डीटीएए हेतु भारत और लात्विया के मध्य करार एवं सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर-(20-SEP-2013) C.A

| Friday, September 20, 2013
भारत और लात्विया के मध्य दोहरे कराधान के परिहार तथा आयकर से संबंधित वित्तीय चोरी (डीटीएए) के संबंध में एक करार एवं सहमति-पत्र पर 18 सितम्बर 2013 को हस्ताक्षर किए गए. लात्विया ऐसा तीसरा बाल्टिक देश है जिसके साथ भारत ने डीटीएए पर हस्ताक्षर किए हैं. इससे पहले लिथुआनिया और एस्टोनिया के साथ ऐसा करार किया गया था. लिथुआनिया और एस्टोनिया के साथ हस्ता‍क्षरित डीटीएए प्रभाव में आ गए हैं.
इस करार एवं सहमति-पत्र का लाभ
इस करार से भारत और लात्विया के निवासियों के कर को स्थायित्व और दोनों देशों के बीच पारस्परिक आर्थिक सहयोग को बल प्राप्त होना है. इससे भारत और लात्विया के बीच निवेश, प्रौद्योगिकी और सेवाओं के प्रवाह में तेजी आनी है.
करार एवं सहमति-पत्र से संबंधित मुख्य तथ्य
इस करार एवं सहमति-पत्र पर भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद तथा लात्विया सरकार की ओर से विदेश मंत्री एडगर्स रिंकेविक्स ने हस्ताक्षर किए.
डीटीएए में प्रावधान है कि यदि किसी उद्यमी का उपक्रम किसी मूल देश में स्थायी रूप से संस्थापित (पीई) है तो उसके क्रियाक्लापों से उत्पन्न व्यावसायिक लाभ स्रोत पर कर योग्य होना है. 
इस करार में प्रावधान है कि पीई का स्थायी स्थान, भवन स्थल, निर्माण अथवा असेम्बली पीई, सर्विस पीई, समुद्र से परे तेल शोधन/पीई शोधन तथा एजेंसी पीई शामिल किए गए हैं.
इस करार में अनुशंगिक उपक्रमों से संबंधित अनुच्छेद के पैरा-2 को शामिल किया गया. इससे मूल्यों के समायोजन के हस्तांतरण से अंतरविष्ट मामलों में दोहरे कराधान से मुक्ति की पारस्परिक सहमति की प्रक्रिया को बढ़ावा प्राप्त होना है.
इसके तहत लाभांश, ब्याज तथा रॉयल्टी एवं तकनीकी सेवाओं से मिलने वाली फीस की आय निर्धारिती के निवास के देश तथा स्रोत के देश, दोनों पर ही कर योग्य होनी हैं. 
इस करार में आगे यह भी प्रावधान है कि नवीनतम अंतरराष्ट्रीय मानकों, बैंकिंग जानकारी के आदान-प्रदान तथा आंतरिक हितों की परवाह किए बगैर जानकारी लेने-देने सहित नवीनतम अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप दोनों देशों के बीच कर अधिकारियों को जानकारी का प्रभावी आदान-प्रदान किया जाना है. 
इस करार में प्रावधान है कि आपूर्तिकर्ता देश की सहमति से अन्य एजेंसियों को सूचना का आदान-प्रदान किया जाना है.
इस करार में करों के संग्रह में सहायता करने का भी अनुच्छेद रखा गया. इस अनुच्छेद में अनुरक्षण के उपायों के प्रावधान को भी शामिल किया गया. 
इस करार में दो देशों के वास्तविक निवासियों द्वारा लिए जा रहे लाभों को निर्बाध (लाभों को संसीमित) करने का प्रावधान भी है.