भारत ने मार्च के दूसरे सप्ताह में पाटण, गुजरात के रानी–की–वाव और
हिमाचल प्रदेश के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क (जीएचएनपी) को यूनेस्को के विश्व
धरोहर स्थल में शामिल करने के लिए नामांकित किया. विश्व धरोहर समिति इस वर्ष जून
में दोहा, कतर में होने वाली बैठक में नामांकित स्थलों की
समीक्षा कर फैसला करेगी.
विश्व धरोहर स्थल के पुष्टि की प्रक्रिया
• पहला कदम होता है
महत्वपूर्ण प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों की सूची बनाना है.
• अगला कदम, देश विशेष का संबंधित विभाग विश्व घरोहर केंद्र में नामांकन प्रस्तुत करता
है. केंद्र उसे सलाहकार निकाय– इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ
मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस ) के पास और वर्ल्ड
कंजर्वेशन यूनियन (आईयूसीएन) के पास मूल्यांकन के लिए भेज देती है.
• अंतरसरकारी विश्व
धरोहर समिति बैठक कर फैसला करती है कि किस स्थल को विश्व धरोहर की सूची में शामिल
किया जा सकता है.
रानी–की–वाव के बारे में
रानी–की–वाव के बारे में
• रानी– की– वाव ग्यारहवीं सदी में बनी बावड़ी है और यह
गुजरात में बनी बावड़ियों में बने अच्छे उदाहरणों में से एक है. इसका निर्माण
सोलंकी वंश की रानी उदयमती ने करवाया था.
•
यह बावड़ी एक भूमिगत संरचना है जिसमें सीढ़ीयों की एक
श्रृंखला, चौड़े चबूतरे, मंडप और
दीवारों पर मूर्तियां बनी हैं जिसके जरिये गहरे पानी में उतरा जा सकता है. यह सात
मंजली बावड़ी है जिसमें पांच निकास द्वार है और इसमें बनी 800 से ज्यादा मूर्तियां आज भी मौजूद हैं. यह बावड़ी भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण के तहत संरक्षित स्मारक है.
• इससे पहले 1998
में भारत सरकार ने इसे धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल किया था
लेकिन इसे वैश्विक धरोहर बनाने के लिए अगला कदम नहीं उठाया था.
ग्रेट हिमालयन पार्क के
बारे में
• यह पार्क हिमाचल
प्रदेश के कुल्लू जिले के पश्चिमी हिस्से में स्थित है. साल 1984 में इसे बनाया गया था और 1999 में इसे राष्ट्रीय
पार्क घोषित किया गया था.
• यह पार्क अपनी जैव
विविधता के लिए जाना जाता है. इसमें 25 से अधिक प्रकार के वन,
800 प्रकार के पौधे औऱ 180 से अधिक पक्षी
प्रजातियों का घर है.
•
साल 2009 में, जीएचएनपी
को अस्थायी सूची में शामिल किया गया था और 2013 में इसे
वैश्विक धरोहर बनाने के लिए यूनेस्को के विचार करने के लिए प्रस्ताव भी भेजा गया
था. इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) ने इस पार्क को वैश्विक
धरोहर बनाने की सिफारिश नहीं की थी.
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