अमेरिका के समाचार-पत्र न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने उस
कार्टून पर माफ़ी मांगी है जिसमें भारत के मंगलयान अभियान का मजाक बनाने की कोशिश
की थी. न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि बहुत सारे पाठकों ने 'न्यू यॉर्क टाइम्स इंटरनेशनल' में छपे उस संपादकीय
कार्टून की शिकायत की है जो भारत के अंतरिक्ष में बढ़ते मजबूत कदमों पर आधारित था.
इस कार्टून को सिंगापुर के मूल निवासी हेंग किम सांग ने बनाया था.
संपादकीय पेज के एडिटर एंड्र्यू रोसेंथल ने फेसबुक वॉल पर
कार्टूनिस्ट हेंग किम सॉन्ग का बचाव करते हुए लिखा है कि उन्हें अपने कार्टून में
यह दर्शाना था कि अंतरिक्ष अभियान पर अब कैसे अमीरों का ही आधिपत्य नहीं रह गया है, जिसका मतलब पश्चिमी देशों से था.
हेंग किम अक्सर ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार प्रकट करने के लिए शब्दों और तस्वीरों को इस तरीके से इस्तेमाल करते हैं जिनसे वो चिढ़ानेवाली या उकसानेवाली लगती हैं.
एडिटर ने आगे लिखा, 'हम उन पाठकों से माफी मांगते हैं जिन्होंने इस कार्टून से खुद को अपमानित महसूस किया है. मिस्टर हेंग कहीं से भी भारत, भारत सरकार या वहां के नागरिकों का विरोध नहीं करना चाह रहे थे. पाठकों ने हमारे साथ विचार बांटे, इसकी हम सराहना करते हैं और यह स्वागत योग्य है’.
हेंग किम अक्सर ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अपने विचार प्रकट करने के लिए शब्दों और तस्वीरों को इस तरीके से इस्तेमाल करते हैं जिनसे वो चिढ़ानेवाली या उकसानेवाली लगती हैं.
एडिटर ने आगे लिखा, 'हम उन पाठकों से माफी मांगते हैं जिन्होंने इस कार्टून से खुद को अपमानित महसूस किया है. मिस्टर हेंग कहीं से भी भारत, भारत सरकार या वहां के नागरिकों का विरोध नहीं करना चाह रहे थे. पाठकों ने हमारे साथ विचार बांटे, इसकी हम सराहना करते हैं और यह स्वागत योग्य है’.
विदित हो कि न्यू यॉर्क टाइम्स में एक कार्टून छपा था
जिसमें भारत के मंगल मिशन को दर्शाया गया था. इस कार्टून को इस तरीके से बनाया गया
था कि इसमें भारत गरीब नजर आ रहा था. एक घर की तरह दिखाए गए मंगल ग्रह पर भारत एक
किसान की तरह अपनी गाय लेकर पहुंचता है और वहां के दरवाजे को खटखटाता है.
घर (मंगल ग्रह) पर पहले से ही मौजूद लोगों को एलीट देश बताने वाले इस कार्टून को चौतरफा विरोध झेलना पड़ा था. पश्चिमी देशों का भारत को लेकर एक नजरिया यह भी रहा है कि यह सपेरों का देश है और शायद यही सोच कार्टून में निकलकर सामने आ गई.
घर (मंगल ग्रह) पर पहले से ही मौजूद लोगों को एलीट देश बताने वाले इस कार्टून को चौतरफा विरोध झेलना पड़ा था. पश्चिमी देशों का भारत को लेकर एक नजरिया यह भी रहा है कि यह सपेरों का देश है और शायद यही सोच कार्टून में निकलकर सामने आ गई.
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