भारतीय
रिजर्व बैंक (आरबीआइ, RBI) ने 750 करोड़
रुपए से अधिक कुल जमाओं वाले शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) को अनुसूचित बैंक श्रेणी
में उन्नत करने की अनुमति प्रदान की. भारतीय रिजर्व बैंक ने इस बारे में अधिसूचना
मुंबई में 27 सितंबर 2013 को जारी की.
इसके अनुसार अगर यूसीबी कुछ सूचीबद्ध मानकों को पूरा करते हैं तो वे दूसरी अनुसूची
में शामिल होने के पात्र होंगे. सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक, निजी क्षेत्र के बैंक, विदेशी बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक दूसरी अनुसूची में आते हैं.
सरकारी अधिसूचना के अनुसार एक अप्रैल 2013 से यूसीबी को भारतीय रिजर्व बैंक कानून 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल करने के उद्देश्य से केवल उन्हीं प्राथमिक सहकारी बैंकों को वित्तीय संस्थान माना जाएगा जिनकी मांग तथा समय देनदारी 750 करोड़ रुपए से कम नहीं हैं. दूसरी सूची में शामिल होने के लिए यूसीबी की जमा रकम कम से कम 750 करोड़ रुपये होना जरूरी है. साथ ही, पिछले तीन वित्त वर्षो में मुनाफा कमाने, पूंजी पर्याप्तता अनुपात 12 फीसद से ज्यादा और फंसे कर्ज पांच फीसद से कम होने पर ही यह दर्जा दिया जाएगा. इसके अलावा यूसीबी को नकद आरक्षित अनुपात और सांविधिक तरलता अनुपात जैसी नियामकीय जरूरतों को पूरा करना होगा.
सरकारी अधिसूचना के अनुसार एक अप्रैल 2013 से यूसीबी को भारतीय रिजर्व बैंक कानून 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल करने के उद्देश्य से केवल उन्हीं प्राथमिक सहकारी बैंकों को वित्तीय संस्थान माना जाएगा जिनकी मांग तथा समय देनदारी 750 करोड़ रुपए से कम नहीं हैं. दूसरी सूची में शामिल होने के लिए यूसीबी की जमा रकम कम से कम 750 करोड़ रुपये होना जरूरी है. साथ ही, पिछले तीन वित्त वर्षो में मुनाफा कमाने, पूंजी पर्याप्तता अनुपात 12 फीसद से ज्यादा और फंसे कर्ज पांच फीसद से कम होने पर ही यह दर्जा दिया जाएगा. इसके अलावा यूसीबी को नकद आरक्षित अनुपात और सांविधिक तरलता अनुपात जैसी नियामकीय जरूरतों को पूरा करना होगा.
इस तरह के बैंक अपने आवेदन क्षेत्रीय कार्यालयों को जमा करा सकते हैं.
कंपनियों को बैंक लाइसेंस का विरोध
भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली वित्त मामलों की स्थायी समिति ने शुक्रवार को हुई बैठक में नए बैंक लाइसेंस पर अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया. सदस्यों ने कहा कि दुनिया में कही भी कॉरपोरेट घरानों को बैंक लाइसेंस नहीं दिया जाता. भारत ही ऐसा करने वाला एकमात्र अपवाद होगा. सदस्यों ने आवेदन स्वीकार या खारिज करने के लिए आरबीआइ के फिट एंड प्रॉपर क्राइटेरिया पर भी आपत्ति जताई. सदस्यों का कहना है कि यह भेदभावपूर्ण है क्योंकि इसके तहत आरबीआइ को सीबीआइ, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की निगरानी के आधार पर आवेदन स्वीकार करने या खारिज करने का अधिकार दिया गया है.
संसद की एक समिति ने कॉरपोरेट घरानों को नए बैंक लाइसेंस देने की आरबीआइ की तैयारी का विरोध किया है. समिति ने बैंक लाइसेंस के आवेदन स्वीकार करने में आरबीआइ के विवेकाधिकारों पर भी चिंता जताई है.
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