केंद्र सरकार ने 8 अक्टूबर 2014
को पश्मीना प्रोत्साहन कार्यक्रम (पी–3) का
आरंभ किया. केंद्रीय कपड़ा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने पी–3
कार्यक्रम का आरंभ पश्मीना डीहेयरिंग प्लांट कॉंपलैक्स, स्कालझांगलिंग, लेह में किया. पश्मीना प्रोत्साहन
कार्यक्रम (पी–3) को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा ताकि 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012–17) के दौरान पशमीना ऊन
का उत्पादन 65 टन तक बढ़ाया जा सके.
पश्मीना प्रोत्साहन
कार्यक्रम (पी–3) के बारे में
पी–3 मिशन के तहत, 19.35 करोड़ रुपयों की लागत से लेह में नवीनतम आयातित प्रौद्योगिकी आधारित पश्मीना डीहेयरिंग संयंत्र की स्थापना का एक मुख्य प्रावधान किया गया. यह अनुदान अन्य मशीनरियों जिसमें सफाई (स्काउरिंग), सुखाना और बॉयलर के साथ लेह में इन मशीनरियों को लगाने के लिए भवन निर्माण के लिए दिया जाएगा.
इसके अलावा, निम्नलिखित विभिन्न घटकों के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाएगी–
• ऊन की जांच के लिए कॉमन पशमीना फैसीलिटेशन सेंटर (पश्मीना सुविधा केंद्र) के निर्माण के लिए.
• रोग निगरानी केंद्र
• भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रयोगशाला
• खानाबदोशों के लिए आवास
• हथकरघा कताई/ बुनाई के लिए पोर्टेबल बिजली इकाइयों के लिए
• सौर सामुदायिक केंद्र
• खुला चारा बाड़ा
• पश्मीना डीहेयरिंग संयंत्र की स्थापना
• किसानों के लिए फाउंडेशन स्टॉक का वितरण
• पश्मीना स्टॉक को रखने के लिए भवन का निर्माण
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्मीना ऊन की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने के साथ–साथ लद्दाख के गरीब खानाबदोशों की आजीविका के स्तर को बढ़ाने के लिए पश्मीना प्रोत्साहन कार्यक्रम (पी–3) के आरंभ की घोषणा 12 अगस्त 2014 को की थी.
पश्मीना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरी के नाम से जाना जाता है जो किए एक बेहतरीन लग्जरी रेशा होता है जिसका उत्पादन भारत के लद्दाख क्षेत्र में चांगथांग प्रजाति की बकरियों से किया जाता है.
पी–3 मिशन के तहत, 19.35 करोड़ रुपयों की लागत से लेह में नवीनतम आयातित प्रौद्योगिकी आधारित पश्मीना डीहेयरिंग संयंत्र की स्थापना का एक मुख्य प्रावधान किया गया. यह अनुदान अन्य मशीनरियों जिसमें सफाई (स्काउरिंग), सुखाना और बॉयलर के साथ लेह में इन मशीनरियों को लगाने के लिए भवन निर्माण के लिए दिया जाएगा.
इसके अलावा, निम्नलिखित विभिन्न घटकों के लिए वित्तीय सहायता भी दी जाएगी–
• ऊन की जांच के लिए कॉमन पशमीना फैसीलिटेशन सेंटर (पश्मीना सुविधा केंद्र) के निर्माण के लिए.
• रोग निगरानी केंद्र
• भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) प्रयोगशाला
• खानाबदोशों के लिए आवास
• हथकरघा कताई/ बुनाई के लिए पोर्टेबल बिजली इकाइयों के लिए
• सौर सामुदायिक केंद्र
• खुला चारा बाड़ा
• पश्मीना डीहेयरिंग संयंत्र की स्थापना
• किसानों के लिए फाउंडेशन स्टॉक का वितरण
• पश्मीना स्टॉक को रखने के लिए भवन का निर्माण
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पश्मीना ऊन की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाने के साथ–साथ लद्दाख के गरीब खानाबदोशों की आजीविका के स्तर को बढ़ाने के लिए पश्मीना प्रोत्साहन कार्यक्रम (पी–3) के आरंभ की घोषणा 12 अगस्त 2014 को की थी.
पश्मीना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीरी के नाम से जाना जाता है जो किए एक बेहतरीन लग्जरी रेशा होता है जिसका उत्पादन भारत के लद्दाख क्षेत्र में चांगथांग प्रजाति की बकरियों से किया जाता है.
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