इसरो ने धूमकेतु साइडिंग स्प्रिंग के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए मंगलयान को पुनर्स्थापित किया-(19-OCT-2014) C.A

| Sunday, October 19, 2014
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगल ग्रह परिक्रमायान, मंगलयान को 16 अक्टूबर 2014 को पुनर्स्थापित किया. यह कदम  इसरो ने मंगलयान को धूमकेतु साइडिंग स्प्रिंग के हानिकारक प्रभावों से बचाने के लिए किया है जो 19 अक्टूबर 2014 को मंगल ग्रह के निकट से होकर गुज़रेगा.
मंगल ग्रह परिक्रमायान -मंगलयान  
इसरो  ने मंगलयान को इस धूमकेतु की पूंछ से काफी दूर पुनर्स्थापित किया है ताकि उड़ता हुआ धूमकेतु  मंगलयान की स्थिति को प्रभावित नहीं कर सके.   
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ साथ, दुनिया भर के अन्य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों ने भी उनके द्वारा मंगल ग्रह पर भेजे गए अभियानों जैसे मावन, क्यूरोसिटी, मंगल रेकोनेसा यान को पुनर्स्थापित किया है ताकि इन अभियानों को धूमकेतु साइडिंग स्प्रिंग के हानिकारक प्रभाव एवं टकराव से बचाया जा सके.
 
पृष्ठभूमि 
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के अनुसार धूमकेतु साइडिंग स्प्रिंग, C/2013 A1 कई अरबों मील की दूरी तय करके 19 अक्टूबर 2014 को  मंगल ग्रह के पास से केवल l 87000 मील की दूरी के भीतर से गुजरेगा. वास्तव में ये धूमकेतु उस बादल का भाग है जो सौर्य मंडल की संरचना के पश्चात अवशेष के रूप में बचा रह  गया था.
 
C/2013 A1
C/2013 A1 एक साइडिंग स्प्रिंग धूमकेतु खरबों वर्ष के बराबर दूरी तय कर चुका हैं जिसकी खोज रॉबर्ट एच द्वारा 3 जनवरी 2013 को  0.5 मीटर (20) उप्साला दक्षिणी स्मिट टेलीस्कोप (Uppsala Southern Schmidt Telescope) का उपयोग करके मक्नॉत साइडिंग स्प्रिंग वेधशाला (McNaught at Siding Spring Observatory) में की गयी थी. खोज के समय यह सूर्य से 7.2 खगोलीय वर्ष के समान दूरी पर लेपस तारामंडल में स्थित था. धूमकेतु C/2013 A1 उस बादल से संभवतः लाखों वर्षों के बाद बाहर निकला है.


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