भारत
सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री के रहमान खान ने सीखो और कमाओ नामक योजना की
शुरूआत नई दिल्ली में 23 सितम्बर 2013 को
की.
सीखो और कमाओ योजना का उद्देश्य
इसका
उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े मौजूदा श्रमिकों, विद्यालय छोड़ चुके विद्यार्थियों में रोजगार योग्यता को विकसित और उनके
लिए रोजगार को सुनिश्चित करना है. इसके साथ ही इसका उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों
के पारम्परिक कौशल को संरक्षित और अद्यतन रखते हुए उनका बाजार से संपर्क बनाना है.
सीखो और कमाओ योजना से संबंधित मुख्य तथ्य
• सीखो और कमाओ योजना एक कौशल विकास पहल है.
• यह अल्पसंख्यकों के कौशल विकास के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय योजना है.
• सीखो और कमाओ योजना के तहत 14 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को लक्ष्य बनाया गया है.
• इसे देश के पांच स्थलों जैसे दिल्ली, कोलकाता, शिलोंग, बरनाला और बंगलूरु में आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम के माध्यम से लागू किया जाना है.
• इस योजना द्वारा अल्पसंख्यक युवाओं के विभिन्न आधुनिक और पारम्परिक व्यवसायों में उनकी शैक्षणिक योग्यता, वर्तमान आर्थिक स्थिति और बाजार संभावना के अनुसार उनके कौशल स्तरों में सुधार किया जाना है.
• इससे वे एक उपयुक्त रोजगार प्राप्त करने और स्वयं के रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल विकास के माध्यम से आय अर्जित कर सकेंगे.
• इसमें राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीबीटी) के द्वारा स्वीकृत प्रमापीय रोजगारपरक कौशल (एमईएस) को शामिल किया गया.
• इस योजना को कौशल प्रशिक्षण और औद्योगिक संघों के क्षेत्र में सूचीबद्ध ऐसे विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाना है, जो रोजगार योग्यता को सुनिश्चित कर सकें.
• इसके तहत 75 प्रतिशत रोजगार प्रतिशत की गारंटी देने वाले संगठनों को प्राथमिकता दी जानी है. इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत रोजगार संगठित क्षेत्र में होना चाहिए.
• इस योजना को देश में कहीं भी चलाया जा सकता है लेकिन उन संगठनों को प्राथमिकता दी जानी है, जिनका उद्देश्य चिह्नित अल्पसंख्यक केन्द्रित जिलों, कस्बों, गांवों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के साथ साथ बाजार संपर्क को सुनिश्चित करते हुए अल्पसंख्यकों के पारम्परिक कौशलों का विकास करना है.
• यह अल्पसंख्यकों के कौशल विकास के लिए 100 प्रतिशत केंद्रीय योजना है.
• सीखो और कमाओ योजना के तहत 14 से 35 वर्ष की आयु के युवाओं को लक्ष्य बनाया गया है.
• इसे देश के पांच स्थलों जैसे दिल्ली, कोलकाता, शिलोंग, बरनाला और बंगलूरु में आईएल एंड एफएस कौशल विकास निगम के माध्यम से लागू किया जाना है.
• इस योजना द्वारा अल्पसंख्यक युवाओं के विभिन्न आधुनिक और पारम्परिक व्यवसायों में उनकी शैक्षणिक योग्यता, वर्तमान आर्थिक स्थिति और बाजार संभावना के अनुसार उनके कौशल स्तरों में सुधार किया जाना है.
• इससे वे एक उपयुक्त रोजगार प्राप्त करने और स्वयं के रोजगार के लिए उपयुक्त कौशल विकास के माध्यम से आय अर्जित कर सकेंगे.
• इसमें राष्ट्रीय व्यवसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीबीटी) के द्वारा स्वीकृत प्रमापीय रोजगारपरक कौशल (एमईएस) को शामिल किया गया.
• इस योजना को कौशल प्रशिक्षण और औद्योगिक संघों के क्षेत्र में सूचीबद्ध ऐसे विशेषज्ञ संगठनों के माध्यम से कार्यान्वित किया जाना है, जो रोजगार योग्यता को सुनिश्चित कर सकें.
• इसके तहत 75 प्रतिशत रोजगार प्रतिशत की गारंटी देने वाले संगठनों को प्राथमिकता दी जानी है. इनमें से कम से कम 50 प्रतिशत रोजगार संगठित क्षेत्र में होना चाहिए.
• इस योजना को देश में कहीं भी चलाया जा सकता है लेकिन उन संगठनों को प्राथमिकता दी जानी है, जिनका उद्देश्य चिह्नित अल्पसंख्यक केन्द्रित जिलों, कस्बों, गांवों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम के साथ साथ बाजार संपर्क को सुनिश्चित करते हुए अल्पसंख्यकों के पारम्परिक कौशलों का विकास करना है.
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