भारतीय
अर्थशास्त्री बंकर रॉय और पाकिस्तान की शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई को इस साल
के क्लिंटन ग्लोबल सिटिजन अवार्ड हेतु चयनित किया गया. उन्हें यह
पुरस्कार एक विशेष समारोह में 25 सितंबर 2013
को न्यूयार्क सिटी में क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव की वार्षिक बैठक
में दिया जाना है. वहां एक हजार से अधिक व्यवसायी, सरकारी और
नागरिक समुदाय के नेता शामिल होंगे.
क्लिंटन ग्लोबल सिटिजन अवार्ड
क्लिंटन ग्लोबल सिटिजन अवार्ड वर्ष 2007 में शुरू किया गया था. यह अवार्ड दूरदर्शी नेतृत्व, प्रभावी प्रदर्शन और वैश्विक मुद्दों को सुलझाने के लिए किए गए प्रभावी कार्यों हेतु प्रदान किया जाता है.
बंकर रॉय से संबंधित तथ्य
बंकर रॉय का पूरा नाम संजीत बंकर रॉय है. इनका जन्म पश्चिम बंगाल राज्य के बर्नपुर में हुआ था. वह एक समाजिक कार्यकर्ता एवं अर्थशास्त्री हैं. उन्होंने दून स्कूल से शिक्षा ग्रहण की. वह वर्ष 1956-1962 में सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से स्नातक किया. वह वर्ष 1962-1967 में विश्व स्क्वायश चैम्पियनशिप में तीन बार भारत का प्रतिनिधित्व किया और वर्ष 1964 में उप विजेता रहे. वर्ष 1970 में उन्होंने अरुणा रॉय से विवाह किया.
वह राजीव गांधी द्वारा योजना आयोग के सदस्य बनाए गए. वह एनजीओ के लिए कोड ऑफ कंडक्ट तैयार किया. उन्हें वर्ष 1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार से वर्ष 2003 में सेंट एंड्रूज पुरस्कार से वर्ष 2009 में राबर्ट हिल पुरस्कार से सम्माईट किया गया. ग्लोबल सोलर कम्यूनिटी द्वारा गार्डियन अखबार के अनुसार रॉय का नाम उन 50 पर्यावरणविदों में हैं जो इस ग्रह को बचा सकते हैं. उन्हें वर्ष 2010 में टाइम पत्रिका की विश्व के 100 सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों में शामिल किया गया था.
बंकर रॉय ने वर्ष 1972 में राजस्थान के अजमेर जिले के तिलोनिया गांव में बेयरफुट कॉलेज की स्थापना की. यह एनजीओ 40 साल से ग्रामीण समुदायों की समस्याओं का निवारण कर रहा है. बेयरफुट के कार्यों के परिणामस्वरूप दस लाख लीटर बारिश के पानी को संरक्षित कर उन्हें पीने के पानी के लायक बनाया जाता है और फिर उस पानी को पूरे विश्व में 1,300 समुदायों के 239,000 स्कूली बच्चों के पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता है. इसका मुख्य कार्य महिला शिक्षा, ग्रामीण विकास और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है.
बेयरफुट का कार्य एक सिद्ध समुदाय आधारित मॉडल पर आधारित है, जिसके जरिए वैश्विक गरीबी को कम करने के उद्देश्य से सुदूरवर्ती इलाकों और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा और पानी की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. समुदाय के मॉडल, प्रबंधन और आर्थिक रूप से सक्षम घरेलू सौर ऊर्जा प्रणाली का प्रणाली का इस्तेमाल 54 से अधिक देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे 600 से अधिक महिला बेयरफुट सौर इंजीनियरों को अधिकार संपन्न बनाया गया और भारत, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, प्रशांत महासागर क्षेत्र और एशिया क्षेत्र के करीब 1,650 समुदायों के 450,000 लोगों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराई जा रही है. बेयरफुट कालेज ने अब तक 3 लाख से अधिक ग्रामीण इंजीनियरों, शिक्षकों, मिडवाइफ, बुनकरों, दस्तकारों, डॉक्टरों को ट्रेंड किया.
क्लिंटन ग्लोबल सिटिजन अवार्ड
क्लिंटन ग्लोबल सिटिजन अवार्ड वर्ष 2007 में शुरू किया गया था. यह अवार्ड दूरदर्शी नेतृत्व, प्रभावी प्रदर्शन और वैश्विक मुद्दों को सुलझाने के लिए किए गए प्रभावी कार्यों हेतु प्रदान किया जाता है.
बंकर रॉय से संबंधित तथ्य
बंकर रॉय का पूरा नाम संजीत बंकर रॉय है. इनका जन्म पश्चिम बंगाल राज्य के बर्नपुर में हुआ था. वह एक समाजिक कार्यकर्ता एवं अर्थशास्त्री हैं. उन्होंने दून स्कूल से शिक्षा ग्रहण की. वह वर्ष 1956-1962 में सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से स्नातक किया. वह वर्ष 1962-1967 में विश्व स्क्वायश चैम्पियनशिप में तीन बार भारत का प्रतिनिधित्व किया और वर्ष 1964 में उप विजेता रहे. वर्ष 1970 में उन्होंने अरुणा रॉय से विवाह किया.
वह राजीव गांधी द्वारा योजना आयोग के सदस्य बनाए गए. वह एनजीओ के लिए कोड ऑफ कंडक्ट तैयार किया. उन्हें वर्ष 1985 में जमनालाल बजाज पुरस्कार से वर्ष 2003 में सेंट एंड्रूज पुरस्कार से वर्ष 2009 में राबर्ट हिल पुरस्कार से सम्माईट किया गया. ग्लोबल सोलर कम्यूनिटी द्वारा गार्डियन अखबार के अनुसार रॉय का नाम उन 50 पर्यावरणविदों में हैं जो इस ग्रह को बचा सकते हैं. उन्हें वर्ष 2010 में टाइम पत्रिका की विश्व के 100 सर्वाधिक प्रभावशाली लोगों में शामिल किया गया था.
बंकर रॉय ने वर्ष 1972 में राजस्थान के अजमेर जिले के तिलोनिया गांव में बेयरफुट कॉलेज की स्थापना की. यह एनजीओ 40 साल से ग्रामीण समुदायों की समस्याओं का निवारण कर रहा है. बेयरफुट के कार्यों के परिणामस्वरूप दस लाख लीटर बारिश के पानी को संरक्षित कर उन्हें पीने के पानी के लायक बनाया जाता है और फिर उस पानी को पूरे विश्व में 1,300 समुदायों के 239,000 स्कूली बच्चों के पीने के लिए उपलब्ध कराया जाता है. इसका मुख्य कार्य महिला शिक्षा, ग्रामीण विकास और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है.
बेयरफुट का कार्य एक सिद्ध समुदाय आधारित मॉडल पर आधारित है, जिसके जरिए वैश्विक गरीबी को कम करने के उद्देश्य से सुदूरवर्ती इलाकों और ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा और पानी की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं. समुदाय के मॉडल, प्रबंधन और आर्थिक रूप से सक्षम घरेलू सौर ऊर्जा प्रणाली का प्रणाली का इस्तेमाल 54 से अधिक देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे 600 से अधिक महिला बेयरफुट सौर इंजीनियरों को अधिकार संपन्न बनाया गया और भारत, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, प्रशांत महासागर क्षेत्र और एशिया क्षेत्र के करीब 1,650 समुदायों के 450,000 लोगों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराई जा रही है. बेयरफुट कालेज ने अब तक 3 लाख से अधिक ग्रामीण इंजीनियरों, शिक्षकों, मिडवाइफ, बुनकरों, दस्तकारों, डॉक्टरों को ट्रेंड किया.
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