भारत के उन्नत बहुब्रांड
संचार उपग्रह जीसैट-7 को
पृथ्वी की सतह से लगभग 36000 किलोमीटर ऊंचाई पर जियोसिनक्रोनस कक्षा में 3 सितम्बर 2013 को सफलतापूर्वक स्थापित किया
गया. इस उपग्रह को एरियन-5 रॉकेट
के माध्यम से कोरू, फ्रैच
गुयाना से 30 अगस्त
2013 को प्रक्षेपित किया गया
था.
इसमें यूएचएफ हैलिक्स एंटीना
सहित जीएसएटी-7 के
संचार एंटीना भी सफलतापूर्वक खोल दिए गए. इसके बाद जीएसएटी-7 को गतिशील पहियों द्वारा
तीन अक्षों पर स्थिर करके अंतिम कक्षा विन्यास में स्थापित किया गया.
इस उपग्रह द्वारा जल्द ही
जियोस्टेशनरी कक्षा में 74 डिग्री
पूर्वी देशांतर के अपनी नियत कक्षा में पहुंच जाना है. 14 सितम्बर 2013 को यूएचएफ, एस,सी और क्यू बैंड में संचार
ट्रांसपौंडरों को बंद करने की योजना है.
जीसैट-7 से संबंधित मुख्य तथ्य
इस उपग्रह को रूक्मिणी नाम
दिया गया. इस उपग्रह का वज़न दो हज़ार पचास किलोग्राम है. इसके निर्माण में भारत
में विकसित तकनीक का इस्तेमाल किया गया. अत्याधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-7 यूएचएफ, एस, सी और केयू बैंड के पेलोड
उपकरणों से सुसज्जित है. इस उपग्रह का निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
(इसरो) ने किया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान
संगठन के अनुसार जीसैट-7 एक
उन्नत किस्म का संचार उपग्रह है जो संचार प्रणाली से संबंधित विभिन्न तरह के आंकड़े
और व्यापक सेवायें उपलब्ध करा सकेगा. इस उपग्रह के पेलोड का डिजाइन इस तरह तैयार
किया गया है कि वह भारतीय भूक्षेत्र सहित व्यापक महासागर क्षेत्र के बारे में
संचार संबंधी सूचनायें उपलब्ध कराने में सक्षम है.
जियोसिनक्रोनस कक्षा क्या
है?
जियोसिनक्रोनस कक्षा को
जीएसओ के नाम से भी जाना जाता है. यह पृथ्वी के चारों ओर कक्षा है जिसकी कक्षीय
अवधि 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड के आसपास है.
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