अमेरिका की अदालत ने 12 मार्च 2014
को कहा कि भारतीय राजनयिक देवयानि खोबरागड़े वीजा की धोखाधड़ी और
नौकरानी को कम वेतन देने के मामले के समय पूरी तरह से राजनयिक अधिकार से बाहर थीं.
न्यायालय ने उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों को यह कहकर खारिज कर दिया कि
जिस दिन उन पर आरोप लगाए गए उस दिन वह निश्चित तौर पर राजनयिक अधिकार से बाहर थीं.
यह आदेश अमेरिकी की जिला न्यायाधीश शिरा शेंडलिन ने अपने 14 पन्नों के आदेश में उनके राजनयिक उन्मुक्ति के समर्थन में पारित किया.
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि खोबरागाड़े को 8 जनवरी 2014 को विदेश विभाग ने राजनयिक अधिकारों से
मुक्त कर दिया था और 9 जनवरी 2014 को
देश छोड़ने के समय तक उनकी यही स्थित बरकरार थी. फैसले में यह भी कहा गया है कि 12
दिसंबर को गिरफ्तारी के वक्त वे इम्युनिटी में नहीं थीं लेकिन
कार्यवाही के दौरान उन्होंने इम्युनिटी हासिल कर ली थी.
फैसले के मुताबिक खोबरागाड़े जिन्होंने 25 अक्टूबर 2012 से 8 जनवरी 2014
तक अमेरिका में वाणिज्य अधिकारी के रूप
में काम किया था, वियना समझौते के मुताबिक वे कॉनसूलर
इम्युनिटी की स्थिति में थीं.
इससे पहले, अमेरिका
ने 12 दिसंबर 2013 को खोबरागाड़े को
वीजा धोखाधड़ी और अपनी घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड के वीजा आवेदन के संबंध में
दिए गए झूठे बयान की वजह से गिरफ्तार कर लिया था.
गिरफ्तारी के दौरान, उनकी
सरगर्मी से तलाशी की जा रही थी और इस घटना ने भारत और अमेरिका के बीच कड़वाहट पैदा
कर दी थी. इस घटना के कारण भारत ने अन्य कदमों के साथ कुछ श्रेणी के अमेरिकी
राजनयिकों के विशेषाधिकारों में कटौती कर दी थी.
राजनयिक अधिकार क्या है?
राजनयिक अधिकार (Diplomatic Immunity) अंतरराष्ट्रीय कानून का एक सिद्धांत है जिसके मुताबिक कुछ विदेशी सरकारी
अधिकारी स्थानीय अदालतों या अन्य अधिकारियों के समक्ष अपने सरकारी और काफी हद तक
अपनी व्यक्तिगत गतिविधियों के कारण उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते.
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अमेरिका को अपने कानून प्रवर्तन
अधिकारियों के साथ– साथ विदेशी राजनयिक मिशन और वाणिज्य़ पदों
पर काम करने वाले अधिकारियों को कुछ विशेषाधिकार और इम्युनिटि देनी चाहिए.
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