एक्सेक्टर और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक शोध में पता
चला है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फ़सलों को होने वाली बीमारियों और उन्हें
नुक़सान पहुंचाने वाले कीड़े-मकौड़े तेज़ी से विश्वभर में फैल रहे हैं. शोध के
अनुसार ये कीड़े उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव की और बढ़ रहे हैं और उन जगहों पर जमा हो
रहे हैं जो उनके लिए कभी ठंढा हुआ करता था.
इस समस्या को जानने के लिए शोधकर्ताओं ने फ़सलों में लगने वाले 612 कीड़ों-मकौड़ों से जुड़े आंकड़ों का अध्ययन किया. इनमें गेहूं में
लगने वाले फफुंद, अमेरिका में चीड़ के पेड़ों में लगने
वाले कीड़ों के साथ अन्य जीवणुओं और विषाणुओं का अध्ययन शामिल रहा.
शोध से संबंधित मुख्य तथ्य
• शोधकर्ताओं ने पाया कि कीड़े-मकौड़ों के फैलने की गति अलग-अलग है. कुछ
उड़ने वाले कीड़े प्रत्येक वर्ष 20 किलोमीटर की रफ्तार
से बढ़ रहे हैं.
• शोध के अनुसार वर्तमान में बीमारियों के कारण विश्व की 10 से 16 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है.
• शोध में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि के कारण ये समस्या और गंभीर हो सकती है.
• शोध के अनुसार एक देश से दूसरे देश तक कीड़े-मकौड़ों के पहुंचने हेतु मुख्य रूप से अनाज का वैश्विक कारोबार जिम्मेदार है.
• शोध के अनुसार वर्तमान में बीमारियों के कारण विश्व की 10 से 16 प्रतिशत फसल बर्बाद हो जाती है.
• शोध में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि के कारण ये समस्या और गंभीर हो सकती है.
• शोध के अनुसार एक देश से दूसरे देश तक कीड़े-मकौड़ों के पहुंचने हेतु मुख्य रूप से अनाज का वैश्विक कारोबार जिम्मेदार है.
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