संयुक्त
राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन पर अंतरसरकारी समिति (आईपीसीसी) की रिपोर्ट के आधार पर
वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि इंसानों के
कारण ही धरती के तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी हो रही है. इस रिपोर्ट का सारांश
स्टॉकहोम में 27 सितंबर 2013 को जारी
किया गया. इस रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन से बढ़ते हुए खतरे पर जोर दिया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिग मनुष्यों की हरकतों का नतीजा है.
यह रिपोर्ट 30 सितंबर 2013 को जारी किया जाना है.
वैज्ञानिकों ने 50 वर्षो के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. इसमें स्पष्ट कहा गया है कि बहुत हद तक ग्लोबल वार्मिग मानव की देन है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से गठित इस पैनल ने 2007 में अपने पिछली रिपोर्ट में इसकी संभावना व्यक्त की थी. ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अब इसके पक्के सबूत हैं और यह उन्नत स्तर पर आकलन, जलवायु प्रणाली की स्पष्ट समझ और बढ़ते तापमान के प्रभाव का विश्लेषण करने के बेहतर मॉडल के कारण संभव हुआ है.
वर्किंग ग्रुप के सह अध्यक्ष किन दाहे ने कहा कि वैज्ञानिक आकलन से यह पता चलता है कि वातावरण और समुद्र गर्म हो गए हैं, बर्फबारी और बर्फ की मात्रा में कमी आई है, वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर बढ़ा है और ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है. आइपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में इस सदी के अंत तक समुद्र के जलस्तर में 10 से 32 इंच के वृद्धि का आकलन किया है जबकि अपनी पूर्व रिपोर्ट में 7 से 23 इंच वृद्धि की भविष्यवाणी की थी. शताब्दी के अंत तक दुनिया का औसत तापमान 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान लगाया गया है.
यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज की कार्यकारी सचिव क्रिस्टियाना फिगुअर्स के अनुसार यह रिपोर्ट दुनिया के लिए एक अलार्म क्लॉक मूमेंट पैदा करती है. उन्होंने कहा कि यह हमें बताएगी कि जलवायु परिवर्तन के बारे में हम जो कुछ भी जानते थे, उसे दरअसल कम आंका गया है.
रिपोर्ट के सारांश में इस बात पर जोर दिया गया है कि जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है और इसके लिए इंसान जिम्मेदार हैं. फिगुअर्स ने कहा, सवाल यह उठता है कि सरकारें इसके लिए क्या कर रही हैं? संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए यह लक्ष्य रखा गया है कि इसका स्तर विश्व में औद्योगिकीकरण की शुरुआत से पूर्व रहे स्तर से 2 .0 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं हो. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि अभी हम जो कार्यवाहियां कर रहे हैं या जो संकल्प हमने लिए हैं, उनसे लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं होने वाला है.
विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने सितंबर 2014 में जलवायु परिवर्तन पर एक बैठक बुलाई है. यह बैठक पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर एक नई अंतरराष्ट्रीय संधि को मंजूरी देने के एक वर्ष पूर्व होगी.
वैज्ञानिकों ने 50 वर्षो के अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. इसमें स्पष्ट कहा गया है कि बहुत हद तक ग्लोबल वार्मिग मानव की देन है. संयुक्त राष्ट्र की ओर से गठित इस पैनल ने 2007 में अपने पिछली रिपोर्ट में इसकी संभावना व्यक्त की थी. ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि अब इसके पक्के सबूत हैं और यह उन्नत स्तर पर आकलन, जलवायु प्रणाली की स्पष्ट समझ और बढ़ते तापमान के प्रभाव का विश्लेषण करने के बेहतर मॉडल के कारण संभव हुआ है.
वर्किंग ग्रुप के सह अध्यक्ष किन दाहे ने कहा कि वैज्ञानिक आकलन से यह पता चलता है कि वातावरण और समुद्र गर्म हो गए हैं, बर्फबारी और बर्फ की मात्रा में कमी आई है, वैश्विक स्तर पर समुद्र का जलस्तर बढ़ा है और ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वृद्धि हुई है. आइपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में इस सदी के अंत तक समुद्र के जलस्तर में 10 से 32 इंच के वृद्धि का आकलन किया है जबकि अपनी पूर्व रिपोर्ट में 7 से 23 इंच वृद्धि की भविष्यवाणी की थी. शताब्दी के अंत तक दुनिया का औसत तापमान 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ने का अनुमान लगाया गया है.
यूएन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज की कार्यकारी सचिव क्रिस्टियाना फिगुअर्स के अनुसार यह रिपोर्ट दुनिया के लिए एक अलार्म क्लॉक मूमेंट पैदा करती है. उन्होंने कहा कि यह हमें बताएगी कि जलवायु परिवर्तन के बारे में हम जो कुछ भी जानते थे, उसे दरअसल कम आंका गया है.
रिपोर्ट के सारांश में इस बात पर जोर दिया गया है कि जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है और इसके लिए इंसान जिम्मेदार हैं. फिगुअर्स ने कहा, सवाल यह उठता है कि सरकारें इसके लिए क्या कर रही हैं? संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं में जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए यह लक्ष्य रखा गया है कि इसका स्तर विश्व में औद्योगिकीकरण की शुरुआत से पूर्व रहे स्तर से 2 .0 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं हो. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि अभी हम जो कार्यवाहियां कर रहे हैं या जो संकल्प हमने लिए हैं, उनसे लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं होने वाला है.
विदित हो कि संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने सितंबर 2014 में जलवायु परिवर्तन पर एक बैठक बुलाई है. यह बैठक पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर एक नई अंतरराष्ट्रीय संधि को मंजूरी देने के एक वर्ष पूर्व होगी.
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