राष्ट्रपति
प्रणव मुखर्जी ने जनप्रतिनिधित्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक-2013
को 24 सितंबर 2013 को
मंजूरी प्रदान की. यह विधेयक संसद के मॉनसून सत्र (2013) में
पारित किया गया था. इस विधेयक से सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला निष्प्रभावी हो
गया है कि पुलिस हिरासत में लिया गया व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता है. इस विधेयक के
अनुसार जेल में बंद व्यक्ति भी चुनाव लड़ सकता है.
विधेयक के मुख्य प्रावधान
इस विधेयक के द्वारा जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के खंड 62 में संशोधन किया गया है. संशोधित कानून के अनुसार हिरासत या कैद में होने के बावजूद कोई व्यक्ति मतदाता बना रहेगा क्योंकि उसके मतदान के अधिकार को सिर्फ अस्थायी रूप से स्थगित किया गया है
लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक-2013 में जेल में बंद होने के दौरान चुनाव लड़ने तथा अपील के लंबित होने के दौरान सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने की अनुमति देने का प्रावधान है, लेकिन इस दौरान उन्हें मतदान और वेतन हासिल करने का अधिकार नहीं रहेगा.
विदित हो कि लोकसभा ने इस विधेयक को 6 सितंबर 2013 को जबकि राज्यसभा ने इसे लोकसभा के पहले ही अपनी मंजूरी प्रदान कर चुकी थी. यह विधेयक 10 जुलाई 2013 से लागू करने का निर्णय लिया गया.
इसके अलावां राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद अयोग्यता निषेध विधेयक-2013 और वक्फ संशोधन विधेयक को भी मंजूरी दी. संसद अयोग्यता निषेध विधेयक-2013 के अनुसार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के पद लाभ के पद नहीं माने जायेंगे.
विधेयक के मुख्य प्रावधान
इस विधेयक के द्वारा जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 के खंड 62 में संशोधन किया गया है. संशोधित कानून के अनुसार हिरासत या कैद में होने के बावजूद कोई व्यक्ति मतदाता बना रहेगा क्योंकि उसके मतदान के अधिकार को सिर्फ अस्थायी रूप से स्थगित किया गया है
लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) विधेयक-2013 में जेल में बंद होने के दौरान चुनाव लड़ने तथा अपील के लंबित होने के दौरान सांसदों एवं विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने की अनुमति देने का प्रावधान है, लेकिन इस दौरान उन्हें मतदान और वेतन हासिल करने का अधिकार नहीं रहेगा.
विदित हो कि लोकसभा ने इस विधेयक को 6 सितंबर 2013 को जबकि राज्यसभा ने इसे लोकसभा के पहले ही अपनी मंजूरी प्रदान कर चुकी थी. यह विधेयक 10 जुलाई 2013 से लागू करने का निर्णय लिया गया.
इसके अलावां राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसद अयोग्यता निषेध विधेयक-2013 और वक्फ संशोधन विधेयक को भी मंजूरी दी. संसद अयोग्यता निषेध विधेयक-2013 के अनुसार राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के पद लाभ के पद नहीं माने जायेंगे.
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