शिपिंग कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने भारत–म्यांमार सेवा (आईएमएस) कंटेनर सेवा का 7 अक्टूबर 2014
को आरंभ किया जो चेन्नई से म्यांमार के बीच कंटेनर सेवाओं का संचालन
करेंगी. यह सेवा दक्षिण और पश्चिम भारत को म्यांमार से चेन्नई, कृष्णापट्टनम, यांगून, कोलंबो
बंदरगाह से रोटेशन के जरिए जोड़ेगी. यह सेवा भारत और म्यांमार के बीच द्विपक्षीय
व्यापारिक रिश्तों को दोनों देशों के निर्माताओं, आयातकों और
निर्यातकों के लिए अपार अवसर उपलब्ध करा कर मजबूत बनाने का काम करेगी.
भारत–म्यांमार सेवा भारत और म्यांमार के बढ़ते बाजार के लिए व्यापारियों के लिए नए रास्ते भी खोलेगा. इस सेवा के हर पखवाड़े में चेन्नई से रवाना होना निर्धारित किया गया. यह सेवा इस उद्देश्य के लिए विशेष तौर से निर्मित एम.वी. एससीआई कमल– एक 1200TEU क्षमता वाले पोत से शुरु की जाएगी. यह पोत अपनी पहली यात्रा में 200TEU तक का विनिमय हेतु आयात के लिए दालें, लकड़ी, फर्नीचर जैसे सामग्रियों और निर्यात में सीमेंट, सामान्य माल और रसायन ले जाएगा.
भारत–म्यांमार सेवा भारत और म्यांमार के बढ़ते बाजार के लिए व्यापारियों के लिए नए रास्ते भी खोलेगा. इस सेवा के हर पखवाड़े में चेन्नई से रवाना होना निर्धारित किया गया. यह सेवा इस उद्देश्य के लिए विशेष तौर से निर्मित एम.वी. एससीआई कमल– एक 1200TEU क्षमता वाले पोत से शुरु की जाएगी. यह पोत अपनी पहली यात्रा में 200TEU तक का विनिमय हेतु आयात के लिए दालें, लकड़ी, फर्नीचर जैसे सामग्रियों और निर्यात में सीमेंट, सामान्य माल और रसायन ले जाएगा.
भारत–म्यांमार सेवा केंद्र
सरकार की लुक ईस्ट पॉलिसी (पूर्व की तरफ देखो नीति) का सीधा सीधा उदाहरण है. इसके
जरिए केंद्र सरकार म्यांमार के सितवे बंदरगाह का प्रयोग कर मिजोरम और अन्य उत्तर–पूर्वी राज्यों में अपनी पहुंच बढ़ाना चाहती है. इसके अलावा, केंद्र सरकार अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी के तहत ऐसी ही सेवाएं थाइलैंड और
वियतनाम जैसे देशों के लिए शुरु करने पर भी विचार कर रही है. इसके अलावा, केंद्र सरकार बांग्लादेश के शिपिंग उद्योग को भी मदद करेगी.
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