जानवरों में धड़कने वाला कृत्रिम हृदय विकसित किया गया-(22-MAR-2014) C.A

| Saturday, March 22, 2014
अली खादेम हुसैनी के नेतृत्व में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने जानवरों में धड़कने वाला कृत्रिम हृदय विकसित करने में सफलता प्राप्त की. वैज्ञानिकों के इस सफल प्रयास से दुनिया भर के लाखों लोगों के क्षतिग्रस्त दिल की मरम्मत करने और उन्हें स्वस्थ्य जीवन जीने में मदद मिलेगी.
वैज्ञानिकों ने अपने इस आविष्कार को 19 मार्च 2014 को अमेरिकन केमिकल सोसायटी (एसीएस) के 247वें राष्ट्रीय बैठक और प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया. एसीएस विश्व की सबसे बड़ी वैज्ञानिक सोसायटी है.
 
कृत्रिम हृदय का विकास कैसे हुआ
प्रकृत्रिक हृदय के जैसे ही कृत्रिम हृदय के विकास के क्रम में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजेल के नए परिवार का विकास किया और इसमें ट्रोपोलास्टिन नाम के फैलने वाले मानव प्रोट्रीन का प्रयोग किया.
 
हाइड्रोजेल प्राकृतिक प्रोटीन होते हैं जो मुलायम होते हैं और इसमें मानव ऊतकों के जैसे ही बहुत सारा पानी होता है. इसके अलावा हाइड्रोजेल में रासायनिक, जैविक, यांत्रिक और इलेक्ट्रिकल गुण होते हैं जो मानव ऊतकों के पुनर्जनन के लिए बहुत आवश्यक होते हैं. हालांकि, मौजूद हाइड्रोजेल में प्राकृतिक मानव हृदय के समान लोच नहीं थी. इसे पूरा करने के क्रम में वैज्ञानिकों ने ट्रोपोएलिस्टिन नाम के फैलने वाले मानव प्रोट्रीन का इस्तेमाल किया ताकि नए विकिसत हाइड्रोजेल को जरूरत के मुताबिक लचीलापन और शक्ति दी जा सके जो कि प्राकृतिक हृदय के समान अक्षुण्ण लोच बनाई जा सके.
 
नए विकसित हाइड्रोजेल पर वैज्ञानिकों ने कृत्रिम कोशिकाओं को विकसित किया. कोशिकाओं के सही संचरना को सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिकों ने 3– डी प्रिटिंग और जेल में पैटर्न बनाने के लिए माइक्रो इंजीनियरिंग तकनीकों का सहारा लिया. इन पैटर्न ने कोशिकाओं को वैज्ञानिकों की इच्छा के मुताबिक विकसित करने में मदद की.
ये नए विकसित हाइड्रोजेल माइक्रोपैटर्न्ड एवं लचीले हैं और आगे चलकर इनका इस्तेमाल हृदय पैच के रूप में हो सकता है. ये लचीला प्राकृतिक हाइड्रोजेल रक्त वाहिकाओँ, कंकाल की मांसपेशियों, हृदय के वॉल्व और त्वचा की कोशिकाओं के पुनर्जनन में इस्तेमाल में लाया जा सकता है.
 
फिलहाल, हृदय की क्षति वाले रोगियों के लिए सबसे अच्छे इलाज के विकल्प के रूप में अंग प्रत्यारोपण है.


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