केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने 1 अक्टूबर 2014 के संयुक्त उपक्रम कंपनी के साथ भारत
में गुजरात के तट से सटे पहली अपटीय ऊर्जा परियोजना की स्थापना के लिए एक समझौता
ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया.
समझौता ज्ञापन पर केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा
मंत्रालय (एमएनआरई), राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान
(एनआईडब्ल्यूई) और राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी), पावर
ग्रिड कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमि. (पीजीसीआईएल), भारतीय अक्षय
ऊर्जा विकास एजेंसी (आईआरईडीए– इरडा), पावर
फाइनेंस निगम (पीएफसी), पावर ट्रेडिंग कारपोरेशन (पीटीसी) और
गुजरात पावर कारपोरेशन लिमि. (जीपीसीएल) ने हस्ताक्षर किए.
समझौता ज्ञापन का विवरण
• संयुक्त उपकर्म की
कंपनी पहले अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजना पर विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन और इसे
स्थापित करने के लिए उठाए जाने वाले आवश्यक कदमों पर काम करेगी.
• गुजरात तट के साथ यह
अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजना 100 मेगावाट क्षमता की होगी.
• निकास (इवैक्यूएशन) और
प्रसारण (ट्रांसमिशन) संरचना की स्थापना के लिए सब्सिडी दी जाएगी जिसमें पवन स्रोत
निर्धारण, पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए), समुद्र विज्ञान सर्वेक्षण और जलमाप चित्रण संबंधी (बाथीमेट्रिक) अध्ययन के
लिए वित्तीय सहायता शामिल है.
केंद्रीय एमएनआरई द्वारा अपतटीय पवन ऊर्जा विकास की दिशा में किए गए प्रयास
केंद्रीय एमएनआरई द्वारा अपतटीय पवन ऊर्जा विकास की दिशा में किए गए प्रयास
कुल 7600 किलोमीटर के
समुद्र तट के साथ भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास के लिए विशाल क्षमता है
लेकिन अभी इसका इस्तेमाल किया जाना बाकी है.
विश्व भर में अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएं करीब 7.5
जीडब्ल्यू क्षमता की है जो (यूके– 4.2 गीगावाट;
डेनमार्क– 1.2 गीगावाट; बेल्जियम– 0.7 गीगावाट; जर्मनी–
0.6 गीगावाट; चीन– 0.4 गीगावाट;
नीदरलैंड– 0.2 गीगावाट और स्वीडन– 0.2 गीगावाट) लगाया गया है.
इसलिए, केंद्रीय नवीन एवं
नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा के विकास के लिए
कई कदम उठाए हैं. इनमें राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति के मसौदे की घोषणा,
राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति पर मंत्रिमंडल नोट का मसौदा तैयार
करना और प्रस्तावित राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अंतिम रूप देना शामिल है.
भारत में तटवर्ती पवन
ऊर्जा विकास
नब्बे के दशक के आरंभ में मंत्रालय द्वारा तटवर्ती
प्रदर्शन परियोजनाओँ की शुरुआत के बाद से तटवर्ती पवन ऊर्जा विकास भारत में
वाणिज्यिक मंच तक पहुंच गया है. वास्तव में यह आज का तेजी से बढ़ रहा अक्षय ऊर्जा
विकल्प है. आज भारत की तटवर्ती पवन ऊर्जा क्षमता 22 गीगावाट
से अधिक की है.
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