पांच भारतीय भाषाओं-हिंदी, तमिल,
गुजराती, तेलगु और उर्दू को दक्षिण अफ्रीका के
सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रम में दोबारा शामिल कर लिया गया. दक्षिण अफ्रीका के
स्कूलों के लिए इससे सम्बंधित परिपत्र 20 मार्च 2014 को जारी किए गए थे.
भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अरबी भाषा को भी आधिकारिक विषय के रूप में मान्यता दी गई. ऐसा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले 14 लाख भारतीय मूल के लोगों की अपील के बाद किया गया.
इन भारतीय भाषाओं को छात्र पाठ्यक्रम में तीसरी ऐच्छिक भाषा के रूप में चुन सकेंगें.
इन भाषाओं को पहले केवल दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलू प्रांत में पढ़ाया जाना है. इस प्रांत में 70 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल के लोगों की है.
हालांकि कुछ स्कूलों में भारतीय भाषाएं पढ़ाई जाती हैं लेकिन ये भाषाएं सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आधिकारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं थी. इन भाषाओं को अब मैट्रिक स्तर तक आधिकारिक विषयों के रूप में मान्यता प्राप्त होगी. मैट्रिक स्तर देश में स्कूली शिक्षा प्रणाली का अंतिम वर्ष होता है.
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय भाषाओँ को पूर्वी भाषा भी कहा जाता है. इन्हें पूर्वी भाषा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अरबी का भी विकल्प होता है.
भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अरबी भाषा को भी आधिकारिक विषय के रूप में मान्यता दी गई. ऐसा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले 14 लाख भारतीय मूल के लोगों की अपील के बाद किया गया.
इन भारतीय भाषाओं को छात्र पाठ्यक्रम में तीसरी ऐच्छिक भाषा के रूप में चुन सकेंगें.
इन भाषाओं को पहले केवल दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलू प्रांत में पढ़ाया जाना है. इस प्रांत में 70 प्रतिशत आबादी भारतीय मूल के लोगों की है.
हालांकि कुछ स्कूलों में भारतीय भाषाएं पढ़ाई जाती हैं लेकिन ये भाषाएं सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त आधिकारिक पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं थी. इन भाषाओं को अब मैट्रिक स्तर तक आधिकारिक विषयों के रूप में मान्यता प्राप्त होगी. मैट्रिक स्तर देश में स्कूली शिक्षा प्रणाली का अंतिम वर्ष होता है.
दक्षिण अफ्रीका में भारतीय भाषाओँ को पूर्वी भाषा भी कहा जाता है. इन्हें पूर्वी भाषा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अरबी का भी विकल्प होता है.
विदित हो कि इन भारतीय भाषाओं को वर्ष 1994 में दक्षिण अफ्रीकी राज्य के स्कूलों में सरकारी पाठ्यक्रम से हटा दिया गया था.
0 comments:
Post a Comment