यूनिसेफ ने ‘चिल्ड्रन ऑफ रेसेशन’ शीर्षक से बाल निर्धनता पर एक रिपोर्ट जारी की-(31-OCT-2014) C.A

| Friday, October 31, 2014
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने चिल्ड्रन ऑफ रेसेशनशीर्षक से एक रिपोर्ट 28 अक्टूबर 2014 को जारी की. रिपोर्ट में कहा गया की वर्ष 2008 में वैश्विक मंदी की शुरुआत के बाद से 23 विकसित देशों में बाल निर्धनता में वृद्धि हुई. जिसके कारण संभवतः एक पीढ़ी को वस्तुगत अभाव और कम संभावनाओं का सामना करना पड़ा.
मुख्य आकर्षण
•    41 देशों में से अठारह देशों ने बाल निर्धनता में कमी दर्ज की, इस कमी में चिली अव्वल रहा हैं जिसने निर्धनता में 31.4 प्रतिशत से 22.8 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की. इस रिपोर्ट में वर्ष 2007-2013 के दौरान बिगड़ती स्थिति को दिखाया गया और असुरक्षा और तनाव की बढ़ती भावनाओं के बारें में बताया. 
•    41 विकसित देशों में ओईसीडी और यूरोपीय संघ के देश सम्मिलित हैं. ग्रीस और आइसलैंड ने वर्ष 2008 के बाद बाल निर्धनता में सबसे अधिक प्रतिशत वृद्धि दर्ज की इसके बाद लातविया, क्रोएशिया और आयरलैंड का स्थान है.
•    नॉर्वे में बाल निर्धनता दर न्यूनतम 5.3 प्रतिशत और ग्रीस में यह 40.5 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर है. यहां तक कि आयरलैंड, क्रोएशिया, लातविया, ग्रीस और आइसलैंड में दरों में 50 फीसदी की वृद्धि हुई. ब्रिटेन में गरीबी में रहने वाले बच्चों का अनुपात 24 प्रतिशत से बढ़कर 25.6 प्रतिशत हो गया और अमेरिका में इसकी दर 32 प्रतिशत है.
•    उन बच्चों और परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई हैं जो की अपनी सबसे मूल वस्तुओं और शैक्षिक आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में कठिनाई का अनुभव कर रहे हैं. 
•    मंदी के दौर ने विशेष रूप 15-24 आयु वर्ग वर्ष के बच्चों को प्रभावित किया, जिससे एनईईटी (जो शिक्षा के क्षेत्र, रोजगार या प्रशिक्षण की संख्या को बताते हैं) की संख्या में वृद्धि हो रही हैं. 
•    विशेष रूप से, यूरोपीय संघ में 75 लाख युवा लोगों को वर्ष 2013 में एनईईटी के रूप में वर्गीकृत किया गया.
•    वर्ष 1930 के दशक की महान मंदी के बाद से इतनी अधिक बेरोजगारी की दर नहीं देखी गई जिसके कारण कई परिवार बच्चों को देखभाल, सुरक्षा और अवसर जो उनको मिलनी चाहिए प्रदान करने में असमर्थ हैं.
•    सबसे महत्वपूर्ण यह हैं की इस महान मंदी ने शिक्षित और सक्षम युवाओं की एक पीढ़ी को अपूर्ण उम्मीदों और स्थायी असुरक्षा से एक उपेक्षा की स्थिति में ला कर खड़ा कर दिया. 
•    हर दूसरे दिन मांस, चिकन, मछली या एक सब्जी युक्त भोजन वहन करने में असमर्थ बच्चों वाले घरों का प्रतिशत चार यूरोपीय देशों में दोगुने से अधिक हो गया जो - एस्टोनिया (10 प्रतिशत), ग्रीस (18 प्रतिशत), आइसलैंड (6 प्रतिशत) और इटली (16 प्रतिशत) हैं. 
अध्ययन में यह भी पता लगाया गया की 15-24 वर्ष के बच्चों का अनुपात जो शिक्षा, रोजगार या प्रशिक्षण में नहीं हैं (Not in Education, Employment or Training एनईईटी) जिसमे लोगों की आर्थिक स्थिति से सम्बंधित धारणाओं पर गैलप वर्ल्ड पोल डेटा और मंदी के बाद से शुरू हुई भविष्य की उम्मीद है.
इस अध्ययन ने गरीबी मापने के लिए चार संकेतकों का प्रयोग किया हैं जिनमे हैं  
•    स्वयं या अपने परिवार के लिए भोजन खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होना 
•    तनाव का स्तर
•    समग्र जीवन संतुष्टि
•    बच्चों के सीखने और बढ़ने का अवसर प्राप्त हैं या नहीं.



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