मतदाताओं के पास सभी उम्मीदवारों को नामंजूर करने का अधिकार: सर्वोच्च न्यायालय-(28-SEP-2013) C.A

| Saturday, September 28, 2013
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों और मत-पत्रों में उम्मीदवारों की सूची के अंत में उपरोक्त में से कोई नहीं का विकल्प भी दें ताकि मतदाता अगर किसी भी उम्मीदवार को वोट नहीं देना चाहता तो वह ऐसा कर सके. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खण्डपीठ ने यह निर्णय 27 सितम्बर 2013 को दिया.
सर्वोच्च न्यायालय की खण्डपीठ के निर्णय के मुख्य बिंदु

सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने निर्णय में कहा है कि मतदाताओं के पास चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार करने का अधिकार है. 
मतदाता को यह विकल्प मिलने से चुनाव की शुचिता बढ़ेगी. इससे चुनाव में भागीदारी बढ़ेगी क्योंकि जो लोग उम्मीदवारों से संतुष्ट नहीं होंगे वे सभी उम्मीदवारों को अस्वीकार कर अपनी राय व्यक्त कर सकेंगे.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह विकल्प मिलने से निर्वाचन प्रक्रिया में व्यवस्थागत बदलाव आने हैं क्योंकि इससे राजनीतिक दलों को स्वच्छ छवि वाले उम्मीदवारों को चुनाव में उतारने हेतु मजबूर होना पड़ेगा. 
सर्वोच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने कहा कि सभी उम्मीदवारों को नामंजूर करने के विकल्प की व्यवस्था 13 देशों में लागू है. 
भारत में भी सांसदों को, संसद में मतदान से अलग रहने के लिए बटन दबाने का विकल्प मिलता है. 
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि चुनाव में सभी उम्मीदवारों को नामंजूर करने का हक, संविधान में नागरिकों को दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के तहत आता है.