प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 को देशवासियों को एक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के माध्यम से संबोधित किया. ‘मन की बात’ मोदी एक ज्यादा–से–ज्यादा लोगों तक पहुंचने की एक नई पहल है.
अपने संबोधन में नरेंद मोदी ने महात्मा गांधी को
श्रद्धांजलि देने के लिए खादी के उत्पादों के प्रयोग की वकालत की और कहा कि एक
रूमाल या चादर के रूप में खादी का प्रयोग गरीबों को लाभ पहुंचाएगा और उनके घरों
में समृद्धि का दीपक जलाएगा. उन्होंने कहा कि लोगों को गरीबों के साथ विकलांग
बच्चों के बीच आत्मविश्वास पैदा करना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने दो उदाहरण दिए जिसके जरिए लोग अपने अवसाद
से बाहर निकल सकते हैं और अपने कौशल का प्रयोग देश की भलाई और समृद्धि में कर सकते
हैं. उदाहरण स्वामी विवेकानंद की लघु कथा थी. कथा में एक शेर के भेड़ द्वारा दूसरे
शेर के संपर्क में लाए जाने के बाद उसके कौशल को फिर से खोजने की बात कही गई थी.
उन्होंने ऐसे नियमित रेडियो प्रसारण को नियमित करने का
वादा किया और नागरिकों से उनके विचार आमंत्रित किये. जब से उन्होंने रेडियो पर
राष्ट्र को संबोधित करने की घोषणा की थी उन्हें बड़ी संख्या में सुझाव मिल रहे थे.
नेताओं द्वारा रेडियों पर
वार्ता का इतिहास
रेडियो पर सबसे पहले वार्ता की शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति
फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट ने की. उन्होंने अपने देशवासियों के साथ द्वितीय विश्व
युद्ध और अमेरिका में आर्थिक संकट से निपटने के लिए संचार शुरु किया था.
इतिहासकारों ने रूजवेल्ट के इस कार्यक्रम को रीलीफ (राहत), रिकवरी ( वसूली) और रिफॉर्म (सुधार) के रूप में वर्गीकृत किया है. इसमें
रीलीफ (राहत) बेरोजगार लोगों के लिए, रिकवरी (वसूली)
अर्थव्यवस्था को सामान्य करने औऱ रिफॉर्म (सुधार)
वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली के संदर्भ में गलत कदमों के दीर्घकालिक हल है.
इसके अलावा, यह
प्रक्रिया एक बार फिर राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1982 में
शुरु की थी. फिलहाल, राष्ट्रपति बराक ओबामा एक वीडियो चैट के
जरिए प्रत्येक सप्ताह अपने देशवासियों के साथ संचार करते हैं.
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