टेंपलटन पुरस्कार 2014 के लिए चेक गणराज्य के पादरी टॉमस हैलिक का चयन-(18-MAR-2014) C.A

| Tuesday, March 18, 2014
चेक गणराज्य के पादरी टॉमस हैलिक (Tomas Halik) को टेंपलटन पुरस्कार 2014 (Templeton Prize 2014) के लिए चयनित किया गया. इनके चयन की घोषणा टेंपलटन फाउंडेशन द्वारा 13 मार्च 2014 को दी गई.
टॉमस हैलिक ने 1997 तक प्राग में चार्ल्स विश्वविद्यालय में धर्म का समाजशास्त्र पढ़ाया. उनकी प्रमुख पुस्तकें- पैतियंस विथ गॉड(Patience With God)  और नाइट ऑफ़ द कोंफेसर(Night of the Confessor) हैं. 

उन्होंने वर्ष  2011 में मैंन ऑफ़ रीकांसीलियशन की मानद उपाधि से एवं वर्ष 2012 में द नाइटस क्रास ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ मेरिट ऑफ़ द रिपब्लिक ऑफ़ पोलैंड (The Knight’s cross of the Order of Merit of the Republic of Poland) से सम्मानित किया गया. 
 
टेंपलटन पुरस्कार 
इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 1972 में स्वर्गीय जान टेंपलटन द्वारा की गई थी. 
टेंपलटन पुरस्कार के अंतर्गत विजेता को 11 लाख पाउंड (90 लाख रुपए) की नगद राशि  प्रदान की जाती है. 
यह पुरस्कार टेंपलटन फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है. 
टेंपलटन पुरस्कार किसी ऐसे जीवित व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने जीवन को आध्यात्म के माध्यम से दृढ़ बनाया हो. यह चाहे सूक्ष्म खोज के माध्यम से हो या व्यवहारिक रूप से हो. 
वर्ष 1972 में स्वर्गीय जान टेंपलटन द्वारा घोषित किए गए इस पुरस्कार का उद्देश्य जीनव में आध्यात्म को आत्मसात करने वाले लोगों की पहचान करना है.
वर्ष 2013 का टेंपलटन पुरस्कार डेसमंड टूटू को और वर्ष 2012 का टेंपलटन पुरस्कार तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा को प्रदान किया गया जबकि प्रथम टेंपलटन पुरस्कार (1973) मदर टेरेसा को दिया गया था.


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