अनूप जैन ने वर्ष 2014 का
वेसलिट्ज ग्लोबल सिटिजन अवार्ड 8 अक्टूबर 2014 को जीता. अनूप जैन को वर्ष 2011 में बिहार के
ग्रामीण इलाकों में सामुदायिक सफाई के क्षेत्र में काम करने के लिए सम्मानित किया
गया. अनूप जैन ने वर्ष 2011 में बिहार में ह्यूमेन्यूर पावर
(एचपी) की स्थापना की थी जो ग्रामीण भारत में सामुदायिक स्वच्छता इकाईयों का
निर्माण करता है.
इस पुरस्कार में एक लाख अमेरिकी डॉलर की नकद पुरस्कार
राशि शामिल है. अनूप जैन को दुनिया भर से लोगों द्वारा सबसे अधिक वोट मिलने के बाद
विजेता चुना गया. अनूप इस अवॉर्ड के लिए अंतिम चार प्रतिभागियों में से एक थे.
अंतिम चार फाइनल में एक और भारतीय स्वप्निल चतुर्वेदी भी शामिल थे. स्वप्निल ने ‘समग्र सैनिटेशन’ की स्थापना की थी. ‘समग्र सैनिटेशन’ भारत में शहरी गरीबों को ‘सुविधा सम्पन्न स्वच्छता सेवा’ प्रदान करने पर
केंद्रित है.
ह्यूमेन्यूर पावर (एचपी) के बारे में
ह्यूमेन्यूर पावर नामित संगठन ने खुले में शौच की समस्या से निपटने के लिए काम किया. एचपी इंडिया के स्वच्छता संकट का मुकाबला करने के लिए समुदाय शौचालय बनाता है. 650 मिलियन भारतीयों को दैनिक नित्य कर्म के लिए बाहर जाना पड़ता है क्योंकि उनके पास शौचालय नहीं है. ह्यूमेन्यूर पावर ने बिहार के सुपौल जिले में इस भारी मुद्दे की शुरूआत की. बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है और सुपौल इसके सबसे गरीब जिलों में से एक है. ह्यूमेन्यूर पावर ने स्वच्छता बुनियादी सुविधाओं के उपयोग में सुधार करने के लिए सुपौल क्षेत्र के समुदायों के साथ काम किया.
ह्यूमेन्यूर पावर (एचपी) के बारे में
ह्यूमेन्यूर पावर नामित संगठन ने खुले में शौच की समस्या से निपटने के लिए काम किया. एचपी इंडिया के स्वच्छता संकट का मुकाबला करने के लिए समुदाय शौचालय बनाता है. 650 मिलियन भारतीयों को दैनिक नित्य कर्म के लिए बाहर जाना पड़ता है क्योंकि उनके पास शौचालय नहीं है. ह्यूमेन्यूर पावर ने बिहार के सुपौल जिले में इस भारी मुद्दे की शुरूआत की. बिहार भारत के सबसे गरीब राज्यों में से एक है और सुपौल इसके सबसे गरीब जिलों में से एक है. ह्यूमेन्यूर पावर ने स्वच्छता बुनियादी सुविधाओं के उपयोग में सुधार करने के लिए सुपौल क्षेत्र के समुदायों के साथ काम किया.
एचपी में 17,000 प्रयोगकर्ता
हैं जिनकी सहायता से करीब आठ टन मानव मल का स्वच्छतापूर्वक निपटारा किया जाता है.
इस तरह के प्रयास से शौचालय निर्माण के जरिए मल सम्मिश्रण द्वारा होने वाली जल
जनित बीमारियों को दूर करने में मदद मिलेगी. इनके कारण स्वास्थ्य और समाज व्यापक
रूप से प्रभावित होता है.
वे मानव अपशिष्ट से उत्पादित मीथेन गैस का उपयोग बिजली पैदा
करने और पोर्टेबल बैटरी चार्ज करने के लिए करते हैं. समुदाय के सदस्य छोटे घरेलू
इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों की बिजली के लिए इन बैटरियों किराया देते है. भारत में
टिकाऊ स्वच्छता बुनियादी ढांचे के निर्माण से, एचपी 21
वीं सदी के लिए स्वस्थ समुदायों और नए बाजारों को विकसित कर रहा है.
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