‘फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर’ : दिलीप डिसूजा
‘फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर’ (Final Test: Exit Sachin Tendulkar) नामक पुस्तक लेखक एवं पत्रकार दिलीप डिसूजा (Dilip D'Souza) द्वारा लिखी गई है. इस पुस्तक में वेस्टइंडीज के खिलाफ नवंबर 2013 में खेले गए सचिन तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट का वर्णन है. यह मैच मुंबई के वानखेड़े (Wankhede) स्टेडियम पर खेला गया था.
‘फाइनल टेस्ट : एक्जिट सचिन तेंदुलकर’ (Final Test: Exit Sachin Tendulkar) नामक पुस्तक लेखक एवं पत्रकार दिलीप डिसूजा (Dilip D'Souza) द्वारा लिखी गई है. इस पुस्तक में वेस्टइंडीज के खिलाफ नवंबर 2013 में खेले गए सचिन तेंदुलकर के आखिरी टेस्ट का वर्णन है. यह मैच मुंबई के वानखेड़े (Wankhede) स्टेडियम पर खेला गया था.
इसके अलावा इस पुस्तक में मैदान के भीतर और बाहर के मसलों को भी
उठाया गया है. यह पुस्तक रैंडम हाउस इंडिया द्वारा प्रकाशित की गई.
लेखक ने पुस्तक में लिखा है कि,‘ सचिन जब सीढ़ियों से उतरकर मैदान की तरफ बढ़ते हैं तो लोगों की प्रतिक्रिया को शब्दों में बयां करना मुश्किल था. हम सभी जानते थे कि यह पल बहुत बड़ा होगा लेकिन फिर भी मैने इतने शोर की कल्पना नहीं की थी कि पूरा आकाश गुंजायमान हो जाये.’
‘यह देश के महान खिलाड़ी को किया जा रहा सजदा था.’
भारत ने वह मैच 126 रन से जीता था और तेंदुलकर ने 74 रन बनाये थे.
लेखक ने कहा ,‘क्या तेंदुलकर इस तरह से खेल को अलविदा कह सकते थे. आखिरी टेस्ट में उनके प्रशंसक मैदान पर उनकी एक आखिरी झलक पाने की होड़ में थे. यदि वह ऐसी पारी नहीं खेलते तो सभी को निराशा होती.’
‘अपने आखिरी टेस्ट का स्थान और समय भले ही उन्होंने खुद चुना हो लेकिन किस तरीके से वह संन्यास लेंगे, यह उन्होंने तय नहीं किया था.’
लेखक ने पुस्तक में लिखा है कि,‘ सचिन जब सीढ़ियों से उतरकर मैदान की तरफ बढ़ते हैं तो लोगों की प्रतिक्रिया को शब्दों में बयां करना मुश्किल था. हम सभी जानते थे कि यह पल बहुत बड़ा होगा लेकिन फिर भी मैने इतने शोर की कल्पना नहीं की थी कि पूरा आकाश गुंजायमान हो जाये.’
‘यह देश के महान खिलाड़ी को किया जा रहा सजदा था.’
भारत ने वह मैच 126 रन से जीता था और तेंदुलकर ने 74 रन बनाये थे.
लेखक ने कहा ,‘क्या तेंदुलकर इस तरह से खेल को अलविदा कह सकते थे. आखिरी टेस्ट में उनके प्रशंसक मैदान पर उनकी एक आखिरी झलक पाने की होड़ में थे. यदि वह ऐसी पारी नहीं खेलते तो सभी को निराशा होती.’
‘अपने आखिरी टेस्ट का स्थान और समय भले ही उन्होंने खुद चुना हो लेकिन किस तरीके से वह संन्यास लेंगे, यह उन्होंने तय नहीं किया था.’
पुस्तक के अनुसार ‘तेंदुलकर ने जिस तरह
भारतीयों के दिलोदिमाग पर राज किया है, उससे क्रिकेट से उनका
संन्यास लेना बरबस की ऐतिहासिक पल बन गया था. आप यह अंतहीन बहस कर सकते हैं कि
भारत का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर कौन है लेकिन सबसे ज्यादा और सबसे लंबे समय तक पूजा
किसे गया , इस पर कोई बहस नहीं है .’
पुस्तक में कहा गया है कि,‘ गांगुली, कुंबले, द्रविड़ और लक्ष्मण ने भी भारतीय क्रिकेट में उल्लेखनीय योगदान दिया और दुनिया भर में टेस्ट जीते लेकिन तेंदुलकर इतनी कम उम्र में चमका था कि उसका आभामंडल ही दूसरा था. चमक सभी सितारों में होती है लेकिन अभिनव तारा सभी को बेनूर कर देता है.’
पुस्तक में कहा गया है कि,‘ गांगुली, कुंबले, द्रविड़ और लक्ष्मण ने भी भारतीय क्रिकेट में उल्लेखनीय योगदान दिया और दुनिया भर में टेस्ट जीते लेकिन तेंदुलकर इतनी कम उम्र में चमका था कि उसका आभामंडल ही दूसरा था. चमक सभी सितारों में होती है लेकिन अभिनव तारा सभी को बेनूर कर देता है.’
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