नासा की पृथ्वी वेधशाला (Earth Observatory) ने अक्टूबर 2014 में जारी सूचना के अनुसार विश्व की
चौथी सबसे बड़ी झील, ‘अराल सागर’ सूख
गयी है और विलुप्त होने की कगार पर है.
नासा की विज्ञप्ति के अनुसार, यह झील दो पूर्व सोवियत देशों के बीच मध्य एशिया के बीच सिकुड़ गयी है.
कजाकिस्तान और उजबेकिस्तान अब सिर्फ एक विशाल विषाक्त रेगिस्तान हैं और इसके खत्म
होने से स्थानीय जलवायु भी प्रभावित हुई है. अब, इस इलाके की
गर्मियां अधिक गर्म होती हैं जबकि सर्दियां और अधिक ठंडी.
हाल ही में पृथ्वी वेधशाला ने कुछ तस्वीरें पोस्ट की
जिसमें बीते 14 वर्षों में झील के सूखने के हालात का
पता चलता है. अराल सागर की जारी की गई ये तस्वीरें नासा के टेरा उपग्रह ने अगस्त 2014
में लिया था औऱ इन्हें 2 अक्टूबर 2014 को जारी किया गया था.
सबसे अधिक क्षति 2014 में
दर्ज की गई थी क्योंकि दक्षिण अराल सागर का पूर्वी भाग जो कि मूल झील का केंद्र है,
पूरी तरह सूख गया था. शोधकर्ताओं ने भविष्यवाणी की है कि 2020
तक अराल सागर पूरी तरह से सूख जाएगा.
अराल सागर के बारे में
अराल सागर कभी 68000 किलोमीटर
(26300 वर्ग मील) के इलाके में फैला था लेकिन 1960 के दशक से यह लगातार सिकुड़ता जा रहा है. वर्ष 2007 तक,
झील अपने मूल आकार से दस फीसदी तक सिकुड़ चुकी थी और चार हिस्सों
में बंट गई थी. इनके नाम है उत्तर अराल सागर, दक्षिण अराल
सागर की पूर्वी और पश्चिमी घाटियां और उत्तर एवं
दक्षिण अराल सागर के बीच एक छोटी झील. इसके अलावा, 2009 तक,
दक्षिणपूर्वी झील गायब हो चुका था औऱ दक्षिण पश्चिम झील पूर्व
दक्षिणी सागर के चरम में पतली पट्टी का रूप ले चुका था.
सूखने का कारण
अराल सागर कजाकिस्तान और उजबेकिस्तान के बीच स्थित है और 1960
तक इसे दो नदियों– अमू दरया और सियर दरिया से
सींचा जाता था. ये दो नदियों दक्षिणपूर्व की पहाड़ियों से पिघले बर्फ और स्थानीय
वर्षा का जल सागर में डालती थीं, लेकिन 1960 में तत्कालीन सोवियत संघ ने इलाकों में कपास और अन्य कृषि उत्पादों के लिए
पानी की आपूर्ति हेतु इन दो नदियों का पानी कैनालों और डैमों के जरिए पानी की दिशा
मोड़ दी जिसकी वजह से अराल सागर में पानी की आपूर्ति बंद हो गई.
नदियों द्वारा सागर में पानी की आपूर्ति के बंद होने से
पानी का ठहराव हुआ और इसके लवणता का स्तर भी बढ़ता गया. दूसरी तरफ, रसायनों और उर्वरकों के झील में अपवाह के कारण यह प्रदूषित हो गई. झील से
उड़ने वाला नमकीन धूल लोगों स्वास्थ्य के लिए समस्या बन गया औऱ मिट्टी की गुणवत्ता
को कम कर दिया जिसके बाद कृषि भूमि को नदि के पानी से बड़े पैमाने पर सींचा जाने
लगा. नदी के पानी से कृषि भूमि की सिंचाई ने इसे और प्रभावित किया.
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