केंद्रीय एमओयूडी ने नई दिल्ली के भीड़–भाड़ वाली सड़कों पर 17 सदस्यीय समिति गठित की-(13-OCT-2014) C.A

| Monday, October 13, 2014
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय (एमओयूडी) ने नई दिल्ली के सड़कों को भीड़भाड़ से मुक्त करने के लिए सुझाव देने हेतु 10 अक्टूबर 2014 को एक 17 सदस्यीय समिति का गठन किया. इस समिति के अध्यक्ष केंद्रीय एमओयूडी के सचिव होंगे. यह समिति प्राथमिकता के आधार पर सुधारात्मक उपायों की तलाश करेगी.
साथ ही समिति इस परियोजना के सभी तकनीकी, वित्तीय और प्रशासनिक पहलुओं पर भी गौर करेगी.
समिति को अपनी रिपोर्ट के साथ प्रस्ताविक एक्शन प्लान नवंबर 2014 के पहले सप्ताह में जमा करने का निर्देश दिया गया है.
इस समिति का गठन मीडिया रिपोर्टों में राष्ट्रीय राजधानी में सड़कों पर यातायात की भीड़ पर प्रकाश डालने के बाद गठित किया गया था.
नई दिल्ली में सड़कों पर भीड़ की समस्या  
वर्ष 2012 में केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई), विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) और रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विसेस (आरआईटीईएस) द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, यह भविष्यवाणी की गई थी कि साल 2020 तक, दिल्ली की शीर्ष गति पांच किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी, इसका मतलब है कि, 15 किलोमीटर की दूरी तय करने में तीन घंटों का समय लगेगा.
हालांकि दिल्ली में उसके भौगोलिक क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे व्यापक सड़क नेटवर्क, 21 फीसदी, है लेकिन वह भरा हुआ है और वाहनों से अटा पड़ा है.
यह समस्या इस वजह से है कि दिल्ली में साठ लाख (छह मिलियन) वाहन हैं और हर रोज इनमें 1200 वाहनों का इजाफा हो रहा है. लेकिन इसी गति से सड़क की चौड़ाई नहीं बढ़ रही. इस समस्या को राजधानी से रोजाना गुजरने वाले 12 लाख वाहन और बढ़ा देते हैं जिनकी वजह से दिल्ली के नौ राजमार्ग अवरुद्ध होते हैं.
इसके अलावा, शहर की सड़कों पर भीड़ का यह संकट एनसीआर हैं जहां अभी भी कई सड़क और फ्लाईओवर परियोजनाएं अधूरी पड़ी हैं. इसके प्रभाव का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि दिल्ली वालों के करियर का छह वर्ष जाम में खर्च हो जाता है और सत्तर लाख काम के घंटे (सात मिलियन मैन आवर्स) और 100 करोड़ रुपयों की उत्पादकता भीड़-भाड़ के कारण गंवा दिया जाता है. यह राजधानी को भारत का सबसे बुरी भीड़ वाला शहर बनाता है.


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