इस्राइल
और फिलिस्तीनियों के मध्य 51 दिन तक चले संघर्ष में तहस-नहस हुई गज़ा
पट्टी के पुनर्निर्माण के लिए भारत ने 40 लाख डॉलर की सहायता
देने का संकल्प लिया. भारत ने यह संकल्प संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय दानदाता
सम्मेलन में 12 अक्टूबर 2014 को लिया.
इस सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में पश्चिम एशिया
और उत्तरी अफ्रीका मामलों के संयुक्त सचिव संदीप कुमार ने किया. संयुक्त राष्ट्र
के अंतरराष्ट्रीय दानदाता सम्मेलन का आयोजन मिस्र और नॉर्वे ने संयुक्त रूप से
काहिरा में किया.
संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय दानदाता सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर दानदाताओं ने इस कार्य के लिये कुल 5.4 अरब डॉलर की धनराशि देने की पेशकश की. इसमें भारत का 40 लाख डॉलर भी शामिल है.
संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय दानदाता सम्मेलन में वैश्विक स्तर पर दानदाताओं ने इस कार्य के लिये कुल 5.4 अरब डॉलर की धनराशि देने की पेशकश की. इसमें भारत का 40 लाख डॉलर भी शामिल है.
इस एक दिवसीय सम्मेलन में 30 से अधिक विदेश मंत्रियों और 50 से अधिक राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया. इस दौरान क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 20 प्रतिनिधि भी मौजूद थे.
सम्मेलनक बाद नॉर्वे के विदेश मंत्री बोर्ज ब्रेंडे ने कहा कि भागीदारों ने लगभग 5.4 अरब डॉलर के सहयोग का संकल्प लिया है. यह दान राशि 4 अरब डॉलर की उस राशि से कहीं अधिक है, जिसकी मांग फलस्तीनियों ने गाजा के पुनर्निर्माण के लिए की थी.
कतर ने एक अरब डॉलर के साथ दानदाताओं की सूची में शीर्ष स्थान पर है. अमेरिका ने 21.2 करोड़ डॉलर की राशि दान देने का निर्णय किया है.
विदित हो कि जुलाई 2014 और अगस्त 2014 में चले 51 दिन के संघर्ष में 2000 फलस्तीनियों की मौत हो गई थी तथा एक लाख अन्य बेघर हो गए थे.
विश्लेषण
इस (काहिरा) सम्मेलन के उद्देश्यों पर शीघ्र अमल फलस्तीन एवं इस्राइल के बीच संघर्ष विराम पर बनी मौजूदा समझ को मजबूत करने में महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि समस्याओं को सुलझाने एवं स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए वार्ता ही एकमात्र सुरक्षित रास्ता है.
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