संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र के दौरान इब्सा के विदेश मंत्रियों की बैठक संपन्न-(30-SEP-2013) C.A

| Monday, September 30, 2013
भारत, ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका  के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68वें सत्र के दौरान अतिरिक्त समय में 25 सितंबर 2013 को न्यूयार्क में बैठक की. इब्सा की औपचारिक शुरूआत की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर तीन विदेश मंत्रियों द्वारा आयोजित इस बैठक में आपसी हित के समकालीन वैश्विक एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान - प्रदान किया गया तथा जून, 2013 की ब्रासिलिया घोषणा के माध्यम से इसको औपचारिक रूप दिए जाने के बाद से इब्सा सहयोग द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा की गई.

विदेश मंत्रियों ने इब्सा वार्ता मंच के सुदृढ़ीकरण के संबंध में हुई प्रगति को संतोष व्यक्त किया. उन्होंने रेखांकित किया कि इब्सा ने व्यापक श्रेणी के क्षेत्रों में बहुआयामी एवं बहु क्षेत्रीय सहयोग के लिए बहुत मजबूत नींव रखने में सफलता प्राप्त की है. उन्होंने विभिन्न संगठनों एवं समूहों में इब्सा समन्वय के सकारात्मक परिणामों को संतोष के साथ नोट किया, जिसमें संयुक्त राष्ट्र  विश्व व्यापार संगठन, डब्ल्यू आईपीओ, जी-20, जी-24, ब्रिक्स एवं बेसिक शामिल हैं. उन्होंने संपोषणीय विकास के एजेंडे पर इब्सा के सदस्यों द्वारा निभायी गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया, जिसने 2011-12 में तीन प्रमुख सम्मेलनों का आयोजन किया तथा ब्राजील में हाल ही में आयोजित ब्रिक्स की 16वीं मंत्री स्तरीय बैठक को भी याद किया, जिसने वार्सा जलवायु सम्मेलन के सफल परिणाम के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया.

उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इब्सा एक महत्वपूर्ण रूपरेखा है जो एशिया, दक्षिण अमरीका एवं अफ्रीका के विकासशील देशों के बीच संपर्कों को आगे बढ़ाने तथा दक्षिण - दक्षिण सहयोग की भावना को सुदृढ़ करने के लिए अतिरिक्त संवेग प्रदान करती है. तीन देशों के बीच राजनीतिक वार्ता ने साझे हित के मुद्दों पर वैश्विक वार्तालाप में सकारात्मक रूप से योगदान किया है. मंत्रियों ने त्रिपक्षीय सहयोग को और सुदृढ़ करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया तथा इब्सा की नवीकृत प्रासंगिकता को स्वीकार किया.

गरीबी एवं भुखमरी के उन्मूलन के लिए इब्सा निधि ने विकास से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिए अनेक विकासशील देशों में अनेक परियोजनाओं के माध्यम से दक्षिण - दक्षिण सहयोग की प्रासंगिकता एवं व्यवहार्यता को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है. मंत्रियों ने ऐसे क्षेत्रों में इब्सा निधि की पहुंच बढ़ाने की संभावना का पता लगाने पर जोर दिया जिन पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है तथा जो ऐसे देश हैं जिनको विकास सहायता की तत्काल आवश्याकता है. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इब्सा निधि ने अफ्रीका, मध्य पूर्व तथा कैरेबियन में 7 परियोजनाओं को संपन्न किया है तथा यह कि केप वर्डे, सियरा लियोन, कंबोडिया, लाओस, वियतनाम एवं फिलीस्तीन समेत अनेक देशों में 9 परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं.

अधिक साम्यपूर्ण विकास, समावेशी विकास के अलावा वर्तमान राजनीतिक - आर्थिक सच्चाइयों को प्रतिबिंबित करने वाले अधिक संशोधित, अधिक प्रतिनिधिमूलक एवं लोकतांत्रिक वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक अभिशासन की दिशा में नए मॉडलों एवं दृष्टिकोणों का आह्वान करते हुए मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अन्य बहुपक्षीय संस्थाओं के निर्णय लेने वाले निकायों में विकासशील देशों का प्रतिनिधत्व बढ़ाने की दिशा में सहयोग करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की. विशेष रूप से, मंत्रियों ने इस बात को रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के सुधार को उप सहारा अफ्रीका समेत सबसे निर्धन सदस्यों की आवाज एवं प्रतिनिधत्व को भी सुदृढ़ करना चाहिए.

मंत्रियों ने इस बात को रेखांकित किया कि संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के लगभग 70 साल बाद तथा 2005 की विश्व शिखर बैठक के परिणाम दस्तावेज के अंगीकरण के 10 साल बाद अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार तथा स्थायी एवं गैर स्थायी श्रेणियों में नए सदस्यों को शामिल करने पर निर्णय लेने का समय आ गया है. इसलिए, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 2015 तक अंतिम निर्णय में कार्रवाई के लिए तात्कालिकता पर विद्यमान करार तथा काफी समय से लंबित इस प्रक्रिया पर ठोस परिणाम प्राप्त करके इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रयासों को गहन करना आवश्यक है. इस संदर्भ में, उन्होंने संशोधित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए एक दूसरे की उम्मीदवारी का पूर्ण समर्थन करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया.

सीरिया सरकार के साथ बात करने के लिए दमिश्क में एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल भेजने संबंधी इब्सा की अगस्त 2011 की पहल को याद करते हुए मंत्रियों ने इस बात का उल्लेख किया कि सीरिया के संकट का समाधान सीरिया के लोगों के हित में तथा इस क्षेत्र एवं विश्व के हित में सीरिया के नेतृत्व में समावेशी राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से होना चाहिए जिसका समर्थन संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाना चाहिए. उन्होंने सीरिया में निरंतर हिंसा के परिणामस्वरूप मानवाधिकारों तथा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के बढ़ते उल्लंघन की निंदा की. उन्होंने अपने उस आह्वान को याद किया जिसमें उन्होंने सभी पक्षों से सहायता की जरूरत वाले सभी लोगों को मानवीय संगठनों तक तत्काल, सुरक्षित, पूर्ण एवं अबाध पहुंच प्रदान करने एवं संभव बनाने की बात की थी.

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वाधान में जल्दी से जल्दी सीरिया पर जेनेवा-2 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बुलाने के लिए अपने समर्थन को दोहराया ताकि कार्य समूह के अंतिम वक्तव्य (जेनेवा-1) के कार्यान्वयन पर सीरिया के सभी पक्षों के बीच बातचीत हो सके. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस संकट के किसी भी समाधान को सीरिया के समाज के सभी वर्गों की जायज आकांक्षाओं को पूरा करना चाहिए तथा सीरिया की स्‍वतंत्रता, भौगोलिक एकता एवं संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए.

उन्होंने किसी भी परिस्थिति में रासायनिक हथियारों के प्रयोग की जोरदार शब्दों में निंदा की. उन्होंने रासायनिक हथियार अभिसमय का पालन करने संबंधी सीरिया अरब गणराज्य की सरकार के निर्णय तथा इस अभिसमय के लागू होने से पूर्व इसे अंनतिम रूप से लागू करने के लिए सीरिया के प्राधिकारियों की प्रतिबद्धता का स्वागत किया.

अगस्‍त, 2013 में जारी मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया पर अपनी घोषणा को याद करते हुए मंत्रियों ने इस बात को दोहराया कि इजरायल - फिलिस्तीन संघर्ष अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए एक अत्यावश्यक एवं प्रमुख मुद्दा बना हुआ है, जिसका समाधान मध्य पूर्व क्षेत्र में संपोषणीय एवं स्थायी शांति की स्थापना के लिए एक पूर्वापेक्षा है. उन्होंने फिलिस्तीन एवं इजरायल के बीच वार्ता की बहाली का स्वागत किया. मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस मामले पर सचेत बने रहने तथा शांति प्रक्रिया जब तक संतोषप्रद अंजाम तक न पहुंच जाए, तब तक उसे अपना समर्थन जारी रखने का आह्वान किया.

मंत्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान में शांति एवं स्थिरता इस देश के हित में होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के हित में भी है. यह आवश्यक है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय संक्रमण एवं बदलाव की इस अवधि के दौरान विकास एवं सुरक्षा सहायता के रूप में अफगानिस्तान के प्रति प्रतिबद्ध बना रहे. मंत्रियों ने इस बात को स्वीकार किया कि अफगानिस्तान की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए मुख्य खतरा आतंकवाद है जो क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के लिए भी खतरा है. उन्होंने सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों के आतंकवाद की चुनौ‍ती से निपटने के लिए संयुक्त एवं संवेग प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया जिसमें अफगा‍न की सीमाओं के बाहर स्थित आंतकी शरणगाहों एवं सुरक्षित आश्रयों को नष्ट करना तथा आतंकवाद के लिए सभी वित्तीय एवं रणनीतिक सहायता में रोड़े अटकाना शामिल है.

मंत्रियों ने विदेशी सरकारों एवं व्यवसायों द्वारा नागरिकों, व्यवसायों तथा सरकारों के सदस्यों से संचार एवं डाटा के अवैध इंटरसेप्शन की अनधिकृत प्रथाओं पर अपनी चिंता व्यक्त की. उन्होंने इस बात को रेखांकित कि यह राष्ट्रीय संप्रभुता एवं व्यक्तियों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है तथा मैत्रीपूर्ण देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व से असंगत है. उन्होंने इन मुद्दों पर खुलकर विचार - विमर्श करने तथा साइबर सुरक्षा पर उपयुक्त अंतरराष्ट्रीय अभिशासन का विकास करने के लिए संगत बहुपक्षीय मंचों में सहयोग करने की अपनी तत्परता की भी फिर से पुष्टि की.

मंत्रियों ने रूस की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 की 8वीं शिखर बैठक के परिणामों का स्वागत किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जी-20 विकसित हो रहे वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय मुद्दों से निपटने के लिए स्थूल आर्थिक नीतियों में समन्वय लाने के प्रमुख मुद्दों पर तथा वैश्विक आर्थिक अभिशासन की संस्थाओं के सुधार पर भी ध्यान देना जारी रखे. मंत्रियों ने कहा कि जी-20 संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अन्य संगत अंतरराष्ट्रीय संगठनों का प्रतिस्थानी नहीं है.

सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों कार्यान्वयन की गति को तेज करने की आवश्यकता पर बल देते हुए मंत्रियों ने गरीबी उन्मूलन के अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्य के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया तथा इस संदर्भ में आशा व्यक्त की कि 2015 पश्चात विकास एजेंडा गरीबी उन्मूलन, आर्थिक विकास, नौकरियों के सृजन, सामाजिक समावेशन तथा संपोषणीय विकास पर ध्यान देगा. उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यह विकसित एवं विकासशील दोनों प्रकार के देशों पर लागू होना चाहिए और साथ ही विकासशील देशों की राष्ट्रीय नीतियों की प्राथमिकताओं को भी बरकरार रखा जाना चाहिए. उन्होंने इस बात की फिर से पुष्टि की कि रियो सिद्धांत, विशेष रूप से साझी किंतु विभेदीकृत जिम्मेदारियों का सिद्धांत निश्चित रूप से संपोषणीय विकास एजेंडा की धुरी होनी चाहिए. उन्होंने 2015 पश्चात विकास एजेंडा को अंतिम रूप देने के लिए अंतर्सरकारी वार्ता शुरू करने की आवश्यकता को स्वीकार किया. इस संदर्भ में, अधिक आबादी वाले जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत, ब्राजील एवं दक्षिण अफ्रीका द्वारा समवेत प्रयास किसी नए विकास एजेंडा का निर्माण करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे.

वियना घोषणा एवं कार्य योजना की 20वीं वर्षगांठ को याद करते हुए मंत्रियों ने सभी मानवाधिकारों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की तथा इस क्षेत्र में इब्सा रूपरेखा के अंदर तथा बहुपक्षीय मंचों में भी आपस में अधिक सहयोग करने का आह्वान किया.

मंत्रियों ने सदस्यों से खुले मन से काम करने तथा दिसंबर, 2013 में बाली, इंडोनेशिया में आयोजित होने वाले विश्व व्यापार संगठन के 9वें मंत्री स्तरीय सम्मेलन में लोच का प्रदर्शन करने के लिए आवश्यकता को दोहराया तथा उम्मीद व्यक्त की कि यह अपने विकास अधिदेश के अनुसरण में दोहा चक्र के सफल एवं संतुलित अंजाम को प्रेरित करेगा जिससे सबसे गरीब एवं सबसे सुभेद्य देशों को लाभ होगा.

मंत्रियों ने दक्षिण अफ्रीका की मेजबानी में इब्सा त्रिपक्षीय आयोग की 8वीं बैठक के सफल होने की उम्मीद व्यक्त की.

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