दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिसंबर 2012 में
दिल्ली में छात्रा के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में चारों आरोपियों की मौत की सजा
को बरकरार रखा. इन आरोपियों को निचली अदालत के मौत की सजा सुनायी थी.
दिल्ली उच्च न्यायालय न्यायाधीशों न्यायमूर्ति रेवा खेत्रपाल व
न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी की पीठ ने 13 मार्च 2014
को अपने निर्णय में निचली अदालत के निर्णय को यथावत रखा. खण्डपीठ ने
अपने आदेश में कहा कि आरोपियों के द्वारा किये गये कृत्य जघन्यतम अपराधों की
श्रेणी में आते हैं.
विदित हो कि 16 दिसंबर 2012
को दिल्ली में एक चलती बस में एक 23 वर्षीय
छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में निचली अदालत ने चारों आरोपियों –
अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और मुकेश को 17 सितंबर 2013 को मृत्युदंड की सजा सुनायी थी.
निर्भया कांड
पैरा-मेडिकल की 23 वर्षीय
छात्रा (दामिनी या निर्भया के नाम से विख्यात) का 16 दिसंबर 2012
को नई दिल्ली में एक नाबालिग समेत छह पुरूषों द्वारा एक चलती बस में
सामूहिक बलात्कार किया गया था. निर्भया की मृत्यु सिंगापुर के माउंट एलीजाबेथ
अस्पताल में 29 दिसंबर 2013 को हुई थी.
इस घटना के कारण देशव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए थे.
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