राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 25 अक्टूबर
2014 को श्रीलंका के बौद्ध भिक्षु अनागारिक धर्मपाल पर
स्मारक डाक टिकट जारी किया. अनागारिक धर्मपाल को आधुनिक भारत में बौद्ध धर्म के
प्रचार प्रसार के लिए जाना जाता है. इससे पहले, श्रीलंका की
सरकार ने स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर स्मारक डाक
टिकट जारी किया.
अनागारिक धर्मपाल के बारे में
वह सिंहली बौद्ध राष्ट्रवाद के संस्थापकों में से एक थे तथा भारत में
बौद्ध धर्म को पुनर्जीवित करने में भी अग्रणी थे. वह वर्ष 1933
में सारनाथ में भिक्षु बने और उसी वर्ष दिसंबर में उनका निधन हो
गया. उन्होंने वर्ष 1891 में कोलंबो में महाबोधि सोसायटी की
स्थापना की.
अनागारिक धर्मपाल का उददेश्य बोधगया में महाबोधि मंदिर के बौद्ध
नियंत्रण को बहाल करना था. वर्ष 1893 में
धर्मपाल को शिकागो में दक्षिणी बौद्ध के प्रतिनिधि के रूप में विश्व धर्म संसद में
आमंत्रित किया गया जहां वह स्वामी विवेकानंद से भी मिले थे.
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