राजस्थान के भीलवाड़ा में नये
मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट (मीमू) कोच कारखाने की नींव 22 सितंबर 2013 को रखी गयी. केंद्र में शासन कर
रही संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस कारखाने की आधारशिला
रखी. बाड़मेर का मीमू कारखाना भारतीय रेल मंत्रालय, राजस्थान तथा सार्वजनिक क्षेत्र
के प्रमुख उपक्रम भारत हेवी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (भेल) की संयुक्त पहल है.
बाड़मेर में मीमू कारखाने का पूरा व्यय भेल द्वारा वहन किया जाना है.
अनुमानतः 800 करोड़ रुपये की लागत वाली इस मीमू
परियोजना हेतु आवश्यक मंजूरी वर्ष 2013-14 के रेल बजट में की गयी थी.
कारखाने की स्थापना को लेकर 25 फरवरी 2013 को रेल मंत्रालय तथा भेल के मध्य सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये
थे. इसके अतिरिक्त भारतीय रेल मंत्रालय ने राजस्थान सरकार के साथ 21 सितंबर 2013 को कारखाने हेतु 518 एकड़ का निःशुल्क उपलब्ध कराने
हेतु हस्ताक्षर किये गये थे.
बाड़मेर में मीमू कारखाने की
स्थापना का उद्देश्य रेलवे के लिए मीमू कोच की उपलब्धता को बढ़ाना तथा स्थानीय
लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मुहैया कराना है. बाड़मेर को अब मीमू
कोच के उत्पादन हेतु भी जाना जाएगा, हालांकि इस क्षेत्र को पहले से
टेक्सटाइल सिटी के तौर पर जाना जाता है.
मेनलाइन इलेक्ट्रिकल मल्टीपल
यूनिट (मीमू) कोच
•
मेमू
गाड़ियों गैर उपनगरीय क्षेत्रों में बहुत लोकप्रिय हैं.
• इन गाड़ियों आमतौर पर काम के लिए बड़े शहरों के लिए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों से बदलना करने के लिए स्थानीय यात्रियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.
• मेमू कोच की ढोन की क्षमता काफी अधिक होती है.
• आजीविका के लिए दैनिक यात्रा करने वालों के लिए मेमू परिवहन का एक बेहतर और किफायती साधन है.
• मेमू परम्परागत रेलगाड़ियों की तुलना में तेजी से त्वरित व मंद होती हैं.
• मेमू कोच से ऊर्जा की खपत में 30 प्रतिशत की बचत हो जाती है.
• इन ट्रेनों में अधिक से अधिक यात्री सुविधा होती है.
• वर्तमान में मेमू कोच सिर्फ रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला में है.
• इन गाड़ियों आमतौर पर काम के लिए बड़े शहरों के लिए आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों से बदलना करने के लिए स्थानीय यात्रियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है.
• मेमू कोच की ढोन की क्षमता काफी अधिक होती है.
• आजीविका के लिए दैनिक यात्रा करने वालों के लिए मेमू परिवहन का एक बेहतर और किफायती साधन है.
• मेमू परम्परागत रेलगाड़ियों की तुलना में तेजी से त्वरित व मंद होती हैं.
• मेमू कोच से ऊर्जा की खपत में 30 प्रतिशत की बचत हो जाती है.
• इन ट्रेनों में अधिक से अधिक यात्री सुविधा होती है.
• वर्तमान में मेमू कोच सिर्फ रेल कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) कपूरथला में है.
0 comments:
Post a Comment