्य आम आदमी को मिलने वाली आर्थिक- सामाजिक सुरक्षा, बैंकिंग और बीमा क्षेत्र में उछाल, सभी को सब्सिडी देने के बजाय टारगेटेड सब्सिडी देना, गरीबी हटाने के लिए देश को वित्तीय अश्पृश्यता से आजाद कराना है.
बैंक में एक खाता खुलने से हरेक परिवार को बैंकिंग एवं कर्ज की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी जो उन्हें वित्तीय संकटों और साहूकारों के चंगुल से बचाएगी.
इस योजना के तहत देशभर में डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों के खाते खोले गए जो अपने आप में एक कीर्तिमान होने के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी किसी योजना की आवश्यकता को भी उजागर करता है. यह संभवत: विश्व का सबसे बड़ा सरकारी और साथ ही बैंकिंग अभियान है. 
प्रधानमंत्री जन धन योजनाके पहले चरण के तहत 15 अगस्त 2015 तक 7.5 करोड़ खाते खोलने का लक्ष्य रखा गया था, परन्तु प्रधानमंत्री के अनुसार, इस लक्ष्य को 26 जनवरी 2015 तक पूरा किया जाएगा. यह एक उल्लेखनीय तथ्य है कि 'प्रधानमंत्री जन-धन योजना' की घोषणा के चंद दिनों के अंदर ही उसके अमल की जमीन तैयार कर ली गई.
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली वर्तमान केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना में शामिल होने के लिए जिस तरह बड़ी संख्या में लोग आगे आए उससे यह भी पता चल रहा है कि आम आदमी किस तरह बैंक खातों की कमी महसूस कर रहा था.
'प्रधानमंत्री जन-धन योजना' की शुरुआत के साथ ही जिस तरह कर्मचारी भविष्य निधि के तहत आने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों की न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाकर एक हजार रूपए करने की अधिसूचना जारी की गई उससे यही स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार सामाजिक सुरक्षा के प्रति कहीं अधिक प्रतिबद्ध है. नि:संदेह महंगाई के इस दौर में एक हजार रूपए की मासिक पेंशन पर्याप्त नहीं, लेकिन इस पर संतोष व्यक्त किया जा सकता है कि कुछ तो सुधार हुआ.
देश में एक बड़ी आबादी के पास सामाजिक सुरक्षा का कोई आवरण नहीं. इसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि लगभग 68 प्रतिशत आबादी के पास बैंक खाते ही नहीं है, जो कि प्रधानमंत्री का यह कथन कि देश में वित्तीय छुआछूत की स्थिति है पूरी तरह सत्य प्रतीत होता है.
निर्धन जनता को साहूकारों के चंगुल से बचाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है. सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी निर्धन-वंचित हैं, 'प्रधानमंत्री जन-धन योजना' के दायरे में आएं और वे बिना किसी परेशानी के आवश्यक लाभ उठाने में सक्षम रहें. ऐसा करके ही इस योजना के जरिये गरीबी से लड़ने में मदद मिलेगी.
वैसे तो निर्धनता निवारण के लिए अन्य अनेक योजनाएं अस्तित्व में हैं, लेकिन इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि उनके द्वारा निर्धन तबके को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने में अपेक्षित मदद नहीं मिली.
उदाहरण के लिए मनरेगा के बारे में यह तो कहा जा सकता है कि उसने एक हद तक गरीब परिवारों को सहारा दिया है, परन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि वे आर्थिक रूप से स्वावलंबी भी बने.
'प्रधानमंत्री जन-धन योजना' में ऐसे प्रावधान हैं जो यह विश्वास दिलाते हैं कि इस योजना के द्वारा निर्धन तबका अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है.


इंग्लैंड के मिडफील्डर फ्रेंक लैंपार्ड ने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की-(30-AUG-2014) C.A

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इंग्लैंड के मिडफील्डर फ्रेंक लैंपार्ड ने 15 वर्ष के करियर के बाद 26 अगस्त 2014 को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने की घोषणा की. 36 वर्षीय लैंपार्ड ने 106 मैचों में देश का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने अपना आखिरी मैच 23 जून को ब्राजील विश्व कप में कोस्टा रिका के खिलाफ खेला था. लैंपार्ड ने इस मैच में कप्तानी भी की थी.
लैंपर्ड ने अपनी प्रबंधन कंपनी की तरफ से जारी बयान में कहा- 'मैंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास लेने का फैसला किया है. यह बहुत मुश्किल फैसला था. मैंने विश्व कप के बाद इस पर काफी गहन विचार विमर्श किया था.'
लैंपर्ड को पीटर शिल्टन, डेविड बैकहम, पिछले महीने संन्यास लेने वाले स्टीवन गेरार्ड, बॉबी मूर और ऐश्ले कोल के बाद इंग्लैंड की तरफ से सर्वाधिक मैच खेलने वाले खिलाड़ियों की सूची में छठे स्थान पर रखा गया हैं. लैंपार्ड ने इंग्लैंड के लिए 29 गोल दागे हैं.

लैंपार्ड ने मई 2014 में चेल्सी के साथ अपना 13 वर्ष का अनुबंध खत्म किया था. लैंपर्ड ने मैनचेस्टर सिटी से छह महीने खेलने के बाद न्यूयॉर्क सिटी के साथ अनुबंध किया.
फ्रेंक लैंपार्ड के बारे में 
•    फ्रेंक लैंपार्ड इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम के मिडफील्डर हैं.
•    फ्रेंक लैंपार्ड का जन्म 20 जून 1978 को इंग्लैंड के रोमफोर्ड में हुआ था.
•    लैंपार्ड ने कुल 106 मैचों में देश (इंग्लैंड) की फ़ुटबाल टीम का प्रतिनिधित्व किया और 29 गोल किए.  
•    लैंपार्ड को विश्व का सर्वश्रेष्ठ मिडफील्डर माना जाता है.
•    फ्रेंक लैंपार्ड ने मई 2014 में चेल्सी फुटबाल क्लब से अपने 13 वर्ष का अनुबंध खत्म किया था.
•    फ्रेंक लैंपार्ड ने तीन बार चेल्सी फुटबाल क्लब का प्लेयर ऑफ द ईयरका खिताब जीता.
•    फ्रैंक लैम्पार्ड (2001-2014) ने कुल 648 मैचों में चेल्सी की टीम प्रतिनिधित्व किया और 211 गोल किए जो चेल्सी की टीम की ओर से किसी भी खिलाड़ी का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है.
•    फ्रैंक लैम्पार्ड ने हाल ही में न्यूयॉर्क सिटी के साथ अनुबंध किया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने एवं अप्रासंगिक कानूनों की समीक्षा के लिए समिति गठित की-(30-AUG-2014) C.A

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने एवं अप्रासंगिक कानूनों की समीक्षा के लिए 27 अगस्त 2014 को एक समिति गठित की. इस समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री कार्यालय में सचिव आर. रामानुजम को बनाया गया है. विधायी विभाग के पूर्व सचिव वीके भसीन को इस समिति का सदस्य बनाया गया है. यह समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देगी. उसके आधार पर पुराने एवं अप्रासंगिक हो चुके कानूनों को रद्द करने के लिए शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा. इस संपूर्ण प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य बेवजह के कानूनों से प्रशासनिक क्रियाकलापों में आने वाले अवरोधों को रोकना है.
यह समिति उन कानूनों की जांच करेगी जो पिछले 10-15 वर्षों में अप्रासंगिक हो गए हैं. इसके साथ ही साथ यह समिति उन सभी कानूनों की भी समीक्षा करेगी, जिन्हें अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की ओर से वर्ष 1998 में गठित प्रशासनिक कानूनों की समीक्षा समिति ने रद्द करने की सिफारिश की थी.
विदित हो कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार की ओर से वर्ष 1998 में गठित समिति ने कुल 1382 कानूनों को रद्द करने की सिफारिश की थी, उनमें से अभी तक केवल 415 कानून ही समाप्त किए गए हैं.


केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं में घायलों के मुफ्त इलाज हेतु इंश्योरेंस कंपनियों से समझौता किया-(30-AUG-2014) C.A

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केंद्रीय सड़क परिवहन एंव राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क दुर्घटनाओं में घायलों के मुफ्त इलाज हेतु 28 अगस्त 2014 को इंश्योरेंस कंपनियों से समझौता किया. इसके तहत इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिएवं आईसीआईसीआई लोम्बार्ट जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि.से समझौता किया गया. इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाले नुकसान को न्यूनतम करना है.
सड़क दुर्घटना में घायलों के मुफ्त इलाज के लिए दो पायलट योजनाओं के तहत यह योजना, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर वड़ोदरा- मुम्बई के बीच चलाई जाएगी तथा दूसरी, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 33 पर रांची-रारगांव-माहुलिया (जमशेदपुर) पर चलाई जाएगी. इस योजना में एक टोल फ्री नम्बर (1033) और एक चौबीस घंटे चलने वाले कॉल सेंटर होगा जो चयनित स्थानों पर होने वाली दुर्घटनाओं की सूचनाएं प्राप्त करेगा. इस योजना के तहत घायलों को जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) युक्त एबुलेंस हर 25 किलोमीटर की दूरी पर तैनात करने का प्रावधान है. इसके साथ ही साथ एंबुलेंस के दुर्घटना स्थल तक पहुंचने और घायलों को नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाने दोनों के लिए 15 - 15 मिनट का समय निर्धारित किया गया. इस योजना के तहत नामांकित निजी अस्पताल में इलाज की स्थिति में पहले 48 घंटों के लिए 30000 रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाएगी. समझौते के अनुसार, वड़ोदरा- मुम्बई के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-8 पर इस सेवा के लिए इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि’. और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-33 पर रांची-रारगांव-माहुलिया (जमशेदपुर) के लिए आईसीआईसीआई लोम्बार्ट जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि.अपनी सेवाएं देगी.
विदित हो कि सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय, ‘आईसीआईसीआई लोम्बार्ट जनरल इंश्योरेंस कंपनी लि.के जरिए राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 पर गुड़गांव-जयपुर के बीच इसी तरह की प्रायोगिक योजना जुलाई 2013 से चला रहा है. इस योजना के तहत 31 जुलाई 2014 तक 3011 दुर्घटना पीड़ितों का इलाज कराया जा चुका है. गुड़गांव-जयपुर योजना में एंबुलेंस के घायलों तक पहुंचने में 20 मिनट और घायलों को नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाने के लिए औसतन 20 मिनट का लक्ष्य रखा गया था. वर्तमान में आवश्यक सुधार के जरिए एंबुलेंस के दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में औसतन 8 मिनट और घायलों को नजदीकी अस्पताल तक पहुंचाने में औसतन 15 मिनट का समय लग रहा है. पहले से चल रहे इस प्रोजेक्ट की सफलता से प्रोत्साहित होकर नये समझौते किये गए. इन तीनों पायलट प्रोजेक्ट्स को दुर्घटनाओं में घायलों के मुफ्त इलाज की योजना को देशव्यापी रूप से लागू करने के लिए आंकड़े जुटाने के लिए शुरू किया गया है. इन प्रायोगिक योजनाएं के सफल परीक्षण के बाद इन्हें पूरे देश में लागू करने की योजना है.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ का शुभारंभ किया-(30-AUG-2014) C.A

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ (पीएमजेडीवाई) का शुभारंभ किया. नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में प्रधानमंत्री ने इस योजना का औपचारिक रूप से शुभारंभ किया. प्रधानमंत्री ने इस अवसर को विष-चक्र से गरीबों की आजादी का पर्वकरार दिया. देश में व्याप्त वित्तीय असमानता को समाप्त करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन धन योजना’ (पीएमजेडीवाई) की शुरुआत की गई. इस योजना के तहत देश के सभी परिवारों को बैंक खाते से जोड़ना है. यह योजना अबतक का दुनिया का सबसे बड़ा बैंकिंग अभियान है.
प्रधानमंत्री जन-धन योजना’(पीएमजेडीवाई) से संबंधित मुख्य तथ्य 

प्रत्येक परिवार में एक बैंक खाते के साथ उन्हें बैंकिंग तंत्र से से जोड़ना.
हर खाते के साथ खाताधारक का एक लाख रुपये का दुर्घटना बीमा एवं रुपेडेबिट कार्ड की सुविधा. 
• 26 जनवरी 2015 से पूर्व बैंक खाता खुलवाने वालों को एक लाख रुपये के दुर्घटना बीमा के साथ ही 30000 रुपये का जीवन बीमा मुफ्त.
प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस योजना के शुभारंभ के साथ-साथ पूरे देश में 20 मुख्यमंत्रियों ने एक साथ इस योजना की शुरुआत की.
कई केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने भी अपने अपने क्षेत्रों में इस योजना की शुरुआत की.
शुभारंभ के दिन पूरे देश में 600 समारोह आयोजित किए गए और 77852 शिविर लगाए गए.
इस योजना में बिना इंटरनेट वाले मोबाइल से भी बैंकिंग सेवा की सुविधा.
छः महीने खाता संचालन के बाद 5000 रुपये के ओवरड्राफ्ट की सुविधा.
इस योजना के तहत 26 जनवरी 2015 तक 7.5 करोड़ बैंक खाता खोलने का लक्ष्य.