ग्वाटेमाला की विदेश मंत्री कार्लोस राउल मोरलेस मोस्कोंसो (Carlos
Raul Morales) का भारत का दौरा 16 अक्टूबर 2014
को संपन्न हुआ. इस दौरान उन्होंने भारत के विदेश मंत्री सुषमा
स्वराज से मुलाकात की. ग्वाटेमाला के विदेश मंत्री की यह यात्रा 15-16 अक्टूबर 2014 को आयोजित हो रहे भारत - एलएसी निवेश
बैठक के अवसर पर हुई.
चर्चा के मुख्य बिदु
दोनों देशों विदेश मंत्रियों द्वारा राजनीतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक एवं कांसुलर तथा सांस्कृतिक मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की गई. उन्होंने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की जिसमें लैटिन अमेरिकी कैरेबियन राज्य (सीएलएएस) तथा केंद्रीय अमेरिकी एकीकरण प्रणाली (एसआईसीए) के साथ भारत की चल रही भागीदारी शामिल है.
चर्चा के मुख्य बिदु
दोनों देशों विदेश मंत्रियों द्वारा राजनीतिक, आर्थिक एवं वाणिज्यिक एवं कांसुलर तथा सांस्कृतिक मुद्दों सहित द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की गई. उन्होंने महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की जिसमें लैटिन अमेरिकी कैरेबियन राज्य (सीएलएएस) तथा केंद्रीय अमेरिकी एकीकरण प्रणाली (एसआईसीए) के साथ भारत की चल रही भागीदारी शामिल है.
इस दौरान भारत के विदेश मंत्री ने ग्वाटेमाला में वर्तमान सूखे से
निपटने हेतु आपदा राहत के लिए ग्वाटेमाला को 200000 अमेरिकी
डालर की सहायता की भी घोषणा की.
लाभ
भारत - एलएसी निवेश बैठक में ग्वाटेमाला के कारोबारियों के नेतृत्व में एक उच्च स्तररीय शिष्ट मंडल की भागीदारी से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.
भारत - एलएसी निवेश बैठक
भारत - एलएसी निवेश बैठक नई दिल्ली में 15-16 अक्टूबर 2014 को आयोजित की गई. इस बैठक में एक कारोबारी शिष्टमंडल के साथ ग्वाटेमाला के आर्थिक मंत्री सर्गियो डीला टोरे भी भारत आए. आर्थिक मंत्री तथा उप विदेश मंत्री रोड्रिगो विलमन ने भी द्विपक्षीय बैठकों में भाग लिया.
लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) क्षेत्र विश्व के प्रमुख विकास इंजन के रूप में तेजी से उभर रहा है. भारत की तरह लैटिन अमरीका वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से ज्यादातर अप्रभावित रहा है तथा विकास के पथ पर बना हुआ है. भारत लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) के साथ व्यापार में वृद्धि की संभावना को ध्यान में रखते हुए इस तरह की एक बैठक आयोजित करता है.
भारत के वाणिज्य विभाग ने लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) के साथ व्यापार में वृद्धि की संभावना को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1997 में ‘फोकस : एलएसी’ नामक एक एकीकृत कार्यक्रम शुरू किया. इसका उद्देश्य भारत के निजी क्षेत्र के साथ ही सरकारी संस्थाओं को लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन के साथ मजबूत व्यापार एवं निवेश संबंध विकसित करना और साथ ही इस क्षेत्र को भारत के कपड़ों, इंजीनियरिंग उत्पादों, कंप्यूटर साफ्टवेयर, रसायनों एवं भेषज पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने पर बल देना है.
लाभ
भारत - एलएसी निवेश बैठक में ग्वाटेमाला के कारोबारियों के नेतृत्व में एक उच्च स्तररीय शिष्ट मंडल की भागीदारी से उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे.
भारत - एलएसी निवेश बैठक
भारत - एलएसी निवेश बैठक नई दिल्ली में 15-16 अक्टूबर 2014 को आयोजित की गई. इस बैठक में एक कारोबारी शिष्टमंडल के साथ ग्वाटेमाला के आर्थिक मंत्री सर्गियो डीला टोरे भी भारत आए. आर्थिक मंत्री तथा उप विदेश मंत्री रोड्रिगो विलमन ने भी द्विपक्षीय बैठकों में भाग लिया.
लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) क्षेत्र विश्व के प्रमुख विकास इंजन के रूप में तेजी से उभर रहा है. भारत की तरह लैटिन अमरीका वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल से ज्यादातर अप्रभावित रहा है तथा विकास के पथ पर बना हुआ है. भारत लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) के साथ व्यापार में वृद्धि की संभावना को ध्यान में रखते हुए इस तरह की एक बैठक आयोजित करता है.
भारत के वाणिज्य विभाग ने लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) के साथ व्यापार में वृद्धि की संभावना को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1997 में ‘फोकस : एलएसी’ नामक एक एकीकृत कार्यक्रम शुरू किया. इसका उद्देश्य भारत के निजी क्षेत्र के साथ ही सरकारी संस्थाओं को लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन के साथ मजबूत व्यापार एवं निवेश संबंध विकसित करना और साथ ही इस क्षेत्र को भारत के कपड़ों, इंजीनियरिंग उत्पादों, कंप्यूटर साफ्टवेयर, रसायनों एवं भेषज पदार्थों के निर्यात को बढ़ाने पर बल देना है.
भारत और एलएसी के बीच व्यापारिक चुनौतियां
भारत और लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) के बीच व्यापार संबंध मुख्यत: निवेश के रूप में हैं क्योंकि माल में परंपरागत व्यापार के लिए दूरी, टाइम जोन में अंतर एवं व्यवसाय की संस्कृति की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. माल व्यापार अपने थोक स्वरूप के कारण तथा बड़ी संस्थाओं की भागीदारी के कारण जारी है परंतु विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र का विकास तत्वत: निवेश के माध्यम से हो सकता है, जो स्वत: ही व्यापार में और वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा.
व्यापर संतुलन
वर्ष 2013 में दोनों देशों के बीच कुल 260 मिलियन अमेरिकी डालर ($260 million)का व्यापर हुआ. व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा. भारत ने 238 मिलियन अमेरिकी डालर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया जबकि ग्वाटेमाला ने भारत को मात्र 22 मिलियन अमेरिकी डालर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया.
भारत और लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन (एलएसी) के बीच व्यापार संबंध मुख्यत: निवेश के रूप में हैं क्योंकि माल में परंपरागत व्यापार के लिए दूरी, टाइम जोन में अंतर एवं व्यवसाय की संस्कृति की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. माल व्यापार अपने थोक स्वरूप के कारण तथा बड़ी संस्थाओं की भागीदारी के कारण जारी है परंतु विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र का विकास तत्वत: निवेश के माध्यम से हो सकता है, जो स्वत: ही व्यापार में और वृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा.
व्यापर संतुलन
वर्ष 2013 में दोनों देशों के बीच कुल 260 मिलियन अमेरिकी डालर ($260 million)का व्यापर हुआ. व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में रहा. भारत ने 238 मिलियन अमेरिकी डालर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया जबकि ग्वाटेमाला ने भारत को मात्र 22 मिलियन अमेरिकी डालर मूल्य के वस्तुओं का निर्यात किया.
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