हिन्दी के साहित्यकार गोविन्द मिश्र को उनके उपन्यास “धूल पौधों पर” के लिए वर्ष 2013 का सरस्वती सम्मान के लिए चुना गया. क्रम में यह 23वां
सरस्वती सम्मान है. इस चयन के साथ ही गोविन्द मिश्र वर्ष 1991 में डॉ हरिवंश राय बच्चन के बाद इस सम्मान के लिए चयनित होने वाले हिन्दी
के दूसरे साहित्यकार बनें. इनके चयन की घोषणा केके बिरला फाउंडेशन द्वारा 24
मार्च 2014 को की गई. यह उपन्यास (धूल पौधों
पर) वर्ष 2008 में प्रकाशित हुई थी.
सरस्वती सम्मान के विजेता को पुरस्कार स्वरूप दस लाख रुपये नगद, प्रशस्ति पत्र तथा प्रतीक चिह्न दिया जाता है.
सरस्वती सम्मान
सरस्वती सम्मान की स्थापना केके बिरला फाउंडेशन ने वर्ष 1991 में की थी. पहला सरस्वती सम्मान हरिवंश राय बच्चन को उनकी आत्मकथात्मक कृति ‘दशद्वार से सोपान तक’ के लिए दिया गया था. जबकि 22वां सरस्वती सम्मान मलयालम भाषा की कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता सुगाथा कुमारी के काव्य संग्रह मनलेक्षुतु (Manalezhuthu) को दिया गया.
केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला सरस्वती सम्मान प्रतिवर्ष किसी भारतीय नागरिक की ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है, जो भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो.
गोविन्द मिश्र
गोविन्द मिश्र का पहला उपन्यास ‘वह अपना चेहरा’ वर्ष 1969 में प्रकाशित हुआ था. वर्ष 1976 में उनका प्रसिद्ध उपन्यास ‘लाल पीली जमीन’ काफी चर्चित रहा. उन्होंने 11 उपन्यास और चौदह कहानी संग्रहों में सौ से अधिक कहानियां प्रकाशित हुई। ‘निर्झरिणी’ शीर्षक से दो खंडो में उनकी संपूर्ण कहानियां प्रकाशित हुई है. पांच यात्रा वृत्तांत और दो कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं.
सरस्वती सम्मान के विजेता को पुरस्कार स्वरूप दस लाख रुपये नगद, प्रशस्ति पत्र तथा प्रतीक चिह्न दिया जाता है.
सरस्वती सम्मान
सरस्वती सम्मान की स्थापना केके बिरला फाउंडेशन ने वर्ष 1991 में की थी. पहला सरस्वती सम्मान हरिवंश राय बच्चन को उनकी आत्मकथात्मक कृति ‘दशद्वार से सोपान तक’ के लिए दिया गया था. जबकि 22वां सरस्वती सम्मान मलयालम भाषा की कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता सुगाथा कुमारी के काव्य संग्रह मनलेक्षुतु (Manalezhuthu) को दिया गया.
केके बिड़ला फाउंडेशन द्वारा दिया जाने वाला सरस्वती सम्मान प्रतिवर्ष किसी भारतीय नागरिक की ऐसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति को दिया जाता है, जो भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से पहले 10 वर्ष की अवधि में प्रकाशित हुई हो.
गोविन्द मिश्र
गोविन्द मिश्र का पहला उपन्यास ‘वह अपना चेहरा’ वर्ष 1969 में प्रकाशित हुआ था. वर्ष 1976 में उनका प्रसिद्ध उपन्यास ‘लाल पीली जमीन’ काफी चर्चित रहा. उन्होंने 11 उपन्यास और चौदह कहानी संग्रहों में सौ से अधिक कहानियां प्रकाशित हुई। ‘निर्झरिणी’ शीर्षक से दो खंडो में उनकी संपूर्ण कहानियां प्रकाशित हुई है. पांच यात्रा वृत्तांत और दो कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं.
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