गैंडों के अवैध शिकार को रोकने के लिए असम सरकार ने उनके सीगों की छटाई का प्रस्ताव दिया(26-MAR-2014) C.A

| Wednesday, March 26, 2014
असम सरकार ने 20 मार्च 2014 को गैंडों की आबादी को शिकारियों से बचाने के लिए उनके सींगों की छंटाई के प्रस्ताव पर लोगों से राय मांगी. जनता अपनी राय 31 मार्च 2014 तक प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) के कार्यालय में अपनी प्रतिक्रिया भेजे जाने हैं. सरकार ने यह फैसला राज्य में गैंडों के अवैध शिकार के मद्देनजर लिया.
प्रस्ताव के मुताबिक गैडों की सींगों को एक ही बार निकालने के बजाए 4 से 5 माह के अंतराल पर छंटाई की जाएगी. इस प्रक्रिया में गैंडे के किसी अंदरूनी अंग को नुकसान न पहुंचे, इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा. साथ ही छंटाई की यह प्रक्रिया सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में की जाएगी जहां गैंडों की आबादी बहुत कम है.
पृष्ठभूमि
गैंडों के सीगों की छंटाई का विचार जनवरी 2014 में भारतीय राइनो विजन (आईवीआर) 2020 ने प्रस्तावित किया था. उन्होंने यह प्रस्ताव गैंडों को असम के नागांव जिले में लाओखोवाबुराचापोरी वन्यजीव अभयारण्य में ले जाने से पहले दिया था.
आईआरवी 2020
यह डब्ल्यूडब्ल्यूएफइंडिया, असम के वन विभाग, अंतरराष्ट्रीय राइनो फाउन्डेशन और कुछ स्वयंसेवी संगठनों का संयुक्त कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम की शुरुआत असम में साल 2020 तक गैंडों की जनसंख्या 3000 करने के लक्ष्य के साथ हुई थी. इस कार्यक्रम के तहत गैंडों को काजीरंगा राष्ट्रीय पार्क और पोबित्रा वन्यजीव अभयारण्य से मानस और डिब्रू साइखोवा राष्ट्रीय पार्क एवं लाओखोवाबूराचोपारी वन्यजीव अभयारण्य में स्थांतरण करना शामिल है.
राइनोसोरस (गैंडों) के बारे में
एक सींग वाले ग्रेटर राइनोसोरस (राइनोसोरस यूनिकॉर्निस) आईयूसीएन की संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल है. पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में आश्चर्यजनक रूप से कमी आई है और ये विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. विश्व में इनकी कुल जनसंख्या का करीब 85 फीसदी भारत में है और असम में इनकी कुल 75 फीसदी आबादी रहती है.


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