विश्व पोलियो दिवस 24 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाया गया-(30-OCT-2014) C.A

| Thursday, October 30, 2014
24 अक्टूबर: विश्व पोलियो दिवस
विश्व पोलियो दिवस 24 अक्टूबर 2014 पर दुनिया भर में मनाया गया. यह दिवस गंभीर बीमारी के खतरों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया गया. इस दिन, रोटरी ने  पोलियो को समाप्त करने के लिए लड़ाई पर एक लाइव-स्ट्रीम वैश्विक स्थिति अपडेट की व्यवस्था की, जहां स्वास्थ्य विशेषज्ञों और प्रसिद्ध गायकों ने भाग लिया और वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) की प्रगति का स्वागत किया. इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने दुनिया भर के बच्चो को पोलियो से बचाव के लिए अभियान का आयोजन किया.
यूनिसेफ के आंकड़ों के मुताबिक, पोलियो के मामलों की सालाना संख्या वर्ष 1988 में 350000 थी जो गिरकर वर्ष 2013 में 416 और वर्ष 2014 में 243 हो गई. वर्तमान में, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजीरिया दुनिया में ऐसे तीन देश है जहां पोलियो के मामले सर्वाधिक पाए गए हैं.

विश्व पोलियो दिवस के बारे में 
विश्व पोलियो दिवस पोलियो के टीके का विकास करने वाले जोनास सॉल्क के जन्म के उपलक्ष्य में एक दशक पहले रोटरी इंटरनेशनल द्वारा स्थापित किया गया था.
डॉक्टर जोनास सॉल्क के बारे में
डॉक्टर जोनास सॉल्क का जन्म 28 अक्टूबर 1914 में अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी में हुआ था. वे एक महान शोधकर्ता के रूप से जाने जाते है. डॉ. सॉल्क द्वारा बनाई गई पोलियो दवा के उपलब्ध होने के ठीक 2 वर्ष पहले तक अमेरिका में 45,000 से भी ज्यादा लोग पोलियो के शिकार हो चुके थे लेकिन उनकी इस महान खोज के बाद यह संख्या 1962 में घटकर मात्र 910 ही रह गई.
डॉ. सॉल्क ने न्यूयॉर्क के विश्वविद्यालय से वर्ष 1939 में दवा क्षेत्र में एम.डी की डिग्री हासिल की थी जिसके बाद जल्द ही वे माउंट सिनाई अस्पताल में चिकित्सक के रूप में काम करने लगे. विभिन्न तरीके के शोध में उनकी बढ़ती हुई दिलचस्पी ने उन्हें मिशिगन के विश्वविद्यालय में एक खास तरह के शोध पर काम करने का मौका दिया. तत्पश्चात डॉ. साल्क ने पिट्सबर्ग के औषधि विद्यालय में भी काम किया जहां उन्होंने पोलियो की दवा बनाने की तकनीकों को सीखा. आखिरकार विभिन्न संगठनों में काम करने के बाद जब डॉ. सॉल्क ने पोलियो दवा का आविष्कार कर लिया तो पहली बार इसे बंदरों पर आजमाया गया. इसके बाद इसे कुछ मरीजों पर आजमाया गया जिन्हें पहले से ही पोलियो था. जब पोलियो ग्रसित लोगों को लाभ मिला तो डॉ. सॉल्क की इस खोज की खबर पूरे विश्व में फैल गई और इसे वर्ष 1954 में लाखों बच्चों पर आजमाया गया. अंत में वर्ष 1955 में पोलियो दवा को सुरक्षित व लाभकारी करार दिया गया. पोलियो की दवा का आविष्कर करने वाले महान डॉ. जोनास सॉल्क का 23 जून 1995 को 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.
वर्ष 1955 में जब सॉल्क ने पोलियो का टीका पेश किया, तब पोलियो को युद्ध के बाद के दौर का सबसे भयावह स्वास्थ्य समस्या माना जाता था. वर्ष 1952 तक इस बीमारी से प्रतिवर्ष 3 लाख लोग प्रभावित और 58 हजार मौतें हो रही थी, जो अन्य दूसरी संक्रामक बीमारी की तुलना में सबसे ज्यादा थी. इनमें से ज्यादातर बच्चे थे. राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट इस बीमारी के सबसे ख्यात शिकार थे, जिन्होंने इस बीमारी से लड़ने के लिए टीका विकसित करने के लिए एक संस्थान की स्थापना की.


0 comments:

Post a Comment