दक्षिण सूडान के राष्ट्रपति साल्वा कीर और विद्रोही सेना प्रमुख रीक
मचार ने इथियोपिया के अदीस अबाबा में एक शांति समझौते पर 9 मई 2014 को हस्ताक्षर किया.
समझौत के तहत दोनों पक्षों को जोंगली राज्य में चल रहे संघर्ष को खत्म करने और तत्काल शांति बहाल करना होगा. यह समझौता नए संविधान और नए चुनाव का मसौदा तैयार करने की बात भी कहता है.
समझौत के तहत दोनों पक्षों को जोंगली राज्य में चल रहे संघर्ष को खत्म करने और तत्काल शांति बहाल करना होगा. यह समझौता नए संविधान और नए चुनाव का मसौदा तैयार करने की बात भी कहता है.
दक्षिण सूडान के संविधान में शामिल वे सामान्य सिद्धांत जिनपर दोनों पक्षों ने सहमति जताई है.
• संयुक्ता सैन्य तकनीकी समिति का गठन.
• ग्रेटर पीबोर प्रशासनिक क्षेत्र की स्थापना.
• ग्रेटर पीबोर क्षेत्र के लिए फंड.
इथियोपिया के प्रधानमंत्री हेलीमारियम डिसालेंग ने वार्ता की मेजबानी की और उन्होंने समझौते पर हस्ताक्षर भी किया. शांति प्रक्रिया के प्रमुख मध्यस्थ बिशॉप प्राइड टाबन थे.
पृष्ठभूमि
हिंसा तब शुरु हुई जब राष्ट्रपति कीर ने उपराष्ट्रपति मचार को तख्तापलट की साजिश रचने के जुर्म में बर्खास्त कर दिया. मचार ने इन आरोपों का खंडन किया लेकिन उसके बाद उन्होंने साउथ सूडान डेमोक्रेटिव मूवमेंट/ आर्मी (एसएसडीएम) कोबरा का नेतृत्व कर सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरु कर दिया.
स्वतंत्र दक्षिण सूडान के जोंगली में हुए संघर्ष में संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक हजारों लोग मारे गए और करीब 5 मिलियन लोगों को सहायता की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र ने दक्षिण सूडान सराकर और विद्रोहियों दोनों ही को मानवीयता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया है.
8 मई 2014 को जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया कि दोनों ही पक्षों ने घरों, अस्पतालों, मस्जिदों, चर्चों और संयुक्त राष्ट्र परिसरों जैसे सार्वजनिक स्थलों पर व्यापक और व्यवस्थित अत्याचार किए. जनवरी 2014 में दोनों पक्षों के बीच शत्रुता को खत्म करने के लिए समझौता हुआ था लेकिन वे हिंसा को रोकने में विफल रहा था.
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