पाकिस्तान की शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफज़ई और भारतीय
बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने 10 अक्टूबर
2014 को वर्ष 2014 का नोबेल शांति
पुरस्कार जीता. मलाला यूसुफज़ई और कैलाश सत्यार्थी को बच्चों और युवा लोगों के दमन
के खिलाफ संघर्ष के लिए और शिक्षा को सभी बच्चों के अधिकार के लिए सम्मानित किया
गया.
इस साल सबसे अधिक 278 प्रतिभागियों
की सूची में से कैलाश सत्यार्थी और मलाला युसूफजई को विजेता घोषित किया गया.
कैलाश सत्यार्थी
कैलाश सत्यार्थी एक भारतीय बाल अधिकार कार्यकर्ता है और 1990
के दशक के बाद से बाल श्रम के खिलाफ भारतीय आंदोलन में सक्रिय हैं.
उनके संगठन बचपन बचाओ आंदोलन ने 80000 से अधिक बच्चों को
मुक्त कराया है और उनके पुनर्वास और शिक्षा के क्षेत्र में मदद की. ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ चलाने वाले सत्यार्थी ने महात्मा
गांधी की परंपरा को बरकरार रखा और ‘वित्तीय लाभ के लिए होने
वाले बच्चों के गंभीर शोषण के खिलाफ विभिन्न प्रकार के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का
नेतृत्व किया. कैलाश सत्यार्थी ने बाल अधिकारों के महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय
सम्मेलनों के विकास में योगदान दिया.
मलाला यूसुफज़ई
मलाला यूसुफज़ई पाकिस्तान के स्कूल की छात्र और शिक्षा
कार्यकर्ता हैं. मलाला को महिलाओं के शिक्षा के अधिकार लिए जाना जाता है.
पाकिस्तान की मलाला युसूफजई उस समय चर्चा में आई जब तालिबान आतंकियों द्वारा
अक्तूबर 2012 में मलाला को गोली मार दी गई. मलाला
का जन्म पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात जिले स्थित मिंगोरा गांव
में हुआ. 13 वर्ष की उम्र से ही वह तहरीक ए तालिबान शासन के
अत्याचारों से तंग आकर छद्म नाम से बीबीसी के लिए ब्लागिंग के द्वारा स्वात के
लोगों की नायिका बन गयीं. ब्लॉग में वे तालिबान के कुकृत्यों के खिलाफ कविताएं व
अपने अनुभव लिखती थीं. उल्लेखनीय है स्वात में 2009 से ही
तालिबान का कब्जा है.
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