वर्ष 2014 के लिए रसायन
शास्त्र के नोबेल पुरस्कार हेतु तीन वैज्ञानिकों- अमेरिका के एरिक बेटजिग (Eric
Betzig) और विलियम ई मोर्नर (William E. Moerner) तथा जर्मनी के वैज्ञानिक स्टीफन हेल (Stefan W. Hell) का चयन किया गया. इनके चयन की घोषणा द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ़ साइंसेस ने
स्टॉकहोम में 8 अक्टूबर 2014 को की.
उन्हें यह पुरस्कार अतिसूक्ष्म चीजों को देखने के लिए बेहद शक्तिशाली फ्लोरेसेंस
माइक्रोस्कोपी का विकास करने के लिए दिया जाना है.
वैज्ञानिकों से सम्बंधित तथ्य
एरिक बेटजिग
एरिक बेटजिग का जन्म वर्ष 1960 में अमेरिका के एन आर्बर में हुआ था. उन्होंने वर्ष 1988 में न्यू यॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नवेल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली. वह एशबर्न स्थित जेनेलिया फार्म रिसर्च कैंपस, होवार्ड ह्यूजेज मेडिकल इंस्टीट्यूट के टीम लीडर हैं.
विलियम ई मोरनर
अमेरिकी नागरिक विलियम ई मोरनर का जन्म वर्ष 1953 में कैलिफोर्निया के प्लीजेंटन में हुआ था. उन्होंने न्यू यॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1982 में पीएचडी की. वह कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाइड फिजिक्स के प्रोफेसर हैं.
वैज्ञानिकों से सम्बंधित तथ्य
एरिक बेटजिग
एरिक बेटजिग का जन्म वर्ष 1960 में अमेरिका के एन आर्बर में हुआ था. उन्होंने वर्ष 1988 में न्यू यॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नवेल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली. वह एशबर्न स्थित जेनेलिया फार्म रिसर्च कैंपस, होवार्ड ह्यूजेज मेडिकल इंस्टीट्यूट के टीम लीडर हैं.
विलियम ई मोरनर
अमेरिकी नागरिक विलियम ई मोरनर का जन्म वर्ष 1953 में कैलिफोर्निया के प्लीजेंटन में हुआ था. उन्होंने न्यू यॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1982 में पीएचडी की. वह कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाइड फिजिक्स के प्रोफेसर हैं.
स्टीफन डब्ल्यू हेल
जर्मन नागरिक स्टीफन डब्ल्यू हेल का जन्म वर्ष 1962 में रोमानिया के अराड में हुआ. उन्होंने वर्ष 1990 में जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ हीदलबर्ग से पीएचडी की. वह मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर बायोफिजिकल केमिस्ट्री, गोटिंगटन के निदेशक और हीदलबर्ग स्थित जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के डिवीजन हेड हैं.
फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी का विकास
एरिक बेटजिग, स्टीफन डब्ल्यू हेल और विलियम ई मोरनेर ने ऑप्टिकल माइक्रोस्कॉपी से प्रकाश की वेबलेंथ का आधा ही रिजॉल्यूशन प्राप्त करने की भ्रांति को दूर किया. आज ऑप्टिकल माइक्रोस्कॉपी के जरिये जीवित सेल्स में मॉलीक्यूल (कण) के पथ के साथ तंत्रिका कोशिकाओं (नर्व सेल) एवं मस्तिष्क (ब्रेन) के बीच कण के सूत्रयुग्मन की प्रक्रिया को भी देखना संभव है.
इस तकनीक को सुपर रिजॉल्व्ड फ्लोरोसेंस माइक्रोस्कोपी कहा जाता है. इसे सामान्यत: नैनोस्कोपी के नाम से जाना जाता है.
नोबेल समिति के अनुसार, इन वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप की दृश्यता की सीमाओं को तोड़ कर विज्ञान के लिये एक नया द्वार खोल दिया. अब तक वैज्ञानिकों में धारणा यह थी कि सिर्फ 0.2 माइक्रोमीटर के अणुओं को माइक्रोस्कोप द्वारा देखा जा सकता है. लेकिन नए शोध ने इस हद को भी पार कर दिया.
लाभ
• नैनोस्कोपी से पार्किंसन, अल्जाइमर, हंटिंगटन जैसी बीमारी में प्रोटीन की भूमिका का पता लगाने और गर्भ में निषेचित अंडों के भ्रूण में तब्दील होने की प्रक्रिया का भी अध्ययन संभव है.
• मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच अणु अंतरग्रंथियों को किस तरह उत्पन्न करते हैं, देखा जा सकता है.
जर्मन नागरिक स्टीफन डब्ल्यू हेल का जन्म वर्ष 1962 में रोमानिया के अराड में हुआ. उन्होंने वर्ष 1990 में जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ हीदलबर्ग से पीएचडी की. वह मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर बायोफिजिकल केमिस्ट्री, गोटिंगटन के निदेशक और हीदलबर्ग स्थित जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के डिवीजन हेड हैं.
फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी का विकास
एरिक बेटजिग, स्टीफन डब्ल्यू हेल और विलियम ई मोरनेर ने ऑप्टिकल माइक्रोस्कॉपी से प्रकाश की वेबलेंथ का आधा ही रिजॉल्यूशन प्राप्त करने की भ्रांति को दूर किया. आज ऑप्टिकल माइक्रोस्कॉपी के जरिये जीवित सेल्स में मॉलीक्यूल (कण) के पथ के साथ तंत्रिका कोशिकाओं (नर्व सेल) एवं मस्तिष्क (ब्रेन) के बीच कण के सूत्रयुग्मन की प्रक्रिया को भी देखना संभव है.
इस तकनीक को सुपर रिजॉल्व्ड फ्लोरोसेंस माइक्रोस्कोपी कहा जाता है. इसे सामान्यत: नैनोस्कोपी के नाम से जाना जाता है.
नोबेल समिति के अनुसार, इन वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप की दृश्यता की सीमाओं को तोड़ कर विज्ञान के लिये एक नया द्वार खोल दिया. अब तक वैज्ञानिकों में धारणा यह थी कि सिर्फ 0.2 माइक्रोमीटर के अणुओं को माइक्रोस्कोप द्वारा देखा जा सकता है. लेकिन नए शोध ने इस हद को भी पार कर दिया.
लाभ
• नैनोस्कोपी से पार्किंसन, अल्जाइमर, हंटिंगटन जैसी बीमारी में प्रोटीन की भूमिका का पता लगाने और गर्भ में निषेचित अंडों के भ्रूण में तब्दील होने की प्रक्रिया का भी अध्ययन संभव है.
• मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच अणु अंतरग्रंथियों को किस तरह उत्पन्न करते हैं, देखा जा सकता है.
रसायन शास्त्र के नोबेल पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य
• रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार वर्ष 1901 से 2014 के दौरान 106 बार 169 वैज्ञानिकों को प्रदान किया गया.
• ब्रिटिश वैज्ञानिक फ्रेडरिक सेंगर को यह पुरस्कार दो बार (1958 व 1980 में) दिया गया.
• अमेरिकी रसायन शास्त्री लीनस पाउलिंग एकमात्र वैज्ञानिक हैं जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार बिना किसी के साथ साझा किए प्राप्त हुआ.
• लीनस पाउलिंग को वर्ष 1954 में पहली बार रसायन के क्षेत्र में जबकि दूसरी बार वर्ष 1962 में शान्ति के क्षेत्र में प्रदान किया गया.
• वर्ष 2014 तक चार महिलाओं को रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया.
नोबेल पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य
इसकी शुरुआत स्वीडन के वैज्ञानिक और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के द्वारा वर्ष 1895 में लिखी वसीयत में की गई थी. वर्ष 1901 में पहली बार भौतिकी, रसायन शास्त्र, चिकित्सा या कार्यिकी, साहित्य और शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
नोबेल पुरस्कार के रूप में 80 लाख स्वीडिश ब्रोकर यानि करीब 7.5 करोड रूपये की राशि प्रदान की जाती है. वित्तीय संकट के कारण नोबेल फाउंडेशन ने वर्ष 2012 के पुरस्कार राशि में 20 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया था.
• रसायन शास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार वर्ष 1901 से 2014 के दौरान 106 बार 169 वैज्ञानिकों को प्रदान किया गया.
• ब्रिटिश वैज्ञानिक फ्रेडरिक सेंगर को यह पुरस्कार दो बार (1958 व 1980 में) दिया गया.
• अमेरिकी रसायन शास्त्री लीनस पाउलिंग एकमात्र वैज्ञानिक हैं जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार बिना किसी के साथ साझा किए प्राप्त हुआ.
• लीनस पाउलिंग को वर्ष 1954 में पहली बार रसायन के क्षेत्र में जबकि दूसरी बार वर्ष 1962 में शान्ति के क्षेत्र में प्रदान किया गया.
• वर्ष 2014 तक चार महिलाओं को रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया.
नोबेल पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य
इसकी शुरुआत स्वीडन के वैज्ञानिक और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के द्वारा वर्ष 1895 में लिखी वसीयत में की गई थी. वर्ष 1901 में पहली बार भौतिकी, रसायन शास्त्र, चिकित्सा या कार्यिकी, साहित्य और शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.
नोबेल पुरस्कार के रूप में 80 लाख स्वीडिश ब्रोकर यानि करीब 7.5 करोड रूपये की राशि प्रदान की जाती है. वित्तीय संकट के कारण नोबेल फाउंडेशन ने वर्ष 2012 के पुरस्कार राशि में 20 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया था.
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